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'छात्रों को स्कूलों में ही मिल जाए पूरा 'न्यूट्रिशन' तो नहीं भागेंगे 'सप्लीमेंट' की ओर'

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 19, 2024, 11:06 PM IST

केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई नई गाइडलाइन के अनुसार कोचिंग सेंटर में अब 16 साल से कम उम्र के छात्रों का प्रवेश नहीं होगा. ईटीवी भारत ने इसी मुद्दे पर शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी मिश्रा से बातचीत की. यहां पढ़िए इस गाइड लाइन का क्या होगा असर.

शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी मिश्रा से बातचीत
शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी मिश्रा से बातचीत
शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी मिश्रा से बातचीत

जयपुर. केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई नई गाइडलाइन के अनुसार कोचिंग सेंटर में अब 16 साल से कम उम्र के छात्रों का प्रवेश नहीं होगा और न ही कोई कोचिंग सेंटर छात्रों से मनमानी फीस वसूल सकेगा. छात्रों के बढ़ते सुसाइड मामलों और कोचिंग सेंटर्स पर नकेल कसने के उद्देश्य से ये फैसला लिया गया है. एक्सपर्ट्स की मानें तो यदि स्कूलों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उचित मार्गदर्शन और प्रतियोगी परीक्षाओं को फाइट करने से जुड़ी काउंसलिंग की जाएगी, तो कोचिंग सेंटर्स की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.

सरकार का उचित फैसला : शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी मिश्रा का मानना है कि यदि किसी व्यक्ति को प्रॉपर 'न्यूट्रिशन' मिले तो उसे 'सप्लीमेंट' इस्तेमाल ही नहीं करना पड़ेगा. केंद्र सरकार की ओर से कोचिंग सेंटर के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन-2024 के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इसे सरकार का उचित फैसला बताते हुए डॉ. मीनाक्षी मिश्रा ने कहा कि जब एक छात्र किसी भी प्राइवेट या गवर्नमेंट स्कूल में एडमिशन लेता है, तो ये उस स्कूल की जिम्मेदारी बनती है कि उन छात्रों के कॉन्सेप्ट क्लीयर करे. उन्हें पढ़ाएं और कोर्स पूरा कराएं, और यदि किसी छात्र का कॉन्सेप्ट क्लीयर नहीं हो रहा है, या कोर्स अधूरा है, तो ऐसे छात्रों के लिए एक्स्ट्रा क्लास लगाई जाए. जब स्कूल में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी तो कोचिंग की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी.

इसे भी पढ़ें-कोचिंग संस्थानों के लिए दिशा-निर्देश : 16 साल से कम उम्र के छात्रों को न करें दाखिल, पढ़ें गाइडलाइन

अभिभावकों को भी समझना होगा : मीनाक्षी मिश्रा ने कहा कि अमूमन छात्र कोचिंग सेंटर का रुख प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए करते हैं. अभिभावकों को भी लगता है कि उनके बच्चे का सिलेक्शन तभी होगा, जब वो बच्चे का दाखिला किसी कोचिंग सेंटर में कराएंगे. ऐसे में अभिभावकों की एक्सपेक्टेशन भी अपने बच्चों से हाई होती है, लेकिन उन्हें ये समझना होगा कि जिस भी कोचिंग सेंटर पर छात्र अध्ययन कर रहे हैं, वहां पर प्रतियोगी परीक्षा में पास होने वाले छात्रों की संख्या 2 से 5% ही होती है, तो ऐसे में उन 95 फीसदी छात्रों की ओर भी देखना चाहिए, जिनका सिलेक्शन नहीं हुआ है. इन छात्रों को पता होता है कि उनके माता-पिता किन परिस्थितियों में उन्हें एजुकेशन दिला रहे हैं, यदि इनका नेक्स्ट टाइम में भी सिलेक्शन नहीं होता है, तो फिर वो मानसिक रूप से प्रताड़ित होकर सुसाइड जैसे गलत कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे में कहीं न कहीं कोचिंग की वजह से छात्रों पर ये प्रेशर बढ़ने लगा है.

स्कूल की हो जिम्मेदारी : डॉ. मीनाक्षी ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को प्रॉपर 'न्यूट्रीशन' मिलेगा, तो 'सप्लीमेंट' की आवश्यकता होती ही नहीं है. इसी तरह यदि एक स्कूल में छात्र को प्रॉपर एजुकेशन मिल गई, उसकी रिक्वायरमेंट पूरी हो गई, तो वो कोचिंग की तरफ क्यों जाएगा. इसलिए स्कूलों को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए ये जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि वो छात्रों को इस तरह तैयार करें कि उन्हें कोचिंग की जरूरत ही न हो. छात्र पर प्रेशर नहीं रहेगा, तो उनकी मेडिकल हेल्थ भी अच्छी रहेगी. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि अभिभावक भी सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने को लेकर प्रेशराइज करने के बजाय बच्चों को दूसरी फील्ड में करियर बनाने के प्रति भी प्रेरित करें.

