कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में अब पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा रोपवे को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. ताकि रोपवे के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के अनछुए पर्यटन स्थलों को भी विकसित किया जाए और प्रकृति का कम से कम नुकसान हो सके. ऐसे में जिला कुल्लू में देवता बिजली महादेव के दर्शनों के लिए भी सैलानियों की राह आसान होने जा रही है और केंद्र सरकार के सहयोग से यहां पर रोपवे का भी निर्माण किया जाना है, लेकिन यह रोपवे अपने निर्माण से पहले ही विवादों में आ गया है. खराहल व कशावरी फाटी के लोग इस रोपवे का विरोध कर रहे हैं. हालांकि अभी तक धरने प्रदर्शन के जरिए ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं. साथ ही इस रोपवे निर्माण को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को ज्ञापन भी भेजे जा रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के मुख्यालय के साथ खराहल घाटी के शीर्ष पर भगवान बिजली महादेव का मंदिर स्थापित है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसके प्रति देश-विदेश में लोगों की काफी आस्था भी है. भगवान बिजली महादेव के दर्शनों के लिए फिलहाल सड़क के माध्यम से पहुंचा जा सकता है और सड़क से जंगल के रास्ते होते हुए मंदिर तक 2 किलोमीटर तक का सफर पैदल ही पूरा करना पड़ता है. सड़क तंग होने के चलते गर्मियों में यहां पर काफी ट्रैफिक जाम भी लगता है.
ऐसे में सैलानियों की सुविधा के लिए सरकार द्वारा रोपवे निर्माण की प्रक्रिया को शुरू किया गया है. ताकि पर्यटकों को ट्रैफिक जाम से ना जूझना पड़े और खराहल घाटी के लोगों को भी रोपवे के माध्यम से फायदा मिल सके. भगवान बिजली महादेव के मंदिर के बारे में धार्मिक मान्यता है कि यहां पर कुछ सालों के बाद आसमानी बिजली गिरती है, जिससे शिवलिंग पूरी तरह से खंडित हो जाता है. फिर पुजारी द्वारा शिवलिंग को मक्खन से जोड़ा जाता है और इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में सैलानी बिजली महादेव पहुंचते हैं.
इस रोपवे बन जाने के बाद सैलानी जल्द ही बिजली महादेव का सफर पूरा कर सकेंगे. यह रोपवे ब्यास नदी के किनारे नेचर पार्क मोहल से बनाया जाएगा. बिजली महादेव तक इस रोपवे की लंबाई 2.33 किलोमीटर होगी. वहीं, इसके लिए लोक निर्माण विभाग के द्वारा टेंडर भी निकाले गए थे, लेकिन मंजूरी न मिलने के कारण उन्हें रद्द किया गया था. अब जल्द ही इस रोपवे का कार्य शुरू कर दिया जाएगा. अब केंद्र सरकार के द्वारा इसके लिए 226 करोड़ रुपए की राशि भी जारी की गई है.
बिजली महादेव रोपवे का कार्य लंबे समय से अटका हुआ था. ऐसे में बीते 1 साल में इस रोपवे बनाने को लेकर सरकार द्वारा कवायद तेज की गई. हालांकि बीच में केंद्र सरकार और राज्य सरकार में मुनाफे का हिस्सा सही ना होने के चलते यह ठंडे बस्ते में चला गया था. 11 अक्टूबर 2023 को कैबिनेट की बैठक मे रोपवे को मंजूरी प्रदान नहीं की गई थी, लेकिन अब केंद्र और प्रदेश सरकार मुनाफा आधा करने पर राजी हो गई है. एनएचएआई द्वारा नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड को बिजली महादेव रोपवे की नोडल एजेंसी बनाया गया है. अब इसके लिए बजट का भी प्रावधान हो गया है और उम्मीद जताई जा रही है कि टेंडर भी जल्द किया जाएगा. ताकि इसका निर्माण कार्य शुरू हो सके.
गौरतलब है कि देश-विदेश से लाखों सैलानी कुल्लू मनाली घूमने के लिए आते हैं. मनाली आने के बाद सैलानी जहां अटल टनल रोहतांग का मजा लेते हैं. वहीं, मोहल में रोपवे लगने से सैलानी अब आसानी से बिजली महादेव का भी रुख कर सकेंगे. इससे जहां खराहल घाटी और कुल्लू में पर्यटन कारोबार बढ़ेगा. वहीं, रोपवे के माध्यम से पर्यटक कुछ मिनट में ही बिजली महादेव तक पहुंच पाएंगे. गौरतलब है कि फिलहाल बिजली महादेव पहुंचने के लिए सैलानियों को 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है और ट्रैफिक जाम की दिक्कतों से भी उन्हें जूझना पड़ता है.
