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कुशीनगर में नारायणी नदी का पानी गांवो से लौटा, बाढ़ प्रभावित लोगों को मिली थोड़ी राहत, स्वास्थ टीम कर रही कैम्प - Kushinagar Flood

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

कुशीनगर नेपाल से पानी आने के बाद नारायणी गंडक नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था. जिसमें कई गांवों में पानी घुस गया था. आज पानी का जलस्तर कम हुआ है. ग्रामिणों ने राहत की सांस ली है.

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कुशीनगर से बाढ़ का पानी हुआ कम (photo credit- Etv Bharat)

कुशीनगर: जिले में तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है. नेपाल के बाल्मिकीनगर बैराज से अचानक 6 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छूटने के बाद नारायणी गंडक नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था. जिसमें कुशीनगर और महराजगंज जिले के 12 गांवों में पानी घुस गया था. सोमवार से पानी धीरे -धीरे कम होना शुरू हो गया है. जिससे बाढ़ प्रभावित गांवों को राहत मिली है. सालिकपुर, विशेषरपुर और महादेवा समेत कई गांवों में बाढ़ का पानी कम हुआ है, जिससे लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं.

हालांकि, कई गांव अभी भी जलमग्न हैं और उन्हें निकालने का काम जारी है. महादेवा गांव के बाढ़ पीड़ित निजामुद्दीन ने कहा, लोग चिंतित थे, उनके बंधे हुए जानवर और छोटे बच्चे चले गए थे. आज सुबह पानी निकल गया है और लोग अब वापस आने लगे हैं. लोगों के स्वास्थ्य की जांच के लिए कुछ मेडिकल टीमें आई हैं.

जलस्तर बढ़ने से प्रभावित गांवो का विधायक खड्डा विवेकानंद पांडेय, जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज एवं पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा ने निरीक्षण किया था. डीएम ने उप जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए बाढ़ राहत के दृष्टिगत सभी बाढ़ राहत शिविर स्थल सक्रिय करने के निर्देश दिये थे. जिसके बाद बाढ़ सुरक्षा चौकी, शरणार्थी स्थल, तथा कम्युनिटी किचन को सक्रिय किया गया. जिला प्रशासन ने किसी भी आपदा की स्थिति में ग्रामवासी जिला प्रशासन कुशीनगर के आपदा राहत कण्ट्रोल रूम का नम्बर-05564-240590, मोबाइल नं 9454416282 एवं टोल फ्री नम्बर-1077 पर सम्पर्क नंबर जारी किया है.

इसे भी पढ़े-राप्ती का रौद्र रूपः ग्रामीण खुद ही उजाड़ रहे आशियाने, 600 बीघे धान और गन्ना के खेत भी नदी में समाए - Rapti river wreaks


कुशीनगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. सुरेश पटारिया ने कहा, कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें प्रभावित गांवों में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं. हाल ही में हुई बारिश के कारण पानी अचानक बढ़ गया था. हमारी टीम गांवों का दौरा कर रही है, शिविर लगा रही है और प्रभावित लोगों को उपचार मुहैया करा रही है. जलस्तर में कमी के कारण बीमारियों के बढ़ने की संभावना अधिक है. इसलिए वे दवाइयां, सांपों के जहर से बचाव और रेबीज से बचाव के उपचार मुहैया कराकर पूरी तरह तैयार हैं.


डॉ. सुरेश पटारिया ने कहा, स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट है. पानी में कमी के कारण बीमारियों के बढ़ने की संभावना अधिक है. इसके लिए मैंने अपनी पूरी टीम को अलर्ट कर दिया है. हम एंबुलेंस और मेडिकल मोबाइल यूनिट सहित दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के साथ पूरी तरह से तैयार हैं. डॉक्टरों, दवाओं और जांच उपकरणों से लैस मोबाइल यूनिट हर दिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर आवश्यक चिकित्सा सेवाएं मुहैया करा रही है. कई ग्रामीण बाढ़ के दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर चिंतित हैं. महादेवा के निवासी भीम बाली ने कहा, यह एक भयानक बाढ़ थी. इलाके के लोगों ने बताया कि बारिश का मौसम जारी रहने के कारण, उम्मीद है कि बाढ़ का पानी वापस नहीं आएगा. हमें इतना पानी आने की उम्मीद नहीं थी. यह 45 वर्षों में देखी गई सबसे खराब बाढ़ है.