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से जारी कोचिंग सेंटर विनियमन 2024 के लिए प्रस्तावित दिशा-निर्देशों में 16 साल से कम आयु के छात्रों को कोचिंग सेंटर में नामांकित नहीं किया जाने का सुझाव दिया गया है. यही नहीं कोचिंग सेंटर्स की ओर से माता-पिता और छात्रों को भ्रामक वादे या रैंक की गारंटी देने पर भी रोक लगाई गई है.

शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी मिश्रा से बातचीत

जयपुर. केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई नई गाइडलाइन के अनुसार कोचिंग सेंटर में अब 16 साल से कम उम्र के छात्रों का प्रवेश नहीं होगा और न ही कोई कोचिंग सेंटर छात्रों से मनमानी फीस वसूल सकेगा. छात्रों के बढ़ते सुसाइड मामलों और कोचिंग सेंटर्स पर नकेल कसने के उद्देश्य से ये फैसला लिया गया है. एक्सपर्ट्स की मानें तो यदि स्कूलों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उचित मार्गदर्शन और प्रतियोगी परीक्षाओं को फाइट करने से जुड़ी काउंसलिंग की जाएगी, तो कोचिंग सेंटर्स की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.

सरकार का उचित फैसला : शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी मिश्रा का मानना है कि यदि किसी व्यक्ति को प्रॉपर 'न्यूट्रिशन' मिले तो उसे 'सप्लीमेंट' इस्तेमाल ही नहीं करना पड़ेगा. केंद्र सरकार की ओर से कोचिंग सेंटर के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन-2024 के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इसे सरकार का उचित फैसला बताते हुए डॉ. मीनाक्षी मिश्रा ने कहा कि जब एक छात्र किसी भी प्राइवेट या गवर्नमेंट स्कूल में एडमिशन लेता है, तो ये उस स्कूल की जिम्मेदारी बनती है कि उन छात्रों के कॉन्सेप्ट क्लीयर करे. उन्हें पढ़ाएं और कोर्स पूरा कराएं, और यदि किसी छात्र का कॉन्सेप्ट क्लीयर नहीं हो रहा है, या कोर्स अधूरा है, तो ऐसे छात्रों के लिए एक्स्ट्रा क्लास लगाई जाए. जब स्कूल में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी तो कोचिंग की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी.

इसे भी पढ़ें-कोचिंग संस्थानों के लिए दिशा-निर्देश : 16 साल से कम उम्र के छात्रों को न करें दाखिल, पढ़ें गाइडलाइन

अभिभावकों को भी समझना होगा : मीनाक्षी मिश्रा ने कहा कि अमूमन छात्र कोचिंग सेंटर का रुख प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए करते हैं. अभिभावकों को भी लगता है कि उनके बच्चे का सिलेक्शन तभी होगा, जब वो बच्चे का दाखिला किसी कोचिंग सेंटर में कराएंगे. ऐसे में अभिभावकों की एक्सपेक्टेशन भी अपने बच्चों से हाई होती है, लेकिन उन्हें ये समझना होगा कि जिस भी कोचिंग सेंटर पर छात्र अध्ययन कर रहे हैं, वहां पर प्रतियोगी परीक्षा में पास होने वाले छात्रों की संख्या 2 से 5% ही होती है, तो ऐसे में उन 95 फीसदी छात्रों की ओर भी देखना चाहिए, जिनका सिलेक्शन नहीं हुआ है. इन छात्रों को पता होता है कि उनके माता-पिता किन परिस्थितियों में उन्हें एजुकेशन दिला रहे हैं, यदि इनका नेक्स्ट टाइम में भी सिलेक्शन नहीं होता है, तो फिर वो मानसिक रूप से प्रताड़ित होकर सुसाइड जैसे गलत कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे में कहीं न कहीं कोचिंग की वजह से छात्रों पर ये प्रेशर बढ़ने लगा है.

स्कूल की हो जिम्मेदारी : डॉ. मीनाक्षी ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को प्रॉपर 'न्यूट्रीशन' मिलेगा, तो 'सप्लीमेंट' की आवश्यकता होती ही नहीं है. इसी तरह यदि एक स्कूल में छात्र को प्रॉपर एजुकेशन मिल गई, उसकी रिक्वायरमेंट पूरी हो गई, तो वो कोचिंग की तरफ क्यों जाएगा. इसलिए स्कूलों को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए ये जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि वो छात्रों को इस तरह तैयार करें कि उन्हें कोचिंग की जरूरत ही न हो. छात्र पर प्रेशर नहीं रहेगा, तो उनकी मेडिकल हेल्थ भी अच्छी रहेगी. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि अभिभावक भी सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने को लेकर प्रेशराइज करने के बजाय बच्चों को दूसरी फील्ड में करियर बनाने के प्रति भी प्रेरित करें.

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से जारी कोचिंग सेंटर विनियमन 2024 के लिए प्रस्तावित दिशा-निर्देशों में 16 साल से कम आयु के छात्रों को कोचिंग सेंटर में नामांकित नहीं किया जाने का सुझाव दिया गया है. यही नहीं कोचिंग सेंटर्स की ओर से माता-पिता और छात्रों को भ्रामक वादे या रैंक की गारंटी देने पर भी रोक लगाई गई है.

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