जयपुर: पश्चिम बंगाल में हुए दूष्कर्म-मर्डर केस की निर्भया को न्याय दिलाने की मांग को लेकर शुक्रवार को राजस्थान विश्वविद्यालय में हैवानियत की मानसिकता से आजादी के नारे लगे. छात्रों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय कैंपस में प्रोटेस्ट किया और कैंडल मार्च निकाला.
इस प्रकरण से आहत छात्रा प्रतिभा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक बहन के साथ अमानवीय और दिल दहला देने वाली घटना घटी. इस घटना ने सालों पहले दिल्ली में हुए निर्भय कांड की याद दिला दी. ऐसी घटना किसी के साथ भी हो सकती है. ये घटना मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना है. इंसानियत में ऐसा काला अध्याय फिर से ना हो. इसके लिए ये प्रोटेस्ट कर रहे हैं और सरकार से नहीं, बल्कि लोगों के नजरिए और मानसिकता से जस्टिस की जरूरत है.
वहीं, छात्र मनीष ने कहा कि एक तरफ स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, लेकिन इस देश में बहन बेटी आज भी आजाद नहीं है. बहन-बेटियों को बाहर पढ़ाने, नौकरी करने की बात तो करते हैं, लेकिन यहां कुछ ऐसी हैवानियत मानसिकता वाले लोग हैं. उनसे इन बहन-बेटियों को बचाने की भी आवश्यकता है. इसके लिए जरूरी है जो ठोस कानून बने हुए हैं, उन पर अमल किया जाए.
वहीं, पूजा चौधरी ने कहा कि आज आधी आबादी के लिए न्याय की मांग को लेकर छात्रों ने आंदोलन किया है. यदि एक लड़की को उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई हाथ भी लगाता है तो वो भी सहन करने योग्य नहीं है. पश्चिम बंगाल में एक शिक्षित और काबिल महिला के साथ इस तरह की घटना हुई, तो फिर आम महिला तो बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं, लेकिन आज बेटी पढ़ तो रही है, लेकिन जरूरत है उसे सुरक्षा देने की और इस पूरे प्रकरण में दोषियों को फांसी की सजा हो.
इससे पहले जवाहर नवोदय विद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय और हॉस्टल्स के आक्रोशित छात्रों ने इस पूरे प्रकरण में पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ भी अपना गुस्सा प्रकट किया. साथ ही पीड़ित की आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन भी रखा. स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर न्याय में देरी मिलती है तो वो न्याय, न्याय नहीं.