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जलकलश यात्रा के साथ कुबेर महोत्सव का शुभारंभ, स्थानीय संस्कृति की दिखेगी झलक

Kuber Mahotsav पांडुकेश्वर में जलकलश यात्रा के साथ भगवान कुबेर देवता के महायज्ञ का शुभारंभ हो गया है. कार्यक्रम में स्थानीय लोगों के साथ-साथ बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्म अधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने हिस्सा लिया. यह कार्यक्रम 7 दिनों तक चलेगा.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 7, 2024, 9:07 PM IST

Updated : Feb 7, 2024, 10:36 PM IST

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जलकलश यात्रा के साथ कुबेर महोत्सव का शुभारंभ

थराली: भगवान बदरी विशाल के शीतकालीन धाम पांडुकेश्वर में सात दिवसीय कुबेर महोत्सव का आयोजन किया गया है. यह धार्मिक आयोजन 7 दिनों तक चलेगा, जबकि 14 फरवरी को कार्यक्रम का समापन होगा. स्थानीय लोगों ने बताया कि भगवान कुबेर के नवनिर्मित मंदिर के बाद देवरा महोत्सव का आयोजन किया गया है. यह आयोजन 12 वर्ष के बाद हो रहा है. इस आयोजन में भगवान कुबेर की मूर्ति को उनके नवनिर्मित मंदिर में स्थापित किया जाएगा.

कुबेर देवता स्थानीय लोगों के आराध्य देव: बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्म अधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि कुबेर देवता स्थानीय लोगों के आराध्य देव हैं. बदरीनाथ यात्रा के दौरान ग्रीष्मकल में कुबेर की चलविग्रह डोली बदरीनाथ धाम में विराजमान रहती है. उन्होंने कहा कि भगवान के नवनिर्मित मंदिर में कुबेर की मूर्ति स्थापना के बाद यह महायज्ञ किया गया है.

कार्यक्रम में स्थानीय संस्कृति की दिखेगी झलक: स्थानीय लोगों ने बताया कि भगवान कुबेर के नये मंदिर निर्माण के बाद यह महोत्सव आयोजित किया जा रहा है. इस महोत्सव में विभिन्न तरह की विधि विधान के साथ-साथ पूजा-अर्चनाएं होंगी. जिसमें स्थानीय संस्कृति की भी झलक देखने को मिलेगी.

नाग पंचमी पर संस्कृति और विरासत का अनूठा समागम: यमुना घाटी में नाग पंचमी पर संस्कृति और विरासत का अनूठा समागम देखने को मिलता है. इस दौरान देव डोलियों का अनूठा मिलन होता है, तो ग्रामीण अपने आराध्य नाग देवता को दूध और दही भेंट करते हैं. साथ ही देव डोलियों के साथ ग्रामीण रासो तांदी नृत्य भी करते हैं.

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कुबेर देवता स्थानीय लोगों के आराध्य देव: बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्म अधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि कुबेर देवता स्थानीय लोगों के आराध्य देव हैं. बदरीनाथ यात्रा के दौरान ग्रीष्मकल में कुबेर की चलविग्रह डोली बदरीनाथ धाम में विराजमान रहती है. उन्होंने कहा कि भगवान के नवनिर्मित मंदिर में कुबेर की मूर्ति स्थापना के बाद यह महायज्ञ किया गया है.

कार्यक्रम में स्थानीय संस्कृति की दिखेगी झलक: स्थानीय लोगों ने बताया कि भगवान कुबेर के नये मंदिर निर्माण के बाद यह महोत्सव आयोजित किया जा रहा है. इस महोत्सव में विभिन्न तरह की विधि विधान के साथ-साथ पूजा-अर्चनाएं होंगी. जिसमें स्थानीय संस्कृति की भी झलक देखने को मिलेगी.

नाग पंचमी पर संस्कृति और विरासत का अनूठा समागम: यमुना घाटी में नाग पंचमी पर संस्कृति और विरासत का अनूठा समागम देखने को मिलता है. इस दौरान देव डोलियों का अनूठा मिलन होता है, तो ग्रामीण अपने आराध्य नाग देवता को दूध और दही भेंट करते हैं. साथ ही देव डोलियों के साथ ग्रामीण रासो तांदी नृत्य भी करते हैं.

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Last Updated : Feb 7, 2024, 10:36 PM IST
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