ETV Bharat / state

Rajasthan: प्रेरणा बने कोटा के प्रवीण, नी रिप्लेसमेंट के बाद चलाई 111 किलोमीटर साइकिल

पढ़िए कोटा के प्रवीण सिंह गहलोत की कहानी, जो बुजुर्ग से लेकर युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बन गए हैं.

युवा और बुजुर्गों के लिए प्रेरणा बने प्रवीण
युवा और बुजुर्गों के लिए प्रेरणा बने प्रवीण (ETV Bharat Kota)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

कोटा : कहते हैं कि अगर कुछ करने का जज्बा हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रेलवे अधिकारी प्रवीण सिंह गहलोत ने. गहलोत ने नी रिप्लेसमेंट कराया और उसके बाद साइकलिंग करना शुरू किया. आज वे 100 किलोमीटर तक साइकलिंग कर लेते हैं. उन्होंने एक दिन में 111 किलोमीटर साइकिल भी चलाई है.

प्रवीण कहते हैं कि ये कोई रिकॉर्ड है या नहीं, इसके लिए अप्लाई भी नहीं किया. 4 नवंबर को 13 घंटे में ये सफर पूरा किया है, जिसमें करीब 110.8 किलोमीटर साइकिल चलाई थी. कोटा से बड़गांव होता हुआ बूंदी, वहां से बूंदी टनल और वापसी में चित्तौड़गढ़ बाईपास होता हुआ वापस कोटा पहुंचे हैं. प्रवीण का कहना है कि यह उनकी सबसे लंबी राइड है और नी रिप्लेसमेंट के बाद काफी संतुष्ट हूं कि इस तरह से साइकलिंग कर पाता हूं. नी रिप्लेसमेंट को लेकर लोगों की धारणा है कि कोई एक्टिविटी नहीं कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है.

कोटा के प्रवीण सिंह गहलोत की कहानी (ETV Bharat Kota)

पढ़ें. पर्यावरण के लिए हर चुनौती कबूल, 1400 किलोमीटर साइकिल चलाकर 11 साल की आराध्या पहुंचेगी मुंबई

नी रिप्लेसमेंट के 6 माह बाद शुरुआत : 56 वर्षीय प्रवीण सिंह गहलोत स्टेशन रोड पर लोधा कोठी कंपाउंड में रहते हैं. साल 1992 में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स में सब इंस्पेक्टर के रूप में तैनात हुए थे. अहमदाबाद, मुंबई, जबलपुर, कोटा, नंदुबार, रामगंजमंडी व शामगढ़ सहित कई जगह पर उनकी पोस्टिंग रही है. इसके बाद मध्य प्रदेश में पोस्टिंग के दौरान उनका 2008 में एक्सीडेंट हो गया था. इसके बाद साल 2011 में भी उनका एक्सीडेंट हो गया था, जिसके बाद से वे घुटने की परेशानी से जूझने लग गए थे. साल 2021 में सितंबर महीने में उन्होंने कोटा में ही डॉ. विश्वास शर्मा से घुटने का जोड़ प्रत्यारोपण करवा लिया. इसके 6 माह बाद 2022 से ही उन्होंने साइकलिंग शुरू की.

बिना गियर वाली साइकिल, स्पीड 14 किमी प्रति घंटा : प्रवीण ने बताया कि आरपीएफ में इंस्पेक्टर की नौकरी कर रहा था. नी रिप्लेसमेंट के बाद मेडिकल ग्राउंड पर डी-कैटिगराइज्ड हो गया था. इसके बाद जॉब प्रोफाइल में बदलाव हुआ. अब वह मंडल रेल कार्यालय में ही वाणिज्य विभाग में चीफ ऑफिस सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत हैं. उनका कहना है कि वह 11 से 14 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से साइकिल चला रहे हैं. इसके लिए उन्होंने काफी प्रैक्टिस की. वे बिना गियर वाली साइकिल को ही चलाते हैं. हालांकि, ऊंचाई पर चढ़ने पर काफी जोर लगाना पड़ता है.

प्रवीण सिंह गहलोत
प्रवीण सिंह गहलोत (ETV Bharat Kota)

पढ़ें. दिव्यांग गोविंद के लिए साइकिलिंग बना जुनून, तय कर चुके हैं हजारों किलोमीटर का सफर

साइकिलिंग ग्रुप से मिली प्रेरणा : उनका कहना है कि शुरुआत में 3 से 4 किलोमीटर की साइकिल चलाई थी. बाद में बढ़ते हुए पहले 10 फिर 15 किमी किया. धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 25 से 30 और 50 किलोमीटर तक की चलाई. इसके बाद कोटा फंड राइडर्स ग्रुप से जुड़ गया. इसके कोऑर्डिनेटर अक्षय पारीक, ठाकुर रघुराज सिंह हाड़ा, गोपाल बाथम और इंजीनियरिंग कॉलेज के रिटायर प्रो. रोहिताश श्रृंगी की प्रेरणा से लगातार बढ़ा रहा. ये सभी भी करीब 60 से 70 साल के हैं. इस ग्रुप में 10 से 12 साल के बच्चे भी साइकलिंग कर रहे हैं.

पैदल चलने या साइकिल चलाने की सलाह : गहलोत का कहना है कि आमतौर पर शनिवार-रविवार या फिर बीच में कोई छुट्टी आने पर साइकिलिंग करने चले जाते हैं. नी रिप्लेसमेंट के बाद आदमी को एक्टिविटी करनी ही चाहिए. शरीर है तो उसे चलाना जरूरी है, शरीर को निढ़ाल कर देंगे तो वही फिर रिप्लेसमेंट हम पर भारी पड़ सकता है. शरीर में कुदरती चीज बदल जाती है तो डॉक्टर ने भी एडवाइस किया है कि पैदल चलें या फिर साइकलिंग करें. मैंने साइकलिंग में ही ज्यादा रुचि दिखाई, जिससे बाद सब कुछ ठीक हो गया.