गौर रहे कि बिजली महादेव रोपवे निर्माण की प्रक्रिया पूर्व भाजपा सरकार के समय में शुरू हो गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी अपने हर मंच से बिजली महादेव ग्रुप में निर्माण की बात को कहते थे. वहीं मंच के माध्यम से इस रोपवे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट में कहा जाता था. ऐसे में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस पर अब काम शुरू कर दिया है. खराहल और कशावरी फाटी के लोगों का कहना है कि रोपवे निर्माण कार्य के मामले में देवता बिजली महादेव ने साफ रूप से मनाही की है और कहा है कि अगर यहां पर रोपवे लगाया गया तो आगामी समय में इसके अंजाम सही नहीं होंगे.
ग्रामीण मात्र देव आदेश की पालना करते हुए इसका विरोध कर रहे हैं. वह इसके लिए बीते दिनों ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी दिल्ली में मिले थे. ग्रामीणों का कहना है कि जिला कुल्लू देवी देवताओं की भूमि है और देवताओं का आशीर्वाद ग्रामीणों के लिए सर्वोपरि है. देवता के आदेश के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले फ्रांस की फोर्ड कंपनी द्वारा भी मनाली में स्की विलेज बनाने की योजना तैयार की गई थी. स्की विलेज का विरोध भी यहां पर स्थानीय लोगों द्वारा किया गया था और यह बात कही गई थी कि अगर स्की विलेज यहां पर बनाया जाता है तो इससे जंगलों में देवी देवताओं की पवित्र भूमि अपवित्र हो जाएगी. ऐसे में यह मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के बीच चला और देव आदेश को देखते हुए बाद में इस प्रोजेक्ट को ही रद्द कर दिया गया था.
बिजली महादेव रोपवे निर्माण को लेकर खराहल व कशावरी फाटी के लोगों के द्वारा धरना प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन अभी तक इस धरने प्रदर्शन को किसी भी राजनीतिक दल का साथ नहीं मिल पाया है. क्योंकि पूर्व भाजपा सरकार ने भी अपने समय में स्वरूप में निर्माण की बात हर मंच से कही थी और कांग्रेस भी इसके लिए आज के समय में काम कर रही है. ऐसे में राजनीतिक दलों द्वारा फिलहाल इस प्रदर्शन से किनारा किया जा रहा है, लेकिन आने वाले वक्त में किस राजनीतिक दल को इसका खामियाजा भुगतना होगा. उसके बारे में विरोध प्रदर्शन करने वाले ग्रामीणों द्वारा भी रणनीति तैयार की जा रही है.
मनाली के रहने वाले पर्यावरणविद् किशन ठाकुर का कहना है कि पहाड़ों पर पर्यटन को विकसित करने के लिए रोपवे एक अच्छा माध्यम है. इससे पहाड़ों पर काफी कम नुकसान होगा. हिमाचल के कई अन्य इलाकों में भी रोपवे लगाए जाने है, जिससे प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन जिला कुल्लू और हिमाचल देवभूमि भी है और देवी देवताओं का आदेश लोगों के लिए सर्वोपरि है. ऐसे में रोपवे मामले में सरकार को स्थानीय लोगों से भी चर्चा करनी चाहिए.
देवता बिजली महादेव के कारदार वीरेंद्र जमवाल, मंदिर कमेटी के सचिव हेमराज शर्मा का कहना है कि खराहल घाटी के ग्रामीण रोपवे के विरोध में है. सरकार से भी मांग की गई है कि वह ग्रामीणों की बात को सुने. देवता बिजली महादेव द्वारा भी इस रोपवे निर्माण पर आपत्ति जताई गई है, लेकिन अगर सरकार द्वारा उसके बाद भी इसका निर्माण किया गया तो मजबूरन ग्रामीणों को आंदोलन करना होगा.
बीते दिन आयोजित धरना प्रदर्शन में भाग लेने पहुंचे पुइद पंचायत के प्रधान सर चंद का कहना है कि वह लगातार ग्रामीणों के साथ इस मामले को लेकर बैठक कर रहे हैं और बिजली महादेव रोपवे का विरोध किया जा रहा है. सरकार जब तक उनकी बात को नहीं मानती है, तब तक इस रोपवे का विरोध जारी रहेगा. ग्राम पंचायत जिया के प्रधान संजीव कुमार का कहना है कि देवता बिजली महादेव का आदेश सर्वोपरि है. ग्रामीण भी देवता के आदेश का सम्मान करते हैं. सरकार को भी इस बात को मानना होगा और बिजली महादेव रोपवे के प्रोजेक्ट को रद्द करना होगा.
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