कानपुर: शहर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में दो दिनों पहले लेडी डॉक्टर दीक्षा की छत से गिरकर मौत हो गई थी. पुलिस ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो सीसीटीवी फुटेज में यह बात सामने आई कि डॉक्टर दीक्षा अपने दो डॉक्टर मित्रों के साथ 4 फीट ऊंची दीवार फांदकर मेडिकल कॉलेज के अंदर पहुंची थी. खुद डीसीपी सेंट्रल आरएस गौतम ने इस बात की पुष्टि की है.
डीसीपी सेंट्रल आरएस गौतम ने बताया, कि मेडिकल कॉलेज परिसर में अलग-अलग स्थानों पर लगे सीसीटीवी फुटेज में तीनों ही डॉक्टर नजर आए हैं. स्टेट बैंक, पोस्ट ऑफिस, और एटीएम के बाहर लगे सीसी कैमरा में डॉक्टर दीक्षा, डॉक्टर हिमांशु और डॉक्टर मयंक भी जाते हुए दिखे हैं. वह परिसर में एक स्कूटी से आए थे. फुटेज में भी डॉक्टर दीक्षा, डॉक्टर हिमांशु का हाथ पकड़े हुए दिखी. जबकि, डॉक्टर मयंक उसके पीछे चल रहे थे. वहीं, नीचे उतरने के दौरान डॉक्टर हिमांशु को चोट आई और फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.
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अब बारकोड वाले वाहनों को मिलेगा प्रवेश, लगेंगे 40 और कैमरे: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर दीक्षा की मौत के बाद जिम्मेदारों ने सबक लिया है. मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए अब मेडिकल कॉलेज के मुख्य द्वार पर जहां बारकोड वाले वाहनों को ही प्रवेश दिया जाएगा. तो वहीं, पूरे कैंपस में 40 और उच्च गुणवत्ता और तकनीक वाले कैमरे लगाए जाएंगे. प्राचार्य का कार्यभार देख रहीं वरिष्ठ प्रोफेसर डॉक्टर रिचा गिरी ने कहा, कि हमने मेडिकल कॉलेज कैंपस की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए नया खाका खींचा है. इसमें मुख्य द्वार पर अब उन वाहनों को ही प्रवेश दिया जाएगा, जो बारकोड से लैस होंगे. वहीं, पूरे परिसर में कैमरे की संख्या को बढ़ाकर 100 किया जा रहा है. ब्लैक स्पॉट क्षेत्र में हाईमास्ट लाइटें भी लगाई जायेंगी. जिससे हर गतिविधि को कमरे में कैद किया जा सके. सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ने से कैंपस में डॉक्टर पूरी तरह से सुरक्षित रह सकेंगे.
साथी डॉक्टर पर लगाए छत से फेंकने के आरोप: डॉक्टर दीक्षा की मौत मामले में जहां पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद इस घटना को एक हादसा माना है. वहीं, परिजन लगातार साथी डॉक्टरों पर दीक्षा को छत से फेंकने का ही आरोप लगा रहे हैं. हालांकि, परिजनों ने अभी तक पुलिस को किसी तरह की लिखित रूप से तहरीर नहीं दी है. ऐसे में पुलिस अपने तरीके से ही जांच कर रही है. डीसीपी सेंट्रल आरएस गौतम ने बताया, कि जिन दो डॉक्टर्स को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. फिलहाल, उन्हें यह कहकर छोड़ दिया गया है कि अगर कभी जरूरत पड़ी तो उन्हें थाने आना होगा. उन्होंने कहा कि जब तक परिजन लिखित रूप से कोई तहरीर नहीं देते,तब तक किसी भी व्यक्ति के खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है.
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