गिरिडीह: इंडिया गठबंधन की ओर से भाकपा माले नेता और बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह कोडरमा से चुनाव मैदान में उतरे हैं. वे प्रतिदिन क्षेत्र में जनता से मिल रहे हैं. इस दौरान केंद्र की मोदी सरकार के साथ-साथ कोडरमा लोकसभा से बीजेपी प्रत्याशी सांसद अन्नपूर्णा देवी के कार्यकाल पर भी लगातार सवाल उठा रहे हैं. क्षेत्र भ्रमण के दौरान ईटीवी भारत संवाददाता ने विनोद कुमार सिंह से बात की. इस बातचीत में विनोद ने कहा कि क्षेत्र के दौरे के दौरान उन्हें लोगों का प्यार मिल रहा है. जनता उत्साहित है.
भारी वोट के बदले जनता को मिला चोट
विनोद सिंह ने कहा कि कोडरमा लोकसभा सीट से 10 बार बीजेपी के सांसद चुने गये. पिछली बार अन्नपूर्णा देवी को भारी वोट मिले. लोगों ने सांसद से मंत्री तक का सफर भी देखा, लोगों ने देखा कि जितना भारी वोट दिया, उतना ही अधिक दुख उन्हें जन प्रतिनिधि ने दिया. अब जब जनता सांसद से सवाल पूछ रही है तो उनका कहना है कि जनता सवाल क्यों पूछती है. लोग पूछ रहे हैं कि किसी की तस्वीर को लेकर घूमने और 400 पार का नारा देने के अलावा आपने दिया क्या? इसका भी जवाब नहीं है.
प्रवासी मजदूरों को ट्रेन दिलाने में भी असफल
विनोद सिंह ने कहा कि झारखंड भले ही औद्योगिक क्षेत्र है, लेकिन कोडरमा-गिरिडीह में न तो कोयले से आमदनी बची है और न ही अभ्रक की चमक. यहां का बाजार देश-विदेश में कमाने जाने वाले मजदूरों के पैसे से चलता है. इन प्रवासी मजदूरों की अपनी समस्याएं हैं लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
उन्होंने कहा कि सबसे अधिक प्रवासी मजदूर गिरिडीह जिले से आते हैं और इन मजदूरों के परिवारों ने बड़ी उम्मीद से नरेंद्र मोदी को वोट दिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इन मजदूरों के लिए कोई नीति तय नहीं की है. हां, उनके प्रयासों से राज्य सरकार ने इन मजदूरों के लिए कुछ नीतियां जरूर बनाईं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वैसे तो हवाई चप्पल पहनने वालों को हवाई जहाज में चढ़ाने की बात कहती है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
जो प्रवासी मजदूर हैदराबाद-मुंबई और सूरत जैसे शहरों में रहते हैं, उनके लिए सरकार पिछले दस साल में ट्रेन की व्यवस्था नहीं कर सकी. अभी भी कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के लोग जमुआ, धनवार से बस पकड़ कर सूरत मुंबई जाने को मजबूर हैं.
गिरिडीह कोलियरी को एनओसी नहीं, निजी कंपनियों की सभी राह आसान
विनोद सिंह ने कहा कि मोदी सरकार में नीतियों का करप्शन हुआ है. नीतियां इस तरह बनाई जा रही हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र को खत्म कर दिया जाए और इसे निजी कंपनियों के हवाले कर दिया जाए. ऐसा हो रहा है. गोड्डा में अडाणी का पावर प्लांट लगा है और वहां से बांग्लादेश को बिजली भेजने के लिए सारी एनओसी मिल जाती है. पर्यावरण मंजूरी (ईसी) आसानी से दे दी जाती है. यहां सरकार सिंगल विंडो सिस्टम में काम करती है.
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में निजी कंपनियाँ लोहा और कोयला निकालने के लिए जंगलों को काटती हैं. जहां भी निजी कंपनी को आवंटन किया जा रहा है, वहां पूरी प्रक्रिया ओके की जा रही है.
उन्होंने कहा कि बचा खुचा सार्वजनिक क्षेत्र है, उसे एक एनओसी नहीं मिलती. गिरिडीह कोलियरी काफी पुरानी है और यहां खदान को बंद कर दिया गया है. अड़चन पर अड़चन लगाए जा रहे हैं. दरअसल, यह सब बड़े घरानों द्वारा देश के सार्वजनिक संस्थानों में घुसपैठ की कोशिश है. हमारी कोशिश होगी कि इन चीजों पर सवाल उठाया जाये और माइनर मिनरल्स पर ग्राम सभा का अधिकार हो.
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