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44 साल पहले दादी इंदिरा ने छोड़ी थी रायबरेली सीट, राहुल ने चली उल्टी चाल; आखिर क्या है यूपी का गेम प्लान? - RAHUL GANDHI UP GAME PLAN

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 20, 2024, 5:49 PM IST

लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने दादी इंदिरा गांधी का पैटर्न दोहराया है. लेकिन दादी के नक्शे कदम पर न चलते हुए रायबरेली सीट अपने पास रख वायनाड को छोड़ दिया है. इस स्पेशल रिपोर्ट में जानिए राहुल गांधी का उत्तर प्रदेश में क्या गेम प्लान है?

राहुल गांधी का क्या है यूपी में प्लान.
राहुल गांधी का क्या है यूपी में प्लान. (Photo Credit; Etv Bharat)

लखनऊः राहुल गांधी ने जब से वायनाड सीट छोड़ने और प्रियंका गांधी को वहां से चुनाव लड़ने का ऐलान होते ही सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. ऐसे में राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर राहुल गांधी ने प्रियंका को वायनाड भेजकर खुद रायबरेली को क्यों चुना है.

गांधी परिवार में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. राहुल गांधी की दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी एक साथ दो सीटों से चुनाव जीतीं थी. लेकिन राहुल गांधी ने अपनी दादी के विपरीत किया है. इंदिरा गांधी 1980 में रायबरेली और मेडक (अब तेलांगना) सीट से जीती थीं. इंदिरा ने उस समय यूपी की रायबरेली सीट छोड़ा दिया था. खास बात है कि इंदिरा गांधी भी इससे पहले 1977 में चुनाव हार के बाद जीत हासिल की थी. कुछ ऐसा ही राहुल गांधी के साथ हुआ है. लेकिन सीटें अलग हैं. 2019 में राहुल गांधी अमेठी से हार गए थे. जबकि 2024 में रायबरेली से बड़ी जीत हासिल की है.

अब आते हैं असल मुद्दे पर. गांधी परिवार के अभी तक सभी सदस्य उत्तर प्रदेश से ही एंट्री मारी है. जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा पहली सदस्य हैं, जो दक्षिण भारत से डेब्यू करने जा रही हैं. प्रियंका गांधी के दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने और राहुल गांधी को रायबरेली सीट अपने पास रखने की 4 बड़ी वजह है.

यूपी में कांग्रेस को जगी उम्मीद
लोकसभा चुनाव 2024 से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की फिर से वापसी हुई. सपा के साथ चुनाव लड़ी कांग्रेस को 6 सीटें जीत गई हैं. राहुल और प्रियंका कांग्रेस का गढ़ रही रायबरेली और अमेठी भी इस बार जीतने में सफल हुए हैं. इस बार राहुल गांधी ने पिछली बार बड़ी जीत हासिल कर पिछली हार का हिसाब बराबर किया है. इस कामयाबी से कांग्रेस को अच्छे दिनों की उम्मीद है. इसलिए राहुल गांधी रायबरेली से सांसद रहकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जिवित करना चाह रहे हैं.

यूपी विधानसभा 2027 चुनाव और उपचुनाव पर नजर
उत्तर प्रदेश में मिली सफलता के बाद अब कांग्रेस की नजर उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव और 2027 में होने वाले विधान चुनाव पर है. क्योंकि 2 दशक से यूपी में कांग्रेस सिमटती जा रही है. कांग्रेस को 2007 में 22, 2012 में 28, 2007 में 7 और 2022 में 2 ही सीटें जीत पाई थी. इस तरह कांग्रेस के यूपी में लगातार सिमटती जा रही है. ऐसे में राहुल गांधी यूपी की लोकसभा सीट से प्रतिनिधित्व करके विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा चुनाव की तरह खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश करेंगे.

पीएम मोदी से सीधा मुकाबला बड़ी वजह
राहुल गांधी के रायबरेली सीट न छोड़ने की सबसे बड़ी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यूपी के वाराणसी से सांसद हैं. राहुल गांधी के निशाने पर नरेंद्र मोदी हमेशा रहते हैं. इसी तरह पीएम मोदी भी अक्सर राहुल गांधी पर टिप्पणी कर सियासत की चाल चलते रहते हैं. ऐसे में अगर राहुल गांधी रायबरेली सीट छोड़ देते तो भाजपा और पीएम मोदी को 'भगोड़ा' कहने का मौका मिल जाता. इसके अलावा आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की कमियों को उजागर कर राहुल गांधी 2027 के विधानसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेंगे.

