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सरकारी अस्पतालों की बदहाली को लेकर LG ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा तल्खी भरा पत्र, श्वेत पत्र लाने की दी नसीहत - LG LETTER to SAURABH BHARDWAJ

LG writes letter to Health Minister: एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की खस्ता हालत को लेकर स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को तल्खी भरा पत्र लिखा है. साथ ही इस संबंध में श्वेत पत्र लाने की सलाह दी है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 5, 2024, 4:55 PM IST

नई दिल्ली. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की खस्ता हालत और वहां मरीजों को हो रही परेशानियों पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज से श्वेत पत्र लाने का सुझाव दिया है. उपराज्यपाल ने शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को इस संबंध में पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने पहले तो जिक्र किया कि दिल्ली सरकार के हेडगेवार आरोग्य संस्थान तथा चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते मरीज परेशान हैं. मरीज अस्पताल आकर लौट रहे हैं, इस संबंध में वह चाहते थे कि मुख्यमंत्री से सीधे संवाद करें. लेकिन मौजूदा स्थिति में ऐसा हो नहीं सकता, इसलिए वह सीधे पत्र लिख रहे हैं.

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एलजी ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को लिखा है कि बीते एक सप्ताह के दौरान इस संबंध में वह बात करना चाहते थे. मीटिंग के लिए सूचित भी किया गया था लेकिन वह बातचीत के लिए नहीं पहुंचे. उपराज्यपाल ने कहा है कि यह गलत परंपरा विकसित हो रही है कि सभी नाकामी का आरोप सीनियर अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा दिया जाए. अगर सही में कोई अधिकारी अनुशासन का पालन नहीं कर रहा है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है. वह कार्रवाई तभी हो सकती है जब नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी की मीटिंग बुलाई जाए.

इस अथॉरिटी के अधीन ही अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और कार्रवाई करने का अधिकार है. इस ऑथोरिटी के मुखिया मुख्यमंत्री हैं लेकिन नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी की मीटिंग मुख्यमंत्री ने बीते 6 महीना में नहीं बुलाई है. अगर यह मीटिंग नियमित होती तो अधिकारियों के तबादले और कार्रवाई से संबंधित कई फैसले ले लिए गए होते.

प्रशासनिक कार्यों की कमी और गलत फैसला आदि लेने का आरोप अधिकारियों पर लगाना सही नहीं- एलजी

पत्र में उपराज्यपाल ने कहा है कि प्रशासनिक कार्यों की कमी और गलत फैसला आदि लेने का आरोप अधिकारियों पर लगाना सही नहीं है. उपराज्यपाल ने यह भी कहा है कि सार्वजनिक मंचों पर दिल्ली मॉडल के स्वास्थ्य सेवाओं की तारीफें करना और अस्पतालों में लाइफ सपोर्ट सिस्टम उपलब्ध नहीं होना, मरीज को एक बेड तक नहीं मिलना ये दोनों विरोधाभासी हैं. ऐसे दावे करने के लिए शर्म आनी चाहिए. उन्होंने इस पर भी आश्चर्य जताया कि राष्ट्रीय राजधानी में स्थित दिल्ली सरकार के अस्पताल में मरीजों के लिए कॉटन तक उपलब्ध नहीं है.

उपराज्यपाल ने अपने पत्र के अंत में स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को कहा है कि अगर दिल्ली की जनता को वाकई बेहतर सुविधा देना चाहते हैं तो जिम्मेदारी के साथ बेहतर प्रदर्शन करें. उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर उपलब्ध कराने के लिए रोड मैप तैयार करें. सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को संबंधित एक श्वेत पत्र भी लाना चाहिए.

बता दें कि गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर स्वास्थ्य सचिव पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है. दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दवाओं और सामग्रियों की उपलब्धता के बारे में गलत जानकारी देने व गुमराह करने का आरोप लगाया था. स्वास्थ्य मंत्री ने एलजी को लिखे पत्र में दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं में दवाओं और उपयोग होने वाली सामग्रियों की अनुपलब्धता की समयबद्ध जांच कराने का भी अनुरोध किया था. स्वास्थ्य मंत्री ने एलजी को लिखे पत्र में अस्पतालों में दवाओं की अनुपलब्धता की गलत जानकारी देने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने की भी मांग की थी.

