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यूपी के किसानों का खजाना भर देगा ये 'कुबेर'; कानपुर के वैज्ञानिकों ने खोजी चने की नई किस्म, होगी बंपर पैदावार - Indian Pulses Research Institute - INDIAN PULSES RESEARCH INSTITUTE

आईआईपीआर कानपुर में देसी चने की नई प्रजाति तैयार हुई है जिससे एक हेक्टेयर में 20 क्विंटल पैदावार होगी. अगले साथ इसके बीज किसानों को उपलब्ध करा दिए जाएंगे. मात्र 135 दिन में चने की फसल तैयार हो जाएगी.

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चने की नई प्रजाति तैयार (photo Credits ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 28, 2024, 6:31 PM IST

Updated : Aug 28, 2024, 7:03 PM IST

आईआईपीआर के निदेशक डॉ.जीपी दीक्षित (Video Credits ETV Bharat)

कानपुर: भारतीय दलहन अनुंसधान संस्थान यानि आईआईपीआर कानपुर के वैज्ञानिकों ने सालों के शोध के बाद हाल ही में काबुली चने की नई प्रजाति कंचन को विकसित किया था. अब, शोध को आगे बढ़ाते हुए आईआईपीआर के वैज्ञानिकों ने देसी चना की नई प्रजाति कुबेर को विकसित कर दिया है. कुबेर की खासियत यह है, कि देशभर के किसान एक हेक्टेयर में इसे 20 क्विंटल तक उगा सकेंगे. जबकि देसी चने में अभी तक किसानों को एक हेक्टेयर में 16 से 17 क्विंटल तक ही फसल का उत्पादन मिलता रहा है. ऐसे में कुबेर से पैदावार अधिक होगी तो किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी.

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चने की नई किस्म से किसान होंगे मालामाल (photo Credits ETV Bharat)

इस पूरे मामले पर आईआईपीआर के निदेशक डॉ.जीपी दीक्षित ने बताया, कि कुबेर को किसान 130 से 135 दिनों के अंदर तैयार कर सकेंगे. देसी चने की यह प्रजाति पूरी तरह से रोगमुक्त है. वहीं, एक और खास बात यह भी है जब उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हमारे वैज्ञानिकों ने कुबेर को विकसित किया तो सभी जगह हमें शानदार परिणाम मिले. इससे हम आश्वस्त हैं, कि देसी चने की यह प्रजाति कुबेर किसानों के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होगी. निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने कहा, कि अगले साल 2025 से हम देशभर के किसानों को कुबेर के बीज संस्थान और अपने अन्य सम्बद्ध केंद्रों से मुहैया करा देंगे.

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस साल कई ऐसी प्रजातियों को विकसित कर दिया है, जिनकी पूरे देश में खूब चर्चा है. वैज्ञानिकों के शोध कार्यों की सभी जगह प्रशंसा हो रही है, इन नई विकसित प्रजातियों में अरहर की दो किस्में- आईपीएच 9-5 और आईपीएच 15-3 शामिल हैं। जिन्हें 140 से 145 दिनों में तैयार किया जा सकता है. इसी तरह 52 दिनों में तैयार होने वाली विराट मूंग भी किसानों की पहली पसंद बन चुकी है. वहीं, कुछ दिनों पहले प्रोटीन का पावर हाउस कही जाने वाली उरद की प्रजाति नर्मदा को भी यहां के वैज्ञानिकों ने विकसित कर दिया था.

ये भी पढ़ें : IIPR Kanpur के वैज्ञानिक युवाओं और उद्यमियों को दे रहे स्टार्टअप शुरू करने के टिप्स, जानें क्या है प्रोसेस

आईआईपीआर के निदेशक डॉ.जीपी दीक्षित (Video Credits ETV Bharat)

कानपुर: भारतीय दलहन अनुंसधान संस्थान यानि आईआईपीआर कानपुर के वैज्ञानिकों ने सालों के शोध के बाद हाल ही में काबुली चने की नई प्रजाति कंचन को विकसित किया था. अब, शोध को आगे बढ़ाते हुए आईआईपीआर के वैज्ञानिकों ने देसी चना की नई प्रजाति कुबेर को विकसित कर दिया है. कुबेर की खासियत यह है, कि देशभर के किसान एक हेक्टेयर में इसे 20 क्विंटल तक उगा सकेंगे. जबकि देसी चने में अभी तक किसानों को एक हेक्टेयर में 16 से 17 क्विंटल तक ही फसल का उत्पादन मिलता रहा है. ऐसे में कुबेर से पैदावार अधिक होगी तो किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी.

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चने की नई किस्म से किसान होंगे मालामाल (photo Credits ETV Bharat)

इस पूरे मामले पर आईआईपीआर के निदेशक डॉ.जीपी दीक्षित ने बताया, कि कुबेर को किसान 130 से 135 दिनों के अंदर तैयार कर सकेंगे. देसी चने की यह प्रजाति पूरी तरह से रोगमुक्त है. वहीं, एक और खास बात यह भी है जब उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हमारे वैज्ञानिकों ने कुबेर को विकसित किया तो सभी जगह हमें शानदार परिणाम मिले. इससे हम आश्वस्त हैं, कि देसी चने की यह प्रजाति कुबेर किसानों के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होगी. निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने कहा, कि अगले साल 2025 से हम देशभर के किसानों को कुबेर के बीज संस्थान और अपने अन्य सम्बद्ध केंद्रों से मुहैया करा देंगे.

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस साल कई ऐसी प्रजातियों को विकसित कर दिया है, जिनकी पूरे देश में खूब चर्चा है. वैज्ञानिकों के शोध कार्यों की सभी जगह प्रशंसा हो रही है, इन नई विकसित प्रजातियों में अरहर की दो किस्में- आईपीएच 9-5 और आईपीएच 15-3 शामिल हैं। जिन्हें 140 से 145 दिनों में तैयार किया जा सकता है. इसी तरह 52 दिनों में तैयार होने वाली विराट मूंग भी किसानों की पहली पसंद बन चुकी है. वहीं, कुछ दिनों पहले प्रोटीन का पावर हाउस कही जाने वाली उरद की प्रजाति नर्मदा को भी यहां के वैज्ञानिकों ने विकसित कर दिया था.

ये भी पढ़ें : IIPR Kanpur के वैज्ञानिक युवाओं और उद्यमियों को दे रहे स्टार्टअप शुरू करने के टिप्स, जानें क्या है प्रोसेस

Last Updated : Aug 28, 2024, 7:03 PM IST
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