कानपुर: भारतीय दलहन अनुंसधान संस्थान यानि आईआईपीआर कानपुर के वैज्ञानिकों ने सालों के शोध के बाद हाल ही में काबुली चने की नई प्रजाति कंचन को विकसित किया था. अब, शोध को आगे बढ़ाते हुए आईआईपीआर के वैज्ञानिकों ने देसी चना की नई प्रजाति कुबेर को विकसित कर दिया है. कुबेर की खासियत यह है, कि देशभर के किसान एक हेक्टेयर में इसे 20 क्विंटल तक उगा सकेंगे. जबकि देसी चने में अभी तक किसानों को एक हेक्टेयर में 16 से 17 क्विंटल तक ही फसल का उत्पादन मिलता रहा है. ऐसे में कुबेर से पैदावार अधिक होगी तो किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी.
इस पूरे मामले पर आईआईपीआर के निदेशक डॉ.जीपी दीक्षित ने बताया, कि कुबेर को किसान 130 से 135 दिनों के अंदर तैयार कर सकेंगे. देसी चने की यह प्रजाति पूरी तरह से रोगमुक्त है. वहीं, एक और खास बात यह भी है जब उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हमारे वैज्ञानिकों ने कुबेर को विकसित किया तो सभी जगह हमें शानदार परिणाम मिले. इससे हम आश्वस्त हैं, कि देसी चने की यह प्रजाति कुबेर किसानों के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होगी. निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने कहा, कि अगले साल 2025 से हम देशभर के किसानों को कुबेर के बीज संस्थान और अपने अन्य सम्बद्ध केंद्रों से मुहैया करा देंगे.
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस साल कई ऐसी प्रजातियों को विकसित कर दिया है, जिनकी पूरे देश में खूब चर्चा है. वैज्ञानिकों के शोध कार्यों की सभी जगह प्रशंसा हो रही है, इन नई विकसित प्रजातियों में अरहर की दो किस्में- आईपीएच 9-5 और आईपीएच 15-3 शामिल हैं। जिन्हें 140 से 145 दिनों में तैयार किया जा सकता है. इसी तरह 52 दिनों में तैयार होने वाली विराट मूंग भी किसानों की पहली पसंद बन चुकी है. वहीं, कुछ दिनों पहले प्रोटीन का पावर हाउस कही जाने वाली उरद की प्रजाति नर्मदा को भी यहां के वैज्ञानिकों ने विकसित कर दिया था.