नालंदाः अब तक आपने लोगों का जन्मदिन मनाते हुए देखा होगा लेकिन बिहार में शेर का भी जन्मदिन मनाया जाता है. सोमवार को नालंदा के राजगीर जू सफारी में रहे रहे सबसे बूढ़े शेर का जन्मदिन मनाया गया. सबसे बूढ़ा शेर विशाल अब 17 साल का हो गया है. विशाल’ का 17वां जन्मदिन वनकर्मियों ने केक काटकर उत्साह पूर्वक मनाया.
'विशाल का हैदराबाद में हुआ था जन्म': जू के पदाधिकारी ने बताया कि एक साल पूर्व इस शेर को पटना जैविक उद्यान से लाया गया था. पटना में इसे हैदराबाद से लाया गया था. आज के ही दिन 17 साल पहले इसका जन्म हुआ था. जन्म के बाद से ही यह शेर अन्य से अधिक चालाक, ताकतवर और गजब की नेतृत्व क्षमता वाला है.
राजगीर में दो जोड़ा शेर-शेरनीः पदाधिकारी ने बताया कि राजगीर जू सफारी में 2 शेर और दो शेरनी है. पटना जैविक उद्यान में एक शेर और एक शेरनी है. इन सबों में "विशाल" उम्र में सबसे बड़ा है. जंतु विज्ञान के अनुसार शेर का जीवनकाल कई कारकों पर निर्भर करता है. इनमें जलवायु, शिकार का प्रकार और आनुवंशिकी शामिल है.
"जंगल में शेरों की औसात आयु 15 साल तक होती है लेकिन कुछ शेर 20 साल तक भी जीवित रह सकते हैं. मानव देखभाल में शेर 25 से 30 साल तक भी जीवित रह सकते हैं." -हेमंत पाटिल, निदेशक, राजगीर जू-सफारी
भारत में सबसे ज्यादा शेर गुजरात में हैः जानकारी के अनुसार भारत के गुजरात गिर नेशनल पार्क में 654 शेर हैं जो पूरे विश्व में सबसे अधिक हैं. यह पार्क 412 वर्ग किलोमीटर में फैला है. हमारी भारतीय परंपरा में परिवार और उसमें मुखिया की मौजूदगी का बड़ा महत्व है. सदियों से हम मुखिया वाली पारिवारिक संस्कृति के साथ आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन, क्या कभी किसी ने सोचा है कि जंगल का राजा शेर भी परिवार में मुखिया की प्रथा से जुड़ा होता है.
पारिवारिक मुखिया परंपराः अफ्रीकी शेर पारिवारिक मुखिया वाली परंपरा को नहीं मानते हैं. इसका खुलासा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने किया है. शेर का शरीर मजबूत और मांसल होता है. इसके लंबे व तीखे पंजे और तीखे दांत होते हैं. इसका फर आमतौर पर भूरे और सुनहरे रंग का होता है. लेकिन यह काला या लाल भी हो सकता है.
शेर की खासियतः शेरों की पूंछ बहुत लंबी होती है जो उन्हें जंगल में दौड़ते समय संतुलन बनाए रखने में मदद करती है. शेर एक व्यापक रूप से अनुकूलित, अवसरवादी मांसाहारी जानवर है जो कई तरह के स्थलीय और जलीय जानवरों को खाता है. शेर पूरे अफ्रीका, एशिया, अमेरिका और यूरोप में कई तरह के आवासों में रहते हैं. वे तंजानिया के माउंट किलिमंजारो की सबसे ऊंची चोटियों तक की ऊंचाई पर भी पाए जा सकते हैं.