ETV Bharat / state

Explainer: 'पानी बिल योजना' पर दिल्ली में केजरीवाल और LG के बीच लेटर वॉर, जानें पूरा विवाद - वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम

Delhi Water Bill Scheme: पानी के बढ़ते बिल को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी लेकर आई. AAP का आरोप है कि इस पॉलिसी को बीजेपी लागू नहीं होने देना चाहती. वहीं, दिल्ली भाजपा का कहना है कि दिल्ली जल बोर्ड स्वायत्त संस्था है. ऐसे में यह कहना कि भाजपा स्कीम लागू नहीं होने दे रही, ये गलत है.

केजरीवाल और LG में लेटर वॉर जारी
केजरीवाल और LG में लेटर वॉर जारी
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 29, 2024, 5:59 PM IST

केजरीवाल और LG में लेटर वॉर जारी

नई दिल्ली: दिल्ली में पानी के गलत बिलों के निपटान के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा प्रस्तावित वन टाइम सेटलमेंट स्कीम सुर्खियों में बनी हुई है. आम आदमी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि अधिकारियों पर दबाव बनाकर उपराज्यपाल इस स्कीम को लागू होने में अड़ंगा लगा रहे हैं. वहीं, बुधवार को एलजी वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाम एक ओपन लेटर लिखकर निशाना साधा. उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे पर लाए गए प्रस्ताव के उस हिस्से पर भी आपत्ति जताई जिसमें लिखा था कि "बीजेपी का उपराज्यपाल पर सीधा नियंत्रण है."

उपराज्यपाल के इस पत्र पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी देर रात उन्हें जवाबी पत्र भेजा. इसमें मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल के लेटर की भाषा पर आपत्ति जताई और कहा कि अधिकारियों पर वह एक्शन लें. जिससे उनके बीच एक सख्त संदेश जाए. ऐसे में पानी के बकाए बिल पर दिल्ली में टकराव क्यों है? इस संबंध में इस रिपोर्ट में जानिए.

दिल्ली सरकार द्वारा पानी के बकाया बिल माफी की योजना क्या है?

दिल्ली जल बोर्ड द्वारा जारी किए गए पानी के बिलों से लगभग 40 फीसद उपभोक्ता परेशान है. दिल्ली में लगभग 27 लाख से अधिक जल बोर्ड के कनेक्शन लगे हुए हैं, जिसमें से लगभग 10.6 लाख उपभोक्ताओं का यह कहना है कि जल बोर्ड द्वारा उन्हें जो बिल जारी किया गया है, वह उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए पानी की तुलना में बहुत अधिक है. केजरीवाल सरकार का कहना है 27 लाख उपभोक्ताओं में से लगभग 10.6 लाख उपभोक्ताओं का यह प्रश्न उठाना अपने आप में बड़ी बात है.

बकाया बिल नहीं देने वालों के केजरीवाल सरकार द्वारा वन टाइम सेटलमेंट स्कीम क्या है?

2023 जून में दिल्ली जल बोर्ड ने एक वैज्ञानिक तरीके से कंप्यूटराइज वन टाइम सेटलमेंट स्कीम बनाई. इसमें पुराने बढ़े हुए बिलों को एक बार में सेटलमेंट करने का एक फार्मूला तैयार किया गया है. करीब 10.6 लाख कंज्यूमर जिनके बिलों पर कुछ ना कुछ विवाद है, उनके पानी की खपत के असली बिलों को निकाल कर बिल जनरेट करने का प्रावधान रखा गया था. जैसे अगर किसी का पुराना बिल दो लाख रुपए का है और सेटलमेंट में उसको कहा जाता है कि वह 30 हज़ार जमा कर दे तो उसका पुराना सारा बिल क्लियर हो जाएगा और जीरो से उसके बिल की शुरुआत हो जाएगी. यह पॉलिसी दिल्ली जल बोर्ड के द्वारा पास कर दी गई थी मगर दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि कुछ अफसरों के कारण इस पॉलिसी को कैबिनेट में नहीं लाया जा रहा है.

पानी के बिल माफी की स्कीम लाने को लेकर कब से प्रक्रिया शुरू हुई?

यह वन टाइम सेटलमेंट स्कीम आज से लगभग 1 साल पहले 23 जनवरी 2023 को दिल्ली जल बोर्ड की बोर्ड मीटिंग में पास हुई थी. लगभग एक महीना पहले 25 जनवरी 2024 को यह प्रस्ताव फाइनेंस डिपार्टमेंट को यह कहकर भेजा गया, कि आप इस प्रस्ताव पर अपनी टिप्पणी दें. 5 फरवरी 2024 को फाइनेंस डिपार्टमेंट के एक अधिकारी की ओर से पत्र आया, कि इस प्रस्ताव से संबंधित ओरिजिनल फाइल दी जाए. जल बोर्ड की वह ओरिजिनल फाइल 9 फरवरी 2024 को फाइनेंस डिपार्टमेंट को दे दी गई.

स्कीम से संबंधित फ़ाइल अधिकारियों को देने के बाद क्या हुआ?

