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पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट बीजेपी के लिए है बड़ी चुनौती, प्रदीप यादव के तिलिस्म को तोड़ने के लिए किसे मिलेगा टिकट - Podiyahat assembly seat

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 16, 2024, 8:22 AM IST

Jharkhand assembly election. कांग्रेस के तेज-तर्रार नेता प्रदीप यादव पोड़ैयाहाट से विधायक है. पिछले 5 बार से वो यहां के विधायक हैं. भाजपा इस सीट पर काबिज होना चाहती है, लेकिन वो सफल नहीं हो पाती. प्रदीप यादव के इस तिलिस्म को तोड़ने के लिए भाजपा एड़ी-चोट का जोर लगाएगी. अब यह देखना होगा कि प्रदीप यादव के सामने कौन उम्मीदवार खड़ा होता है.

PODIYAHAT ASSEMBLY SEA
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

गोड्डाः पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर पिछले पांच चुनाव से लगातार प्रदीप यादव यादव काबिज हैं. प्रदीप यादव ने पिछला चुनाव झाविमो की टिकट पर जीता फिर वे कांग्रेस मे चले गए. वो पूर्व में भाजपा से जुड़े रहे एक बार उपचुनाव जीत कर गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से 2002 में सांसद भी रह चुके के हैं. फिलहाल यह सीट इंडिया गठबंधन के हिस्से है.

पोड़ैयाहाट सीट गोड्डा जिले में आता है, ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट जितना बड़ी चुनौती है. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे इस सीट को हर हाल में जीत कर प्रदीप यादव को राजनितिक रूप से मात देने की इच्छा रखते हैं. बड़ी बात तो यह है कि लोकसभा चुनाव मे पोरैयाहाट विधानसभा में वे सफल भी होते हैं. भाजपा को इस विधानसभा सीट से अच्छी खासी लीड मिल जाती है, लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी नीति कामयाब होती नहीं हैंच

प्रदीप यादव और निशिकांत दुबे लगतार चौथी बार लोकसभा चुनाव में आमने सामने रहे. जिसमें हर बार जीत निशिकांत दुबे की हुई है. विधानसभा चुनाव में प्रदीप यादव हर बार भारी पड़ते हैं. इसबार भी निशिकांत दुबे प्रदीप यादव के विरुद्ध घेराबंदी कर रहे हैं. इसमें कई चेहरे हैं जिन पर सांसद का आशीर्वाद है. इसी के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहते हैं.

पोड़ैयाहाट में भाजपा को एक सशक्त उम्मीदवार की तलाश है जो प्रदीप यादव को चुनौती दे सके. इनमे पुराने जो दो खिलाड़ी देवेंद्र सिंह व गजाधर सिंह है, ये दोनों ही पूर्व में आजमाये जा चुके हैं लेकिन कामयाब नहीं हो पाए हैं. इनके अलावा सुभाष चंद्र यादव हैं जो शिक्षक रहे हैं. वीआरएस लेकर राजनीति में सक्रिय है. आरएसएस से जुड़ाव रखते हैं. केद्रीय अन्नपूर्णा देवी के नजदीकी माने जाते है. इसके अलावा सांसद निशिकांत दुबे के भी कृपापात्र हैं.

वहीं एक नाम जिला परिषद सदस्य राघवेद्र सिंह का है, जो मुख्य रूप से ठेकेदार हैं. वो पहले प्रदीप यादव के करीबी रहे हैं, लेकिन पिछले जिला परिषद चुनाव में किसी अन्य उम्मीदवार को प्रदीप यादव के समर्थन के बाद से राघवेंद्र सिंह ने प्रदीप यादव के विरोध मे झंडा बुलंद कर रखा है. इन्हें भी सांसद निशिकांत दुबे का आशीर्वाद प्राप्त है. ये आर्थिक रूप से मजबूत हैं.

एक और नाम है, जिनकी खूब चर्चा है. वो हैं सीताराम पाठक जो सारैयाहाट से है. पिछली बार वो भाजपा से नाराज हो गए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें मनाया गया. वहीं पार्टी संगठन से कुछ नामों की चर्चा है, जिनमें पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव मेहता की बात भी होती है. उन्हें सांसद का करीबी माना जाता है तो मीडिया प्रभारी बीमंत को रघुबर दास से आस है. वहीं जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मी चक्रवर्ती व अशोक शर्मा भी उम्मीदवारो कीे रेस में शामिल है. इन सबके साथ ही एक चर्चा ये भी है कोई उम्मीदवार बाहर से इम्पोर्ट किया जा सकता है. जिसमें एक नाम की चर्चा जोरों पर है वो साहिबगंज के बजरंगी यादव हो सकते हैं, जो पुराने कांग्रेसी है और फिलहाल भाजपा में राज्यस्तरीय संगठन में है.