केरल सेफ जोन, इसलिए प्रियंका को भेजा वायनाड
राजनीतिक जानकारों के अनुसार प्रियंका गांधी को केरल के वायनाड से डेब्यू कराने के पीछे 'सेफ जोन' बताते हैं. क्योंकि यहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत है. लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस 15 सीटों पर चुनाव लड़कर 8 जीती थी. जबकि 2019 में 16 में 15 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं, इस बार भी कांग्रेस 14 सीटें जीतने में सफल रही है. ऐसे में प्रियंका गांधी की उपचुनाव में यहां से जीत पक्की मानी जा रही है. शायद यही वजह है कि राहुल गांधी अपनी बहन को पहला ही चुनाव बिना रुकावट के जिताकर तोहफा देना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें-दस वजहें, आखिर राहुल गांधी ने क्यों नहीं छोड़ा UP, क्यों प्रियंका के जिम्मे साउथ, क्या तुरूप का इक्का बनीं अमेठी-रायबरेली सीट

इसे भी पढ़ें-दिल्ली में यूपीराज: 15 में से 9 प्रधानमंत्री यहीं से, 54 साल शासन; सबसे कम 13 दिन का कार्यकाल

इसे भी पढ़ें-प्रियंका को क्यों जाना पड़ा वायनाड? जबकि, नेहरू-गांधी फैमिली के हर नेता ने यूपी से शुरू की राजनीतिक पारी

लखनऊः राहुल गांधी ने जब से वायनाड सीट छोड़ने और प्रियंका गांधी को वहां से चुनाव लड़ने का ऐलान होते ही सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. ऐसे में राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर राहुल गांधी ने प्रियंका को वायनाड भेजकर खुद रायबरेली को क्यों चुना है.

गांधी परिवार में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. राहुल गांधी की दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी एक साथ दो सीटों से चुनाव जीतीं थी. लेकिन राहुल गांधी ने अपनी दादी के विपरीत किया है. इंदिरा गांधी 1980 में रायबरेली और मेडक (अब तेलांगना) सीट से जीती थीं. इंदिरा ने उस समय यूपी की रायबरेली सीट छोड़ा दिया था. खास बात है कि इंदिरा गांधी भी इससे पहले 1977 में चुनाव हार के बाद जीत हासिल की थी. कुछ ऐसा ही राहुल गांधी के साथ हुआ है. लेकिन सीटें अलग हैं. 2019 में राहुल गांधी अमेठी से हार गए थे. जबकि 2024 में रायबरेली से बड़ी जीत हासिल की है.

अब आते हैं असल मुद्दे पर. गांधी परिवार के अभी तक सभी सदस्य उत्तर प्रदेश से ही एंट्री मारी है. जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा पहली सदस्य हैं, जो दक्षिण भारत से डेब्यू करने जा रही हैं. प्रियंका गांधी के दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने और राहुल गांधी को रायबरेली सीट अपने पास रखने की 4 बड़ी वजह है.

यूपी में कांग्रेस को जगी उम्मीद
लोकसभा चुनाव 2024 से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की फिर से वापसी हुई. सपा के साथ चुनाव लड़ी कांग्रेस को 6 सीटें जीत गई हैं. राहुल और प्रियंका कांग्रेस का गढ़ रही रायबरेली और अमेठी भी इस बार जीतने में सफल हुए हैं. इस बार राहुल गांधी ने पिछली बार बड़ी जीत हासिल कर पिछली हार का हिसाब बराबर किया है. इस कामयाबी से कांग्रेस को अच्छे दिनों की उम्मीद है. इसलिए राहुल गांधी रायबरेली से सांसद रहकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जिवित करना चाह रहे हैं.

यूपी विधानसभा 2027 चुनाव और उपचुनाव पर नजर
उत्तर प्रदेश में मिली सफलता के बाद अब कांग्रेस की नजर उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव और 2027 में होने वाले विधान चुनाव पर है. क्योंकि 2 दशक से यूपी में कांग्रेस सिमटती जा रही है. कांग्रेस को 2007 में 22, 2012 में 28, 2007 में 7 और 2022 में 2 ही सीटें जीत पाई थी. इस तरह कांग्रेस के यूपी में लगातार सिमटती जा रही है. ऐसे में राहुल गांधी यूपी की लोकसभा सीट से प्रतिनिधित्व करके विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा चुनाव की तरह खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश करेंगे.

पीएम मोदी से सीधा मुकाबला बड़ी वजह
राहुल गांधी के रायबरेली सीट न छोड़ने की सबसे बड़ी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यूपी के वाराणसी से सांसद हैं. राहुल गांधी के निशाने पर नरेंद्र मोदी हमेशा रहते हैं. इसी तरह पीएम मोदी भी अक्सर राहुल गांधी पर टिप्पणी कर सियासत की चाल चलते रहते हैं. ऐसे में अगर राहुल गांधी रायबरेली सीट छोड़ देते तो भाजपा और पीएम मोदी को 'भगोड़ा' कहने का मौका मिल जाता. इसके अलावा आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की कमियों को उजागर कर राहुल गांधी 2027 के विधानसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेंगे.

केरल सेफ जोन, इसलिए प्रियंका को भेजा वायनाड
राजनीतिक जानकारों के अनुसार प्रियंका गांधी को केरल के वायनाड से डेब्यू कराने के पीछे 'सेफ जोन' बताते हैं. क्योंकि यहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत है. लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस 15 सीटों पर चुनाव लड़कर 8 जीती थी. जबकि 2019 में 16 में 15 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं, इस बार भी कांग्रेस 14 सीटें जीतने में सफल रही है. ऐसे में प्रियंका गांधी की उपचुनाव में यहां से जीत पक्की मानी जा रही है. शायद यही वजह है कि राहुल गांधी अपनी बहन को पहला ही चुनाव बिना रुकावट के जिताकर तोहफा देना चाहते हैं.

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