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भूमि सर्वे में कैथी लिपि नहीं बनेगी बाधा, राजस्व विभाग ने जारी की सीखने की पुस्तिका - LAND REFORMS DEPARTMENT

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने कार्यालय कक्ष में कैथी लिपि पर लिखी गई पुस्तिका का विमोचन किया.

Land Reforms Department
कैथी लिपि पर लिखी गयी पुस्तक का विमोचन. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 5, 2024, 9:59 PM IST

पटनाः बिहार में भूमि सर्वे कराया जा रहा है. फिलहाल भूमि सर्वे का काम कुछ महीनों के लिए टाल दिया गया है. सर्वे के काम में सबसे ज्यादा परेशानी लोगों के सामने दस्तावेज को ठीक कराने को लेकर होने लगी. दरअसल पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में है. इसे जानने वाले लोगों की संख्या काफी कम रह गयी है. ऐसे में विशेष सर्वेक्षण प्रक्रिया में आम रैयतों के साथ-साथ सर्वे कर्मियों को भी अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था.

मंत्री ने पुस्तक का विमोचन कियाः राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने गुरुवार 5 दिसंबर को कार्यालय कक्ष में कैथी लिपि पर लिखी गई इस पुस्तिका का विमोचन किया. इस अवसर पर विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, सचिव जय सिंह, भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जे प्रियदर्शिनी उपस्थित थीं. इस पुस्तिका की मदद से आम रैयत भी इस लिपि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है. इस कार्य के लिए बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के शोध छात्र प्रीतम कुमार की सेवाएं ली गईं.

सीख सकते हैं कैथी लिपिः कैथी लिपि को जानने वाले अब बिहार में बहुत कम रह गए हैं भूमि के सर्वे का काम में बड़ी बाधा कागजात का कैथी लिपि में लिखा होना था सरकार चुनौतियों से लगातार जूझ रही थी. इन समस्याओं को देखते हुए राजस्व विभाग द्वारा कैथी लिपि से संबंधित एक पुस्तिका प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया. भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने अधिकारियों को कैथी भाषा सीखने के लिए पुस्तक लॉन्च किया है. यह पुस्तिका विभागीय वेबसाइट पर भी उपलब्ध है.

दस्तावेज के ट्रांसलेशन में हो रही थी वसूलीः पुराने कैथी में लिखित दस्तावेजों को हिंदी लिपि में रूपांतरित करने के लिए लोग निजी व्यक्तियों या पुराने सरकारी कर्मियों का सहारा ले रहे थे. इसके लिए वे अनावश्यक राशि की वसूली कर रहे थे. अधिकांश लोगों ने इस संबंध में विभाग और क्षेत्रीय कार्यालयों में अपनी समस्याएं रखी थीं. इसी के आलोक में विभाग ने इस पुस्तिका के प्रकाशन का निर्णय लिया.

राज्य के रैयत होंगे लाभान्वितः सात जिलों में चलाया गया था प्रशिक्षण कार्यक्रमः पश्चिम चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर, सीवान, सारण, मुंगेर एवं जमुई के बंदोबस्त कार्यालयों में पदस्थापित विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. विभाग द्वारा उठाए गए इस कदम से राज्य के सभी वैसे रैयत लाभान्वित होंगे जिनके पास भू- स्वामित्व से संबंधित पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में लिखे हुए हैं. उसके आधार पर ही उनकी भूमि के स्वामित्व का निर्धारण वर्तमान सर्वे की प्रक्रिया में किया जाना है.

इसे भी पढ़ेंः 'कैथी लिपि' बनी बिहार भूमि सर्वे की बड़ी चुनौती, दस्तावेज समझने के लिए जानकारों की कमी से हो रही परेशानी - Bihar land survey

पटनाः बिहार में भूमि सर्वे कराया जा रहा है. फिलहाल भूमि सर्वे का काम कुछ महीनों के लिए टाल दिया गया है. सर्वे के काम में सबसे ज्यादा परेशानी लोगों के सामने दस्तावेज को ठीक कराने को लेकर होने लगी. दरअसल पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में है. इसे जानने वाले लोगों की संख्या काफी कम रह गयी है. ऐसे में विशेष सर्वेक्षण प्रक्रिया में आम रैयतों के साथ-साथ सर्वे कर्मियों को भी अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था.

मंत्री ने पुस्तक का विमोचन कियाः राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने गुरुवार 5 दिसंबर को कार्यालय कक्ष में कैथी लिपि पर लिखी गई इस पुस्तिका का विमोचन किया. इस अवसर पर विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, सचिव जय सिंह, भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जे प्रियदर्शिनी उपस्थित थीं. इस पुस्तिका की मदद से आम रैयत भी इस लिपि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है. इस कार्य के लिए बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के शोध छात्र प्रीतम कुमार की सेवाएं ली गईं.

सीख सकते हैं कैथी लिपिः कैथी लिपि को जानने वाले अब बिहार में बहुत कम रह गए हैं भूमि के सर्वे का काम में बड़ी बाधा कागजात का कैथी लिपि में लिखा होना था सरकार चुनौतियों से लगातार जूझ रही थी. इन समस्याओं को देखते हुए राजस्व विभाग द्वारा कैथी लिपि से संबंधित एक पुस्तिका प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया. भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने अधिकारियों को कैथी भाषा सीखने के लिए पुस्तक लॉन्च किया है. यह पुस्तिका विभागीय वेबसाइट पर भी उपलब्ध है.

दस्तावेज के ट्रांसलेशन में हो रही थी वसूलीः पुराने कैथी में लिखित दस्तावेजों को हिंदी लिपि में रूपांतरित करने के लिए लोग निजी व्यक्तियों या पुराने सरकारी कर्मियों का सहारा ले रहे थे. इसके लिए वे अनावश्यक राशि की वसूली कर रहे थे. अधिकांश लोगों ने इस संबंध में विभाग और क्षेत्रीय कार्यालयों में अपनी समस्याएं रखी थीं. इसी के आलोक में विभाग ने इस पुस्तिका के प्रकाशन का निर्णय लिया.

राज्य के रैयत होंगे लाभान्वितः सात जिलों में चलाया गया था प्रशिक्षण कार्यक्रमः पश्चिम चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर, सीवान, सारण, मुंगेर एवं जमुई के बंदोबस्त कार्यालयों में पदस्थापित विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. विभाग द्वारा उठाए गए इस कदम से राज्य के सभी वैसे रैयत लाभान्वित होंगे जिनके पास भू- स्वामित्व से संबंधित पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में लिखे हुए हैं. उसके आधार पर ही उनकी भूमि के स्वामित्व का निर्धारण वर्तमान सर्वे की प्रक्रिया में किया जाना है.

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