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हिट एंड रन मामले में भी पीड़ित और उनके परिजनों को मिलता है मुआवजा, जानिए कहां और कैसे करें आवेदन - Road Accident Compensation - ROAD ACCIDENT COMPENSATION

हिट एंड रन मामले में शिकार मृतक के परिजनों और घायलों को भी सरकार मुआवजा देती है. इसके जरूरी दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होता है. आइए जानते हैं, आवेदन की पूरी प्रक्रिया.

प्रतीकात्मक तस्वीर.
प्रतीकात्मक तस्वीर. (Photo Credit: Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 13, 2024, 7:35 PM IST

लखनऊः भारत में सड़क हादसों में हर वर्ष लाखों लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं तो सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है. इसमें सबसे अधिक संख्या हिट एंड रन के मामले होते हैं. टक्कर मारने के बाद वाहन के भाग जाने पर टक्कर मारने वाले को पकड़ा नहीं जा सकता है. ऐसे में घायल या फिर मृतक के परिजन को उचित सहायता नहीं मिल पाती है. जबकि ऐसा नहीं है. आप बिना किसी इंसोरेंस पॉलिसी के ही मुआवजा पा सकते हैं. इसके लिए एक फार्म भरना होगा, कुछ जरूरी दस्तावेज लगाकर जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करना होगा. फॉर्म जमा करने के दो माह के भीतर 'टक्कर मार कर भागना प्रतिकर निधि'(Hit and Run Compensation Fund) से सरकार मृतक के परिवार को 2 लाख और घायल को 50 हजार का मुआवजा दिया जाएगा.

आवेदन फॉर्म.
आवेदन फॉर्म. (Photo Credit: Etv Bharat)
मुआवजा के लिए कहां से ले फॉर्म और कैसे भरेंजिलाधिकारी कार्यालय से पीड़ित परिवार को 'टक्कर मार कर भागना प्रतिकर निधि'(Hit and Run Compensation Fund) से मुआजा लेने के आवेदन फॉर्म लेना होगा. इस फॉर्म में घायल या फिर मृतक का पूरा विवरण और दुर्घटना की जानकारी देनी होती है. जैसे मृतक या घायल का का नाम, पिता का नाम, पता, उसकी उम्र, जन्म तारीख, लिंग, मुआवजा दावा करने वाले का आधार संख्या, घायल व्यक्ति या फिर उसके दावाकर्ता की बैंक डिटेल, दुर्घटना का स्थान व समय, मृतक या घायल व्यक्ति का व्यवसाय, घायल की स्थिति का विवरण, दुर्घटना जिस थाने के अंतर्गत हुई हुई उसका नाम, दुर्घटना में घायल व्यक्ति का जिस अस्तपाल में इलाज हुआ हुआ हो उसका विवरण, दावेदार का विवरण, दावेदार का मृतक या घायल से संबंध, इलाज में किए गए खर्च की रशीद विवरण फॉर्म में भरना होगा. इसके अलावा फॉर्म के साथ मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी जमा करना होगा.क्या है नियम?दरअसल, सड़क हादसे में कई ऐसे वाहन होते हैं, जो टक्कर मारने के बाद फरार हो जाते है. जिससे यह पता नहीं चल पाता है कि हादसा कौन सी गाड़ी और कैसे से हुआ है. ऐसे में गाड़ी मालिक व बीमा पॉलिसी के विषय में जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती. ऐसी दुर्घटना के लिये भारत सरकार द्वारा पोषण निधि योजना, 1989 बनायी गई थी. इस योजना के तहत दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु होने की दशा में मृतक के आश्रितों को 25,000 रुपए (अब 2 लाख रुपये) और गम्भीर रूप से घायल व्यक्ति को 12,500 (अब 50 हजार रुपए) मुआवजा राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है. इस योजना के तहत आवेदन करने वाले पीड़ित व्यक्ति / मृतक के आश्रितों को एक्सीडेंट के छह महीने के अंदर निर्धारित फॉर्म अधिकृत जांच अधिकारी (उप जिला अधिकारी) या फिर जिलाधिकारी के पास जमा कर सकते हैं. कब और कौन देता है मुआवजा?आवेदन फॉर्म जमा करने के बाद एसडीएम रिपोर्ट द्वारा जांच कर संस्तुति जिलाधिकारी को भेजी जाती है. जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार करके क्लेम सेटेलमेन्ट कमिश्नर (जिलाधिकारी) द्वारा नियमानुसार मुआवजा धनराशि दिलाये जाने के लिये आवश्यक आदेश दिये जाते हैं. इस धनराशि के भुगतान का दायित्त्व उस बीमा कम्पनी का होता है, जो भारत सरकार द्वारा नामित (Nominated) की गयी हो. उत्तर प्रदेश में इस मुआजे के लिए ओरियन्टल बीमा कम्पनी नामित की गयी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दो माह के भीतर पीड़ित को मुआजा देना होगा.