पत्रकार दिलीप कुमार झा बताते हैं पोड़ैयाहाट मे ंभाजपा से जिस भी व्यक्ति का नाम सामने आता वे कभी न कभी प्रदीप यादव के करीबी रहे हैं. ऐसे में उनकी छाया से दूर नहीं हो पाते हैं. जिसका फायदा प्रदीप यादव को मिलता रहा है. ऐसे मे देखना दिलचस्प होगा कि ऐसा कौन चेहरा चुनावी मैदान पोड़ैयाहाट में प्रदीप यादव के तिलिस्म को तोड़ पायेगा या फिर ये सपना भाजपा का अधूरा ही रह जाएगा.

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गोड्डाः पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर पिछले पांच चुनाव से लगातार प्रदीप यादव यादव काबिज हैं. प्रदीप यादव ने पिछला चुनाव झाविमो की टिकट पर जीता फिर वे कांग्रेस मे चले गए. वो पूर्व में भाजपा से जुड़े रहे एक बार उपचुनाव जीत कर गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से 2002 में सांसद भी रह चुके के हैं. फिलहाल यह सीट इंडिया गठबंधन के हिस्से है.

पोड़ैयाहाट सीट गोड्डा जिले में आता है, ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट जितना बड़ी चुनौती है. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे इस सीट को हर हाल में जीत कर प्रदीप यादव को राजनितिक रूप से मात देने की इच्छा रखते हैं. बड़ी बात तो यह है कि लोकसभा चुनाव मे पोरैयाहाट विधानसभा में वे सफल भी होते हैं. भाजपा को इस विधानसभा सीट से अच्छी खासी लीड मिल जाती है, लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी नीति कामयाब होती नहीं हैंच

प्रदीप यादव और निशिकांत दुबे लगतार चौथी बार लोकसभा चुनाव में आमने सामने रहे. जिसमें हर बार जीत निशिकांत दुबे की हुई है. विधानसभा चुनाव में प्रदीप यादव हर बार भारी पड़ते हैं. इसबार भी निशिकांत दुबे प्रदीप यादव के विरुद्ध घेराबंदी कर रहे हैं. इसमें कई चेहरे हैं जिन पर सांसद का आशीर्वाद है. इसी के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहते हैं.

पोड़ैयाहाट में भाजपा को एक सशक्त उम्मीदवार की तलाश है जो प्रदीप यादव को चुनौती दे सके. इनमे पुराने जो दो खिलाड़ी देवेंद्र सिंह व गजाधर सिंह है, ये दोनों ही पूर्व में आजमाये जा चुके हैं लेकिन कामयाब नहीं हो पाए हैं. इनके अलावा सुभाष चंद्र यादव हैं जो शिक्षक रहे हैं. वीआरएस लेकर राजनीति में सक्रिय है. आरएसएस से जुड़ाव रखते हैं. केद्रीय अन्नपूर्णा देवी के नजदीकी माने जाते है. इसके अलावा सांसद निशिकांत दुबे के भी कृपापात्र हैं.

वहीं एक नाम जिला परिषद सदस्य राघवेद्र सिंह का है, जो मुख्य रूप से ठेकेदार हैं. वो पहले प्रदीप यादव के करीबी रहे हैं, लेकिन पिछले जिला परिषद चुनाव में किसी अन्य उम्मीदवार को प्रदीप यादव के समर्थन के बाद से राघवेंद्र सिंह ने प्रदीप यादव के विरोध मे झंडा बुलंद कर रखा है. इन्हें भी सांसद निशिकांत दुबे का आशीर्वाद प्राप्त है. ये आर्थिक रूप से मजबूत हैं.

एक और नाम है, जिनकी खूब चर्चा है. वो हैं सीताराम पाठक जो सारैयाहाट से है. पिछली बार वो भाजपा से नाराज हो गए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें मनाया गया. वहीं पार्टी संगठन से कुछ नामों की चर्चा है, जिनमें पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव मेहता की बात भी होती है. उन्हें सांसद का करीबी माना जाता है तो मीडिया प्रभारी बीमंत को रघुबर दास से आस है. वहीं जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मी चक्रवर्ती व अशोक शर्मा भी उम्मीदवारो कीे रेस में शामिल है. इन सबके साथ ही एक चर्चा ये भी है कोई उम्मीदवार बाहर से इम्पोर्ट किया जा सकता है. जिसमें एक नाम की चर्चा जोरों पर है वो साहिबगंज के बजरंगी यादव हो सकते हैं, जो पुराने कांग्रेसी है और फिलहाल भाजपा में राज्यस्तरीय संगठन में है.

पत्रकार दिलीप कुमार झा बताते हैं पोड़ैयाहाट मे ंभाजपा से जिस भी व्यक्ति का नाम सामने आता वे कभी न कभी प्रदीप यादव के करीबी रहे हैं. ऐसे में उनकी छाया से दूर नहीं हो पाते हैं. जिसका फायदा प्रदीप यादव को मिलता रहा है. ऐसे मे देखना दिलचस्प होगा कि ऐसा कौन चेहरा चुनावी मैदान पोड़ैयाहाट में प्रदीप यादव के तिलिस्म को तोड़ पायेगा या फिर ये सपना भाजपा का अधूरा ही रह जाएगा.

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