ETV Bharat / state

लिफ्ट हादसों पर लगेगी लगाम, यूपी में पास हुआ लिफ्ट एक्ट, इन नियमों का रखना होगा ध्यान - लिफ्ट एक्ट पास

यूपी में भी लिफ्ट और एस्केलेटर विधेयक अधिनियम लागू हो गया है. शनिवार को प्रदेश (Lift Act passed) के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विधानसभा एवं विधानपरिषद में उप्र लिफ्ट एंड एस्केलेटर विधेयक को प्रस्तुत करते ही दोनों सदनों में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 10, 2024, 10:44 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में लिफ्ट और एस्केलेटर के कारण बढ़ते हादसों पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने बड़ी पहल की है. इस पहल के तहत शनिवार को दोनों सदनों में लिफ्ट एंड एस्केलेटर बिल चर्चा के बाद ध्वनिमत से पास हो गया. इस बिल में लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस, हादसे के दौरान संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं.

अधिनियम के दायरे में सभी निजी और सार्वजनिक भवन व परिसर : प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने इस अधिनियम के नियम व शर्तों की जानकारी देते हुए सदन को बताया कि इस अधिनियम के दायरे में प्रदेश के सभी निजी और सार्वजनिक दोनों प्रकार के भवनों व परिसरों को लाया गया है. निजी उपयोग में लगवाई गई लिफ्ट में इस अधिनियम की कुछ शर्तों में से ढील दी गई है. लेकिन, सार्वजनिक उपयोग में लगाई गई लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस, हादसे के दौरान संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं. कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत औद्योगिक एरिया या परिसर में लगी लिफ्ट य एस्केलेटर पर इस अधिनियम की शर्तें लागू नहीं होगी, बाकी प्रदेश की सभी निजी व सार्वजनिक भवनों व परिसरों पर लगी लिफ्ट एवम् एस्केलेटर पर इस अधिनियम की शर्तें अनिवार्य रूप से प्रभावी होगी.

प्रतिष्ठानों में बहुतायत में लगाई जा रही लिफ्ट : उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण व नगरीकरण के कारण जरूरत के मुताबिक बहुमंजिला इमारतें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए जा रहे हैं. इन इमारतों का उपयोग करने के लिए लिफ्ट और एस्केलेटर की भी मांग बढ़ी है. बहुमंजिला इमारतों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में बहुतायत में लिफ्ट लगाई जा रही हैं और उपयोग भी किया जा रहा है. रेलवे स्टेशनों और तीर्थ स्थलों पर भी लिफ्ट व एस्केलेटर का उपयोग बढ़ा है. लिफ्ट व एस्केलेटर का प्रयोग आसक्तजनों के साथ बच्चे, बुजुर्ग, युवा सभी लोग करते हैं. इस व्यवस्था के लागू होने से लिफ्ट संचालक सावधानी बरतेंगे और हादसे भी कम होंगे.

कई राज्यों में पहले से है कानून : बिल को विधानसभा में प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अभी तक लिफ्ट एंड एस्केलेटर के उपयोग, सावधानियां, निगरानी, रजिस्ट्रेशन व रेगुलेट करने संबंधी कोई अधिनियम नहीं था. देश के कुछ राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में लिफ्ट एस्केलेटर के संबंध में उनके अधिनियम हैं लेकिन, उत्तर प्रदेश में ऐसी व्यवस्था नहीं थी. विगत वर्ष नोएडा में लिफ्ट में घटित हुई एक दुर्घटना की ओर पिछले सदन में ही सदस्य योगेंद्र सिंह और पंकज सिंह ने ध्यान आकर्षित कराया था. उसी समय से इस अधिनियम को प्रदेश में भी लागू करने के प्रति कदम आगे बढ़ाया गया.

यह भी पढ़ें : यूपी बजट सत्र समाप्त; सीएम योगी का चौपाई संग अखिलेश यादव को करारा जवाब, बोले- रहिमन फाटे दूध को मथे न माखन होये

यह भी पढ़ें : डीएम को धमकाने वाला BDO कार्यमुक्त, विकास आयुक्त कार्यालय से किया गया अटैच

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में लिफ्ट और एस्केलेटर के कारण बढ़ते हादसों पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने बड़ी पहल की है. इस पहल के तहत शनिवार को दोनों सदनों में लिफ्ट एंड एस्केलेटर बिल चर्चा के बाद ध्वनिमत से पास हो गया. इस बिल में लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस, हादसे के दौरान संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं.

अधिनियम के दायरे में सभी निजी और सार्वजनिक भवन व परिसर : प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने इस अधिनियम के नियम व शर्तों की जानकारी देते हुए सदन को बताया कि इस अधिनियम के दायरे में प्रदेश के सभी निजी और सार्वजनिक दोनों प्रकार के भवनों व परिसरों को लाया गया है. निजी उपयोग में लगवाई गई लिफ्ट में इस अधिनियम की कुछ शर्तों में से ढील दी गई है. लेकिन, सार्वजनिक उपयोग में लगाई गई लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस, हादसे के दौरान संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं. कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत औद्योगिक एरिया या परिसर में लगी लिफ्ट य एस्केलेटर पर इस अधिनियम की शर्तें लागू नहीं होगी, बाकी प्रदेश की सभी निजी व सार्वजनिक भवनों व परिसरों पर लगी लिफ्ट एवम् एस्केलेटर पर इस अधिनियम की शर्तें अनिवार्य रूप से प्रभावी होगी.

प्रतिष्ठानों में बहुतायत में लगाई जा रही लिफ्ट : उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण व नगरीकरण के कारण जरूरत के मुताबिक बहुमंजिला इमारतें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए जा रहे हैं. इन इमारतों का उपयोग करने के लिए लिफ्ट और एस्केलेटर की भी मांग बढ़ी है. बहुमंजिला इमारतों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में बहुतायत में लिफ्ट लगाई जा रही हैं और उपयोग भी किया जा रहा है. रेलवे स्टेशनों और तीर्थ स्थलों पर भी लिफ्ट व एस्केलेटर का उपयोग बढ़ा है. लिफ्ट व एस्केलेटर का प्रयोग आसक्तजनों के साथ बच्चे, बुजुर्ग, युवा सभी लोग करते हैं. इस व्यवस्था के लागू होने से लिफ्ट संचालक सावधानी बरतेंगे और हादसे भी कम होंगे.

कई राज्यों में पहले से है कानून : बिल को विधानसभा में प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अभी तक लिफ्ट एंड एस्केलेटर के उपयोग, सावधानियां, निगरानी, रजिस्ट्रेशन व रेगुलेट करने संबंधी कोई अधिनियम नहीं था. देश के कुछ राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में लिफ्ट एस्केलेटर के संबंध में उनके अधिनियम हैं लेकिन, उत्तर प्रदेश में ऐसी व्यवस्था नहीं थी. विगत वर्ष नोएडा में लिफ्ट में घटित हुई एक दुर्घटना की ओर पिछले सदन में ही सदस्य योगेंद्र सिंह और पंकज सिंह ने ध्यान आकर्षित कराया था. उसी समय से इस अधिनियम को प्रदेश में भी लागू करने के प्रति कदम आगे बढ़ाया गया.

यह भी पढ़ें : यूपी बजट सत्र समाप्त; सीएम योगी का चौपाई संग अखिलेश यादव को करारा जवाब, बोले- रहिमन फाटे दूध को मथे न माखन होये

यह भी पढ़ें : डीएम को धमकाने वाला BDO कार्यमुक्त, विकास आयुक्त कार्यालय से किया गया अटैच

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.