अमेठी: गांधी परिवार की पारंपरिक सीट अमेठी में गांधी परिवार के चाणक्य माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा का चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. कांग्रेस के प्रत्याशी केएल शर्मा के मुकाबले बीजेपी की कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी हैं. स्मृति ईरानी जहां अपने पांच साल के विकास कार्यों एवं मोदी सरकार की उपलब्धियों के सहारे जीत का दावा कर रही हैं, वहीं कांग्रेस के केएल शर्मा अपने 45 वर्षों के अनुभव के आधार पर स्मृति को हराने का दावा कर रहे हैं. फिलहाल दोनों प्रत्याशी अमेठी की अवाम के बीच इस तपती गर्मी में पसीना बहा रहे हैं.
अमेठी में 25 वर्ष बाद गांधी परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए गैर गांधी उम्मीदवार मैदान में है. कांग्रेस नेतृत्व ने नामांकन के अंतिम दिन केएल शर्मा को अमेठी से टिकट देकर सभी को चौंका दिया था. केएल शर्मा अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए लगातार इलाके में डटे हुए हैं. कांग्रेस सार्थकों और आम लोगों से मिलकर अपनी चार दशक पुरानी यादें ताजा कर रहे हैं. केएल शर्मा की मानें तो अस्सी के दशक में पूर्व पीएम राजीव गांधी के साथ अमेठी आए थे. तब से केएल शर्मा अमेठी के ही हो कर रह गए. केएल शर्मा राजीव गांधी, कैप्टन सतीश शर्मा, सोनिया गांधी, राहुल गांधी का चुनावी मैनेजमेंट देख चुके हैं. रायबरेली और और अमेठी इलाके के लोगों को अच्छी तरह से समझने का 45 साल का अनुभव उनके पास है. अब देखना होगा कि 45 वर्षों का अनुभव इनके कितने काम आता है.
वहीं बीजेपी ने इस बार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को अमेठी से उम्मीदवार बनाया है. स्मृति इस बार तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं. वर्ष 2014 में स्मृति ने अमेठी से पहली बार राहुल गांधी के सामने चुनाव लड़ा था. वे चुनाव तो नहीं जीत पाईं लेकिन राहुल गांधी के जीत का अंतर कम कर दिया था. दूसरी बार वर्ष 2019 में स्मृति ने राहुल गांधी को चुनाव हरा दिया था. स्मृति ईरानी लगातार अमेठी में लोगों से मिलकर अपने पांच वर्षों में हुए विकास एवं मोदी सरकार की योजनाओं को लोगों के बीच में बता रही हैं.