ओरिजिनल फाइल देने के बाद वित्त विभाग की ओर से उस पर कुछ प्रश्न लगा दी गई. उसके बाद वित्त मंत्री द्वारा उन सभी प्रश्नों का जवाब भी दे दिया गया साथ ही साथ इस पॉलिसी पर टिप्पणी भी दे दी गई. लेकिन, वित्त मंत्री द्वारा प्रस्ताव पर दी गई टिप्पणी को अस्वीकार कर दिया गया. जबकि 9 फरवरी को ओरिजिनल फाइल देते हुए यह निर्देश भी दिए गए की 12 फरवरी तक इस पर वित्त मंत्रालय द्वारा टिप्पणी दी जाएं और 14 फरवरी को इसे कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाए. परंतु निर्देश देने के बावजूद भी विभाग के अधिकारियों द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप है. 21 फरवरी 2024 को एक बार फिर से मुख्य सचिव को लिखित में निर्देश जारी किया गया कि इस सप्ताह के अंत तक इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लेकर आए, परंतु दोबारा लिखित आदेश जारी करने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई.

केजरीवाल सरकार की इस स्कीम को लेकर उपराज्यपाल ने क्या आपत्तियां दर्ज की?

दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. इस दौरान बीते कुछ दिनों से पानी के बकाया बिल को लेकर बवाल जारी है. इसे देखते हुए बुधवार को उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री के नाम एक ओपन लेटर लिखा. उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को यह सलाह दी है कि जिन 17 लाख उपभोक्ताओं ने 2012 से लेकर अब तक पूरी ईमानदारी से जल बोर्ड के बिलों के रूप में 13,186 करोड रुपए का भुगतान किया है उन्हें भी ब्याज सहित उनकी पूरी रकम वापस की जानी चाहिए. एलजी ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को रोकने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए आरोप को झूठ बताया. उन्होंने कहा कि दूसरों पर दोषारोपण करके भाग जाने का यह एक और उदाहरण है.

क्या कहते हैं दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सदस्य?

दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सदस्य व नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने वास्तव में ऐसी कोई स्कीम ही नहीं बनाई है. अगर पहले से स्कीम बनी होती तो मंत्री को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दिशानिर्देश देने की जरूरत ही नहीं पड़ती. इस संबंध में विधानसभा में सबूत मांगा तो साफ मना कर दिया. स्कीम बनाने से पहले मुख्य सचिव और संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से ड्राफ्ट बनाया जाता है, फिर उसकी फिजिबिलिटी देखा जाता है. वन टाइम वॉटर बिल सेटलमेंट योजना आम लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है. ताकि लोगों का ध्यान दिल्ली सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार से हटाया जा सके. जल बोर्ड पर ना तो उपराज्यपाल का कोई अधिकार है और ना ही केंद्र का कोई हस्तक्षेप है. दिल्ली जल बोर्ड स्वायत्त संस्था है. ऐसे में यह कहना भाजपा स्कीम लागू नहीं होने दे रही यह गलत है.

केजरीवाल और LG में लेटर वॉर जारी

नई दिल्ली: दिल्ली में पानी के गलत बिलों के निपटान के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा प्रस्तावित वन टाइम सेटलमेंट स्कीम सुर्खियों में बनी हुई है. आम आदमी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि अधिकारियों पर दबाव बनाकर उपराज्यपाल इस स्कीम को लागू होने में अड़ंगा लगा रहे हैं. वहीं, बुधवार को एलजी वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाम एक ओपन लेटर लिखकर निशाना साधा. उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे पर लाए गए प्रस्ताव के उस हिस्से पर भी आपत्ति जताई जिसमें लिखा था कि "बीजेपी का उपराज्यपाल पर सीधा नियंत्रण है."

उपराज्यपाल के इस पत्र पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी देर रात उन्हें जवाबी पत्र भेजा. इसमें मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल के लेटर की भाषा पर आपत्ति जताई और कहा कि अधिकारियों पर वह एक्शन लें. जिससे उनके बीच एक सख्त संदेश जाए. ऐसे में पानी के बकाए बिल पर दिल्ली में टकराव क्यों है? इस संबंध में इस रिपोर्ट में जानिए.

दिल्ली सरकार द्वारा पानी के बकाया बिल माफी की योजना क्या है?

दिल्ली जल बोर्ड द्वारा जारी किए गए पानी के बिलों से लगभग 40 फीसद उपभोक्ता परेशान है. दिल्ली में लगभग 27 लाख से अधिक जल बोर्ड के कनेक्शन लगे हुए हैं, जिसमें से लगभग 10.6 लाख उपभोक्ताओं का यह कहना है कि जल बोर्ड द्वारा उन्हें जो बिल जारी किया गया है, वह उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए पानी की तुलना में बहुत अधिक है. केजरीवाल सरकार का कहना है 27 लाख उपभोक्ताओं में से लगभग 10.6 लाख उपभोक्ताओं का यह प्रश्न उठाना अपने आप में बड़ी बात है.

बकाया बिल नहीं देने वालों के केजरीवाल सरकार द्वारा वन टाइम सेटलमेंट स्कीम क्या है?

