ETV Bharat / state

जानकीपुरम प्लॉट आवंटन घोटाला, सीबीआई कोर्ट ने LDA के पूर्व संयुक्त सचिव समेत चार को सुनाई सजा - cbi court order

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 23, 2024, 6:36 PM IST

सीबीआई कोर्ट (CBI Court Order) ने जानकीपुरम भूखंड आवंटन में अनियमितता और घोटाले में लखनऊ विकास प्राधिकरण के तत्कालीन संयुक्त सचिव सहित चार आरोपियों को दोषी ठहराया है. कोर्ट ने दोषियों को कठोर कारावास और जुर्माने की सजाई है.

एलडीए अफसरों पर सीबीआई कोर्ट का आदेश.
एलडीए अफसरों पर सीबीआई कोर्ट का आदेश. (Photo Credit: ETV Bharat)

लखनऊ : सीबीआई अदालत ने वर्षों पुराने अरबों रुपये के जानकीपुरम भूखंड आवंटन में अनियमितताओं और घोटाले से संबंधित मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के तत्कालीन संयुक्त सचिव सहित चार आरोपियों को दोषी मानते हुए कठोर कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही दोषियों पर कुल 1.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.


सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश सीबीआई पश्चिम कोर्ट लखनऊ ने वर्ष 1987-1999 के दौरान लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की जानकीपुरम योजना के तहत भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं से संबंधित एक मामले में चार आरोपितों को 3-4 वर्ष की कठोर कारावास (आरआई) के साथ कुल 1.25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. कठोर कारावास एवं जुर्माने की सजा पाने वाले दोषियों में आरएन सिंह, तत्कालीन संयुक्त सचिव, एलडीए पर तीन वर्ष की कठोर कारावास के साथ 35 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका गया है.

इनमें राज नारायण द्विवेदी, लिपिक एलडीए को चार वर्ष के कठोर कारावास के साथ 60 हजार का जुर्माना, महेंद्र सिंह सेंगर, LDA के बाहर के व्यक्ति को तीन वर्ष की कठोर कारावास के साथ 15 हजार रुपये का जुर्माना एवं दिवाकर सिंह, निजी व्यक्ति को तीन वर्ष की कठोर कारावास के साथ 15 हजार रुपये का जुर्माना शामिल है. बता दें, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सिविल समादेश याचिका संख्या 7883/2006 थी. जिसको लेकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ पीठ के 21 फरवरी 2006 को आदेश दिया था. जिसका पालन करते हुए आरएन सिंह, संयुक्त सचिव, लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) एवं अन्य सहित सात आरोपितों के विरुद्ध मामला दर्ज किया था.

आरोप था कि वर्ष 1987 से 1999 की अवधि के दौरान एलडीए की जानकीपुरम योजना के अंतर्गत 123 भूखंडों को संयुक्त सचिव और उप सचिव स्तर के विभिन्न अधिकारियों द्वारा एलडीए के तत्कालीन प्रधान लिपिकों व अन्य लिपिकों की मिलीभगत से उन लोगों को आवंटित किया गया था, जिन्होंने पंजीकरण फॉर्म नहीं भरे थे तथा आवंटन एवं वितरण के लिए अपेक्षित रकम जमा नहीं की थी. जांच के बाद 6 फरवरी 2010 को सात आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया गया था. न्यायालय ने विचारण के पश्चात चार आरोपियों को दोषी ठहराया एवं उन्हें सजा सुनाई. दो आरोपियों की मृत्यु के कारण उनके विरुद्ध मुकदमा समाप्त कर दिया गया, जबकि एक आरोपित को बरी कर दिया गया था.


यह भी पढ़ें : पुलिस एकेडमी की जमीन हड़पने का मामला: आरोपी भगोड़ा घोषित, स्थाई गिरफ्तारी वारंट भी जारी

यह भी पढ़ें : अबू सलेम का फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले परवेज को राहत नहीं- सीबीआई कोर्ट ने अपील खारिज की, सजा बरकरार - CBI Court Order

लखनऊ : सीबीआई अदालत ने वर्षों पुराने अरबों रुपये के जानकीपुरम भूखंड आवंटन में अनियमितताओं और घोटाले से संबंधित मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के तत्कालीन संयुक्त सचिव सहित चार आरोपियों को दोषी मानते हुए कठोर कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही दोषियों पर कुल 1.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.


सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश सीबीआई पश्चिम कोर्ट लखनऊ ने वर्ष 1987-1999 के दौरान लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की जानकीपुरम योजना के तहत भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं से संबंधित एक मामले में चार आरोपितों को 3-4 वर्ष की कठोर कारावास (आरआई) के साथ कुल 1.25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. कठोर कारावास एवं जुर्माने की सजा पाने वाले दोषियों में आरएन सिंह, तत्कालीन संयुक्त सचिव, एलडीए पर तीन वर्ष की कठोर कारावास के साथ 35 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका गया है.

इनमें राज नारायण द्विवेदी, लिपिक एलडीए को चार वर्ष के कठोर कारावास के साथ 60 हजार का जुर्माना, महेंद्र सिंह सेंगर, LDA के बाहर के व्यक्ति को तीन वर्ष की कठोर कारावास के साथ 15 हजार रुपये का जुर्माना एवं दिवाकर सिंह, निजी व्यक्ति को तीन वर्ष की कठोर कारावास के साथ 15 हजार रुपये का जुर्माना शामिल है. बता दें, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सिविल समादेश याचिका संख्या 7883/2006 थी. जिसको लेकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ पीठ के 21 फरवरी 2006 को आदेश दिया था. जिसका पालन करते हुए आरएन सिंह, संयुक्त सचिव, लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) एवं अन्य सहित सात आरोपितों के विरुद्ध मामला दर्ज किया था.

आरोप था कि वर्ष 1987 से 1999 की अवधि के दौरान एलडीए की जानकीपुरम योजना के अंतर्गत 123 भूखंडों को संयुक्त सचिव और उप सचिव स्तर के विभिन्न अधिकारियों द्वारा एलडीए के तत्कालीन प्रधान लिपिकों व अन्य लिपिकों की मिलीभगत से उन लोगों को आवंटित किया गया था, जिन्होंने पंजीकरण फॉर्म नहीं भरे थे तथा आवंटन एवं वितरण के लिए अपेक्षित रकम जमा नहीं की थी. जांच के बाद 6 फरवरी 2010 को सात आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया गया था. न्यायालय ने विचारण के पश्चात चार आरोपियों को दोषी ठहराया एवं उन्हें सजा सुनाई. दो आरोपियों की मृत्यु के कारण उनके विरुद्ध मुकदमा समाप्त कर दिया गया, जबकि एक आरोपित को बरी कर दिया गया था.


यह भी पढ़ें : पुलिस एकेडमी की जमीन हड़पने का मामला: आरोपी भगोड़ा घोषित, स्थाई गिरफ्तारी वारंट भी जारी

यह भी पढ़ें : अबू सलेम का फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले परवेज को राहत नहीं- सीबीआई कोर्ट ने अपील खारिज की, सजा बरकरार - CBI Court Order

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.