कोटा : कहते हैं कि अगर कुछ करने का जज्बा हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रेलवे अधिकारी प्रवीण सिंह गहलोत ने. गहलोत ने नी रिप्लेसमेंट कराया और उसके बाद साइकलिंग करना शुरू किया. आज वे 100 किलोमीटर तक साइकलिंग कर लेते हैं. उन्होंने एक दिन में 111 किलोमीटर साइकिल भी चलाई है.

प्रवीण कहते हैं कि ये कोई रिकॉर्ड है या नहीं, इसके लिए अप्लाई भी नहीं किया. 4 नवंबर को 13 घंटे में ये सफर पूरा किया है, जिसमें करीब 110.8 किलोमीटर साइकिल चलाई थी. कोटा से बड़गांव होता हुआ बूंदी, वहां से बूंदी टनल और वापसी में चित्तौड़गढ़ बाईपास होता हुआ वापस कोटा पहुंचे हैं. प्रवीण का कहना है कि यह उनकी सबसे लंबी राइड है और नी रिप्लेसमेंट के बाद काफी संतुष्ट हूं कि इस तरह से साइकलिंग कर पाता हूं. नी रिप्लेसमेंट को लेकर लोगों की धारणा है कि कोई एक्टिविटी नहीं कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है.

कोटा के प्रवीण सिंह गहलोत की कहानी (ETV Bharat Kota)

पढ़ें. पर्यावरण के लिए हर चुनौती कबूल, 1400 किलोमीटर साइकिल चलाकर 11 साल की आराध्या पहुंचेगी मुंबई

नी रिप्लेसमेंट के 6 माह बाद शुरुआत : 56 वर्षीय प्रवीण सिंह गहलोत स्टेशन रोड पर लोधा कोठी कंपाउंड में रहते हैं. साल 1992 में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स में सब इंस्पेक्टर के रूप में तैनात हुए थे. अहमदाबाद, मुंबई, जबलपुर, कोटा, नंदुबार, रामगंजमंडी व शामगढ़ सहित कई जगह पर उनकी पोस्टिंग रही है. इसके बाद मध्य प्रदेश में पोस्टिंग के दौरान उनका 2008 में एक्सीडेंट हो गया था. इसके बाद साल 2011 में भी उनका एक्सीडेंट हो गया था, जिसके बाद से वे घुटने की परेशानी से जूझने लग गए थे. साल 2021 में सितंबर महीने में उन्होंने कोटा में ही डॉ. विश्वास शर्मा से घुटने का जोड़ प्रत्यारोपण करवा लिया. इसके 6 माह बाद 2022 से ही उन्होंने साइकलिंग शुरू की.

बिना गियर वाली साइकिल, स्पीड 14 किमी प्रति घंटा : प्रवीण ने बताया कि आरपीएफ में इंस्पेक्टर की नौकरी कर रहा था. नी रिप्लेसमेंट के बाद मेडिकल ग्राउंड पर डी-कैटिगराइज्ड हो गया था. इसके बाद जॉब प्रोफाइल में बदलाव हुआ. अब वह मंडल रेल कार्यालय में ही वाणिज्य विभाग में चीफ ऑफिस सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत हैं. उनका कहना है कि वह 11 से 14 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से साइकिल चला रहे हैं. इसके लिए उन्होंने काफी प्रैक्टिस की. वे बिना गियर वाली साइकिल को ही चलाते हैं. हालांकि, ऊंचाई पर चढ़ने पर काफी जोर लगाना पड़ता है.

प्रवीण सिंह गहलोत
प्रवीण सिंह गहलोत (ETV Bharat Kota)

पढ़ें. दिव्यांग गोविंद के लिए साइकिलिंग बना जुनून, तय कर चुके हैं हजारों किलोमीटर का सफर

साइकिलिंग ग्रुप से मिली प्रेरणा : उनका कहना है कि शुरुआत में 3 से 4 किलोमीटर की साइकिल चलाई थी. बाद में बढ़ते हुए पहले 10 फिर 15 किमी किया. धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 25 से 30 और 50 किलोमीटर तक की चलाई. इसके बाद कोटा फंड राइडर्स ग्रुप से जुड़ गया. इसके कोऑर्डिनेटर अक्षय पारीक, ठाकुर रघुराज सिंह हाड़ा, गोपाल बाथम और इंजीनियरिंग कॉलेज के रिटायर प्रो. रोहिताश श्रृंगी की प्रेरणा से लगातार बढ़ा रहा. ये सभी भी करीब 60 से 70 साल के हैं. इस ग्रुप में 10 से 12 साल के बच्चे भी साइकलिंग कर रहे हैं.

पैदल चलने या साइकिल चलाने की सलाह : गहलोत का कहना है कि आमतौर पर शनिवार-रविवार या फिर बीच में कोई छुट्टी आने पर साइकिलिंग करने चले जाते हैं. नी रिप्लेसमेंट के बाद आदमी को एक्टिविटी करनी ही चाहिए. शरीर है तो उसे चलाना जरूरी है, शरीर को निढ़ाल कर देंगे तो वही फिर रिप्लेसमेंट हम पर भारी पड़ सकता है. शरीर में कुदरती चीज बदल जाती है तो डॉक्टर ने भी एडवाइस किया है कि पैदल चलें या फिर साइकलिंग करें. मैंने साइकलिंग में ही ज्यादा रुचि दिखाई, जिससे बाद सब कुछ ठीक हो गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.