2023 जून में दिल्ली जल बोर्ड ने एक वैज्ञानिक तरीके से कंप्यूटराइज वन टाइम सेटलमेंट स्कीम बनाई. इसमें पुराने बढ़े हुए बिलों को एक बार में सेटलमेंट करने का एक फार्मूला तैयार किया गया है. करीब 10.6 लाख कंज्यूमर जिनके बिलों पर कुछ ना कुछ विवाद है, उनके पानी की खपत के असली बिलों को निकाल कर बिल जनरेट करने का प्रावधान रखा गया था. जैसे अगर किसी का पुराना बिल दो लाख रुपए का है और सेटलमेंट में उसको कहा जाता है कि वह 30 हज़ार जमा कर दे तो उसका पुराना सारा बिल क्लियर हो जाएगा और जीरो से उसके बिल की शुरुआत हो जाएगी. यह पॉलिसी दिल्ली जल बोर्ड के द्वारा पास कर दी गई थी मगर दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि कुछ अफसरों के कारण इस पॉलिसी को कैबिनेट में नहीं लाया जा रहा है.

पानी के बिल माफी की स्कीम लाने को लेकर कब से प्रक्रिया शुरू हुई?

यह वन टाइम सेटलमेंट स्कीम आज से लगभग 1 साल पहले 23 जनवरी 2023 को दिल्ली जल बोर्ड की बोर्ड मीटिंग में पास हुई थी. लगभग एक महीना पहले 25 जनवरी 2024 को यह प्रस्ताव फाइनेंस डिपार्टमेंट को यह कहकर भेजा गया, कि आप इस प्रस्ताव पर अपनी टिप्पणी दें. 5 फरवरी 2024 को फाइनेंस डिपार्टमेंट के एक अधिकारी की ओर से पत्र आया, कि इस प्रस्ताव से संबंधित ओरिजिनल फाइल दी जाए. जल बोर्ड की वह ओरिजिनल फाइल 9 फरवरी 2024 को फाइनेंस डिपार्टमेंट को दे दी गई.

स्कीम से संबंधित फ़ाइल अधिकारियों को देने के बाद क्या हुआ?

ओरिजिनल फाइल देने के बाद वित्त विभाग की ओर से उस पर कुछ प्रश्न लगा दी गई. उसके बाद वित्त मंत्री द्वारा उन सभी प्रश्नों का जवाब भी दे दिया गया साथ ही साथ इस पॉलिसी पर टिप्पणी भी दे दी गई. लेकिन, वित्त मंत्री द्वारा प्रस्ताव पर दी गई टिप्पणी को अस्वीकार कर दिया गया. जबकि 9 फरवरी को ओरिजिनल फाइल देते हुए यह निर्देश भी दिए गए की 12 फरवरी तक इस पर वित्त मंत्रालय द्वारा टिप्पणी दी जाएं और 14 फरवरी को इसे कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाए. परंतु निर्देश देने के बावजूद भी विभाग के अधिकारियों द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप है. 21 फरवरी 2024 को एक बार फिर से मुख्य सचिव को लिखित में निर्देश जारी किया गया कि इस सप्ताह के अंत तक इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लेकर आए, परंतु दोबारा लिखित आदेश जारी करने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई.

केजरीवाल सरकार की इस स्कीम को लेकर उपराज्यपाल ने क्या आपत्तियां दर्ज की?

दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. इस दौरान बीते कुछ दिनों से पानी के बकाया बिल को लेकर बवाल जारी है. इसे देखते हुए बुधवार को उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री के नाम एक ओपन लेटर लिखा. उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को यह सलाह दी है कि जिन 17 लाख उपभोक्ताओं ने 2012 से लेकर अब तक पूरी ईमानदारी से जल बोर्ड के बिलों के रूप में 13,186 करोड रुपए का भुगतान किया है उन्हें भी ब्याज सहित उनकी पूरी रकम वापस की जानी चाहिए. एलजी ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को रोकने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए आरोप को झूठ बताया. उन्होंने कहा कि दूसरों पर दोषारोपण करके भाग जाने का यह एक और उदाहरण है.

क्या कहते हैं दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सदस्य?

दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सदस्य व नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने वास्तव में ऐसी कोई स्कीम ही नहीं बनाई है. अगर पहले से स्कीम बनी होती तो मंत्री को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दिशानिर्देश देने की जरूरत ही नहीं पड़ती. इस संबंध में विधानसभा में सबूत मांगा तो साफ मना कर दिया. स्कीम बनाने से पहले मुख्य सचिव और संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से ड्राफ्ट बनाया जाता है, फिर उसकी फिजिबिलिटी देखा जाता है. वन टाइम वॉटर बिल सेटलमेंट योजना आम लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है. ताकि लोगों का ध्यान दिल्ली सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार से हटाया जा सके. जल बोर्ड पर ना तो उपराज्यपाल का कोई अधिकार है और ना ही केंद्र का कोई हस्तक्षेप है. दिल्ली जल बोर्ड स्वायत्त संस्था है. ऐसे में यह कहना भाजपा स्कीम लागू नहीं होने दे रही यह गलत है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.