नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिला न्यायालय परिसर में लोक अदालत का आयोजन किया गया. लोक अदालत में करीब साढ़े तीन लाख मामलों के निस्तारण का लक्ष्य रखा गया. लोक अदालत में सुलह समझौते के आधार पर बहुत से केसों को निपटाया गया. लोक अदालत में कई टूटते परिवारों को भी जोड़ा गया. परिवार न्यायालय कोर्ट संख्या चार में एक पति-पत्नी का केस था, इस केस में जो कपल करीब तीन साल से अलग रह रहा था आज बेटी के साथ एक होकर घर लौट गया.
जिला अदालत में टूटती शादी को बचाया गया
विजयनगर निवासी शिवम और नंदग्राम निवासी प्रीति की शादी जुलाई 2017 में हुई थी. शिवम रेलवे में सरकारी नौकर थे, जबकि प्रीति प्राइवेट स्कूल में बतौर टीचर नौकरी करती थी. 2019 में शिवम और प्रीति के यहां बेटी ने जन्म लिया. वैचारिक मतभेद होने के कारण 2020 में प्रीति और शिवम अलग हो गए. प्रीति जॉब करके अपनी बेटी को पालने लगी. नवंबर 2023 में शिवम ने प्रीति से बातचीत शुरू कर मनमुटाव को दूर करने की बात कही. करीब 4 महीने में सुलह समझौते के आधार पर 9 मार्च 2024 को परिवार न्यायालय में सभी गिले शिकवे भूलाकर दोनों फिर एक बार एक हो गए. कोर्ट रूम में ही दोनों ने एक दूसरे को माला पहनाई. इसके बाद शिवम प्रीति और अपनी बेटी को अपने साथ घर वापस ले गए.
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लोक अदालत में लॉ स्टूडेंट्स भी पहुंचे
लॉ की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी भी लोक अदालत में पहुंचे. अधिवक्ता प्राची प्रियंका के मुताबिक हर 3 महीने में आयोजित होने वाली लोक अदालत में जिले के किसी एक लॉ कॉलेज के छात्र लोक अदालत में पहुंचते हैं. लोक अदालत में पहुंचे छात्रों को बताया जाता है कि किस तरह से लोक अदालत में केस निस्तारित किये जाते हैं. लोक अदालत में पहुंचे छात्रों को कचहरी परिसर की विजिट कराई गई साथ ही अलग अलग तरह के केस के निस्तारण की प्रक्रिया भी सिखाई गई.
जिला जज अनिल कुमार के मुताबिक लोक अदालत को सफल बनाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण लगातार अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करता है. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा लोक अदालत के बारे में लोगों को विस्तृत जानकारी दी जाती है. सुलह समझौते के आधार पर जिन मुकदमों का समाधान हो सकता है उसके बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है.
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