इसे भी पढ़ें-हिट एंड रन का खौफनाक VIDEO: खाना खाकर टहल रहे थे 3 दोस्त, 100 की स्पीड में कार ने फुटबॉल की तरह उछाला

लखनऊः भारत में सड़क हादसों में हर वर्ष लाखों लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं तो सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है. इसमें सबसे अधिक संख्या हिट एंड रन के मामले होते हैं. टक्कर मारने के बाद वाहन के भाग जाने पर टक्कर मारने वाले को पकड़ा नहीं जा सकता है. ऐसे में घायल या फिर मृतक के परिजन को उचित सहायता नहीं मिल पाती है. जबकि ऐसा नहीं है. आप बिना किसी इंसोरेंस पॉलिसी के ही मुआवजा पा सकते हैं. इसके लिए एक फार्म भरना होगा, कुछ जरूरी दस्तावेज लगाकर जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करना होगा. फॉर्म जमा करने के दो माह के भीतर 'टक्कर मार कर भागना प्रतिकर निधि'(Hit and Run Compensation Fund) से सरकार मृतक के परिवार को 2 लाख और घायल को 50 हजार का मुआवजा दिया जाएगा.

आवेदन फॉर्म.
आवेदन फॉर्म. (Photo Credit: Etv Bharat)
मुआवजा के लिए कहां से ले फॉर्म और कैसे भरेंजिलाधिकारी कार्यालय से पीड़ित परिवार को 'टक्कर मार कर भागना प्रतिकर निधि'(Hit and Run Compensation Fund) से मुआजा लेने के आवेदन फॉर्म लेना होगा. इस फॉर्म में घायल या फिर मृतक का पूरा विवरण और दुर्घटना की जानकारी देनी होती है. जैसे मृतक या घायल का का नाम, पिता का नाम, पता, उसकी उम्र, जन्म तारीख, लिंग, मुआवजा दावा करने वाले का आधार संख्या, घायल व्यक्ति या फिर उसके दावाकर्ता की बैंक डिटेल, दुर्घटना का स्थान व समय, मृतक या घायल व्यक्ति का व्यवसाय, घायल की स्थिति का विवरण, दुर्घटना जिस थाने के अंतर्गत हुई हुई उसका नाम, दुर्घटना में घायल व्यक्ति का जिस अस्तपाल में इलाज हुआ हुआ हो उसका विवरण, दावेदार का विवरण, दावेदार का मृतक या घायल से संबंध, इलाज में किए गए खर्च की रशीद विवरण फॉर्म में भरना होगा. इसके अलावा फॉर्म के साथ मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी जमा करना होगा.क्या है नियम?दरअसल, सड़क हादसे में कई ऐसे वाहन होते हैं, जो टक्कर मारने के बाद फरार हो जाते है. जिससे यह पता नहीं चल पाता है कि हादसा कौन सी गाड़ी और कैसे से हुआ है. ऐसे में गाड़ी मालिक व बीमा पॉलिसी के विषय में जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती. ऐसी दुर्घटना के लिये भारत सरकार द्वारा पोषण निधि योजना, 1989 बनायी गई थी. इस योजना के तहत दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु होने की दशा में मृतक के आश्रितों को 25,000 रुपए (अब 2 लाख रुपये) और गम्भीर रूप से घायल व्यक्ति को 12,500 (अब 50 हजार रुपए) मुआवजा राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है. इस योजना के तहत आवेदन करने वाले पीड़ित व्यक्ति / मृतक के आश्रितों को एक्सीडेंट के छह महीने के अंदर निर्धारित फॉर्म अधिकृत जांच अधिकारी (उप जिला अधिकारी) या फिर जिलाधिकारी के पास जमा कर सकते हैं. कब और कौन देता है मुआवजा?आवेदन फॉर्म जमा करने के बाद एसडीएम रिपोर्ट द्वारा जांच कर संस्तुति जिलाधिकारी को भेजी जाती है. जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार करके क्लेम सेटेलमेन्ट कमिश्नर (जिलाधिकारी) द्वारा नियमानुसार मुआवजा धनराशि दिलाये जाने के लिये आवश्यक आदेश दिये जाते हैं. इस धनराशि के भुगतान का दायित्त्व उस बीमा कम्पनी का होता है, जो भारत सरकार द्वारा नामित (Nominated) की गयी हो. उत्तर प्रदेश में इस मुआजे के लिए ओरियन्टल बीमा कम्पनी नामित की गयी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दो माह के भीतर पीड़ित को मुआजा देना होगा.

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