अलवर : देशभर में सोमवार को भगवान कृष्ण के मंदिरों में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. प्रदेश में भगवान श्री कृष्ण के कई अनोखे मंदिर स्थित हैं. इनमें अलवर शहर के काला कुआं स्थित वेंकटेश दिव्य बालाजी धाम मंदिर भी शामिल है. यहां के लड्डू गोपाल को लेकर भक्तों में अनोखी आस्था है. इस मंदिर में भगवान की एक अनोखी प्रतिमा विराजित है. छत्तीसगढ़ के श्रीनगर गांव से लाकर इस मूर्ति को मंदिर प्रांगण में विराजित किया गया था. लड्डू गोपाल की अलौकिक प्रतिमा के दर्शन के लिए राजस्थान ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के भक्त अपनी प्रार्थना लेकर मंदिर पहुंचते हैं.
वेंकटेश दिव्य धाम बालाजी मंदिर के महंत सुदर्शनाचार्य ने बताया कि 1996 में वे यात्रा करते समय रास्ता भटक गए. छत्तीसगढ़ के श्रीनगर गांव में एक अपरिचित व्यक्ति के घर उन्होंने विश्राम किया. अपरिचित व्यक्ति ने ही उनके लड्डू गोपाल जी का श्रीविग्रह को समर्पित किया और बताया कि इस प्रतिमा के बारे में कहना मुश्किल है यह कितनी पुरानी है. सुदर्शानाचार्य ने बताया कि भगवान लड्डू गोपाल की मूर्ति का वजन करीब 55 किलो है, यह अष्टधातु से निर्मित है.
5 वर्ष के बालक की तरह प्रतिमा की आभा : महंत सुदर्शनाचार्य ने बताया कि वेंकटेश बालाजी दिव्य धाम मंदिर में विराजित भगवान लड्डू गोपाल की प्रतिमा 55 किलो वजनी और 27 इंच जमीन से ऊंचाई है. दूर से देखने पर प्रतिमा 5 साल के छोटे बच्चों की आभा की तरह दिखाई पड़ती है. अलवर में 1996 से ही यह मूर्ति विराजित है. उन्होंने कहा कि मंदिर में आने वाले भक्तों को ऐसा लगता है कि जैसे आज ठाकुर जी प्रसन्न हैं, आज गोपाल जी उदास हैं, आज ठाकुर जी की चेहरे पर दिव्य तेज है. समय-समय पर उनका रूप-रंग व नेत्रों की चितवन बदलती रहती है.
कर्नाटक के फूलों से होता है विशेष श्रृंगार : महंत सुदर्शनाचार्य ने बताया कि मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लड्डू गोपाल जी का श्रृंगार कर्नाटक से मंगाए गए विशेष फूलों से किया जाता है. मंदिर में भगवान की अभिषेक की दो परंपराएं हैं, जिनमें एक एकांतिक और दूसरी दर्शनीय है. प्रत्येक एकादशी को भगवान लड्डू गोपाल का अभिषेक किया जाता है. हर वर्ष जन्माष्टमी के पर्व पर भगवान का दर्शनीय अभिषेक किया जाता है, इसमें चरण दर्शन होता है. इस दौरान भगवान लड्डू गोपाल को चरणामृत व कई फलों के रस से स्नान करवाया जाता है. जन्माष्टमी के पर्व पर बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में पहुंचकर पूरे दिन भजन कीर्तन करते हैं. वृंदावन धाम से भगवान के लिए पोशाक मंगाई जाती है, जिससे इनका श्रृंगार किया जाता है.
पत्र लिखकर करते हैं भक्त भगवान से प्रार्थना : महंत सुदर्शनाचार्य ने बताया कि यहां आने वाले भक्त चिट्ठी के माध्यम से भगवान के नाम अपनी मनोकामना प्रार्थना पत्र में लिखते हैं और भगवान के चरणों में समर्पित करते हैं. इसमें शादी विवाह, रोजगार, संतान प्राप्ति जैसे पत्र भक्तों की ओर से लिखे जाते हैं. भक्त की जब मनोकामना पूर्ण होती है तब वह यहां पर जाकर भगवान के दर्शन करते हैं और उन्हें इच्छा स्वरूप भेंट प्रदान करते हैं.