रांची: झारखंड के चुनावी प्रचार से बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के सर्वप्रमुख नेता नीतीश कुमार का अलग रहना चर्चा का विषय बना हुआ है. झारखंड में जदयू जमशेदपुर पश्चिम और तमाड़ सीट से चुनाव लड़ रहा है, जहां बीते 13 नवंबर को मतदान हो चुके हैं. इन दोनों सीटों की बात तो दूर नीतीश कुमार की एक भी चुनावी सभा किसी भी सीट पर नहीं होना अपने आप में सवाल खड़ा कर रहा है.
आखिर क्या वजह है कि नीतीश झारखंड के चुनावी रण से अपने आपको अलग कर रखे हुए हैं. राजनीतिक विश्लेषक अमरनाथ झा का मानना है कि जब भी चुनाव होता है तो लोग बड़े नेताओं को सुनना चाहते हैं और इसी बहाने राजनेताओं का भी चुनावी दौरा होता रहता है. बिहार में भले ही उपचुनाव रहा हो मगर ऐसा भी नहीं है कि एक दिन यहां के लिए समय नहीं निकाला जा सकता था.
हालांकि राजनीतिक गलियारों में उठ रहे सवाल को खारिज करते हुए जदयू महासचिव संतोष सोनी कहते हैं कि बिहार में उपचुनाव की वजह से नीतीश कुमार व्यस्त रहे हैं, इस वजह से वह झारखंड के विधानसभा चुनाव में नहीं आ पाए, हालांकि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष से लेकर कई दूसरे नेताओं की चुनावी सभा जरूर हुई है.
उन्होंने कहा कि जदयू के कार्यकर्ता बूथ से लेकर विधानसभा चुनाव प्रचार तक में एनडीए के साथ रहे हैं. इधर भारतीय जनता पार्टी ने भी नीतीश कुमार की चुनावी सभा न होने पर सफाई देते हुए कहा है कि बिहार जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हैं वह और उन पर राज्य की बहुत जिम्मेदारियां भी हैं. इस कारण नीतीश कुमार का दौरा नहीं हो पा रहा है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अविनेष कुमार सिंह कहते हैं कि नीतीश कुमार की चुनावी सभा नहीं होने के पीछे कोई अन्य वजह नहीं है बल्कि उनकी व्यस्तता ही सबसे बड़ा कारण है.
चुनाव प्रचार समाप्त होने के लिए महज 48 घंटा शेष
पहले चरण के बाद दूसरे और अंतिम चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार सोमवार 18 नवंबर को शाम 5 बजे समाप्त हो जायेगा. ऐसे में राजनेताओं की चुनावी सभाएं दनादन चल रही हैं. एनडीए की ओर से पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं की चुनावी सभाएं कई स्थानों पर हो चुकी हैं.
इसके अतिरिक्त इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई नेताओं की भी चुनावी सभाएं हो चुकी हैं. बात यदि एनडीए के सहयोगी दल आजसू, लोजपा और जदयू के नेताओं की करें तो एक के बाद एक चुनावी सभा की जा रही है. मगर नीतीश कुमार का एक भी सभा में नहीं होना अपने आपमें बड़ा सवाल खड़ा करता है.
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