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नई दिल्ली. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की खस्ता हालत और वहां मरीजों को हो रही परेशानियों पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज से श्वेत पत्र लाने का सुझाव दिया है. उपराज्यपाल ने शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को इस संबंध में पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने पहले तो जिक्र किया कि दिल्ली सरकार के हेडगेवार आरोग्य संस्थान तथा चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते मरीज परेशान हैं. मरीज अस्पताल आकर लौट रहे हैं, इस संबंध में वह चाहते थे कि मुख्यमंत्री से सीधे संवाद करें. लेकिन मौजूदा स्थिति में ऐसा हो नहीं सकता, इसलिए वह सीधे पत्र लिख रहे हैं.

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एलजी ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को लिखा है कि बीते एक सप्ताह के दौरान इस संबंध में वह बात करना चाहते थे. मीटिंग के लिए सूचित भी किया गया था लेकिन वह बातचीत के लिए नहीं पहुंचे. उपराज्यपाल ने कहा है कि यह गलत परंपरा विकसित हो रही है कि सभी नाकामी का आरोप सीनियर अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा दिया जाए. अगर सही में कोई अधिकारी अनुशासन का पालन नहीं कर रहा है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है. वह कार्रवाई तभी हो सकती है जब नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी की मीटिंग बुलाई जाए.

इस अथॉरिटी के अधीन ही अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और कार्रवाई करने का अधिकार है. इस ऑथोरिटी के मुखिया मुख्यमंत्री हैं लेकिन नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी की मीटिंग मुख्यमंत्री ने बीते 6 महीना में नहीं बुलाई है. अगर यह मीटिंग नियमित होती तो अधिकारियों के तबादले और कार्रवाई से संबंधित कई फैसले ले लिए गए होते.

प्रशासनिक कार्यों की कमी और गलत फैसला आदि लेने का आरोप अधिकारियों पर लगाना सही नहीं- एलजी

पत्र में उपराज्यपाल ने कहा है कि प्रशासनिक कार्यों की कमी और गलत फैसला आदि लेने का आरोप अधिकारियों पर लगाना सही नहीं है. उपराज्यपाल ने यह भी कहा है कि सार्वजनिक मंचों पर दिल्ली मॉडल के स्वास्थ्य सेवाओं की तारीफें करना और अस्पतालों में लाइफ सपोर्ट सिस्टम उपलब्ध नहीं होना, मरीज को एक बेड तक नहीं मिलना ये दोनों विरोधाभासी हैं. ऐसे दावे करने के लिए शर्म आनी चाहिए. उन्होंने इस पर भी आश्चर्य जताया कि राष्ट्रीय राजधानी में स्थित दिल्ली सरकार के अस्पताल में मरीजों के लिए कॉटन तक उपलब्ध नहीं है.

उपराज्यपाल ने अपने पत्र के अंत में स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को कहा है कि अगर दिल्ली की जनता को वाकई बेहतर सुविधा देना चाहते हैं तो जिम्मेदारी के साथ बेहतर प्रदर्शन करें. उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर उपलब्ध कराने के लिए रोड मैप तैयार करें. सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को संबंधित एक श्वेत पत्र भी लाना चाहिए.

बता दें कि गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर स्वास्थ्य सचिव पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है. दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दवाओं और सामग्रियों की उपलब्धता के बारे में गलत जानकारी देने व गुमराह करने का आरोप लगाया था. स्वास्थ्य मंत्री ने एलजी को लिखे पत्र में दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं में दवाओं और उपयोग होने वाली सामग्रियों की अनुपलब्धता की समयबद्ध जांच कराने का भी अनुरोध किया था. स्वास्थ्य मंत्री ने एलजी को लिखे पत्र में अस्पतालों में दवाओं की अनुपलब्धता की गलत जानकारी देने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने की भी मांग की थी.

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