यह भी पढ़े-यूपी में आफत की बाढ़: श्रावस्ती के इस गांव को लील रही राप्ती, 150 बीघा खेत-8 मकान नदी में समाए; बचे परिवार अब खुद ही तोड़ रहे अपना घर - Rapti river flood in Shravasti

कुशीनगर: जिले में तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है. नेपाल के बाल्मिकीनगर बैराज से अचानक 6 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छूटने के बाद नारायणी गंडक नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था. जिसमें कुशीनगर और महराजगंज जिले के 12 गांवों में पानी घुस गया था. सोमवार से पानी धीरे -धीरे कम होना शुरू हो गया है. जिससे बाढ़ प्रभावित गांवों को राहत मिली है. सालिकपुर, विशेषरपुर और महादेवा समेत कई गांवों में बाढ़ का पानी कम हुआ है, जिससे लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं.

हालांकि, कई गांव अभी भी जलमग्न हैं और उन्हें निकालने का काम जारी है. महादेवा गांव के बाढ़ पीड़ित निजामुद्दीन ने कहा, लोग चिंतित थे, उनके बंधे हुए जानवर और छोटे बच्चे चले गए थे. आज सुबह पानी निकल गया है और लोग अब वापस आने लगे हैं. लोगों के स्वास्थ्य की जांच के लिए कुछ मेडिकल टीमें आई हैं.

जलस्तर बढ़ने से प्रभावित गांवो का विधायक खड्डा विवेकानंद पांडेय, जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज एवं पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा ने निरीक्षण किया था. डीएम ने उप जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए बाढ़ राहत के दृष्टिगत सभी बाढ़ राहत शिविर स्थल सक्रिय करने के निर्देश दिये थे. जिसके बाद बाढ़ सुरक्षा चौकी, शरणार्थी स्थल, तथा कम्युनिटी किचन को सक्रिय किया गया. जिला प्रशासन ने किसी भी आपदा की स्थिति में ग्रामवासी जिला प्रशासन कुशीनगर के आपदा राहत कण्ट्रोल रूम का नम्बर-05564-240590, मोबाइल नं 9454416282 एवं टोल फ्री नम्बर-1077 पर सम्पर्क नंबर जारी किया है.

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कुशीनगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. सुरेश पटारिया ने कहा, कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें प्रभावित गांवों में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं. हाल ही में हुई बारिश के कारण पानी अचानक बढ़ गया था. हमारी टीम गांवों का दौरा कर रही है, शिविर लगा रही है और प्रभावित लोगों को उपचार मुहैया करा रही है. जलस्तर में कमी के कारण बीमारियों के बढ़ने की संभावना अधिक है. इसलिए वे दवाइयां, सांपों के जहर से बचाव और रेबीज से बचाव के उपचार मुहैया कराकर पूरी तरह तैयार हैं.


डॉ. सुरेश पटारिया ने कहा, स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट है. पानी में कमी के कारण बीमारियों के बढ़ने की संभावना अधिक है. इसके लिए मैंने अपनी पूरी टीम को अलर्ट कर दिया है. हम एंबुलेंस और मेडिकल मोबाइल यूनिट सहित दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के साथ पूरी तरह से तैयार हैं. डॉक्टरों, दवाओं और जांच उपकरणों से लैस मोबाइल यूनिट हर दिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर आवश्यक चिकित्सा सेवाएं मुहैया करा रही है. कई ग्रामीण बाढ़ के दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर चिंतित हैं. महादेवा के निवासी भीम बाली ने कहा, यह एक भयानक बाढ़ थी. इलाके के लोगों ने बताया कि बारिश का मौसम जारी रहने के कारण, उम्मीद है कि बाढ़ का पानी वापस नहीं आएगा. हमें इतना पानी आने की उम्मीद नहीं थी. यह 45 वर्षों में देखी गई सबसे खराब बाढ़ है.


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