रांची: दीप और रौशनी का त्योहार दीपावली की धूम है. लिहाजा राजधानी रांची सहित राज्य भर में मिठाइयों की दुकानें सज गयी हैं. लोग इनकी खरीदारी में जुट गए हैं. लेकिन जिन मिठाइयों को आप त्योहार की खुशियां दोगुनी करने के लिए खरीद रहे हैं. वह कितना शुद्ध है और स्वास्थ्य के लिए कितना हितकर है. यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने कुछ लाइव टेस्ट किए और फूड एक्सपर्ट से बात की.
ईटीवी भारत संवाददाता उपेंद्र कुमार ने झारखंड के स्टेट फूड टेस्टिंग लैब के हेड और खाद्य विश्लेषक चतुर्भुज मीणा से दीपावली के दौरान बाजार में मिलने वाली मिठाइयों को लेकर बात की. खाद्य विश्लेषक ने इस दीपावली में मिठाइयों की खरीददारी के लिए कुछ खास टिप्स दिए हैं. साथ ही साथ कहा कि आपकी थोड़ी से अलर्टनेस और थोड़ा सा स्मार्ट ग्राहक बनने भर से आप कई परेशानियों से बच सकते हैं.
जिस मिठाई को खरीदना है उसे टेस्ट करें
खाद्य विश्लेषक चतुर्भुज मीणा ने कहा कि जब भी आप दीपावली के लिए या अन्य दिनों में भी मिठाई खरीदने दुकान जाएं तो सबसे पहला काम यह करें कि जिस मिठाई को आप खरीदना चाहते हैं उसका एक टुकड़ा लेकर उसे गहरी सांस के साथ सूंघें और फिर चखें. अगर मिठाई में कोई खराब गंध या थोड़ा सा भी खट्टापन हो तो उसे मत खरीदिये.
मावा या खोया से बनी मिठाई की जांच के लिए एक बूंद आयोडीन काफी
झारखंड स्टेट फूड टेस्टिंग लैब के हेड और फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा कहते हैं कि ज्यादातर मिठाइयां दूध के मावा या खोया की बनी होती हैं. दुकानदार ज्यादा मुनाफे के लिए मावा या खोया की मिठाइयों में स्टार्च मिला देते हैं, यह अरारोट, मैदा या अन्य पदार्थ हो सकता है. इसकी जांच के लिए जिस मिठाई की जांच करनी है उसके कुछ भाग को एक बर्तन में मसलकर रख दें. उसमें मेडिकल स्टोर में आसानी से मिलने वाले टिंचर आयोडीन को डालने से यदि मिठाई का रंग ब्लू हो जाएं तो समझिये कि वह मिठाई शुद्ध खोये या खोवा की नहीं है, उसमें स्टार्च मिला हुआ है.
मिठाई में खतरनाक और इंडस्ट्रियल के इस्तेमाल की जांच जरूरी
दीपावली के समय में मिठाइयों को देखने मे आर्कषक लगने के लिए दुकानदार रगों का इस्तेमाल करते हैं. खाने के योग्य रंगों का इस्तेमाल अगर इन मिठाइयों में अनुशंसित मात्रा में किया जाए तो स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचता. लेकिन अगर अखाद्य रंग जिसे सामान्य भाषा में इंडस्ट्रियल यूज में प्रयोग वाली रंगें होती हैं. अगर उसका इस्तेमाल मिठाइयों में होता है तो यह बेहद खतरनाक है.
खाद्य विश्लेषक चतुर्भुज मीणा कहते हैं कि रंगों का कोई न्यूट्रिशनल वैल्यू नहीं होता. इसका इस्तेमाल सिर्फ मिठाइयों को देखने में सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए होता है. ऐसे में सबसे बेहतर है कि रंगीन और चटक कलर वाली मिठाइयों से परहेज करें. फिर इसकी जांच कर लें कि जिस रंगीन मिठाइयों का हम इस्तेमाल कर रहे हैं. वह स्वास्थ के लिए हानिकारक तो नहीं है.
खाद्य विश्लेषक के अनुसार इसके लिए रंगीन मिठाई को एक शीशे के ग्लास में पानी में घोल लें और उसमें कुछ बूंद नमक का तेजाब जिसे हाइड्रोक्लोरिक एसिड कहा जाता है उसकी कुछ बूंदे डालकर कुछ देर मिलाएं. इस जांच में अगर मिठाई का रंग गहरा गुलाबी हो जाएं तो यह बताता है कि मिठाई में जो रंग मिलाया गया है वह अखाद्य रंग है. चतुर्भुज मीणा कहते है कि अगर घर में हाइड्रोक्लोरिक एसिड नहीं है तो यह प्रयोग टॉयलेट क्लीनर को तीन गुणा डाइल्यूट करके भी किया जा सकता है.
चांदी के वर्क की असलियत जानना भी जरूरी
स्टेट फ़ूड टेस्टिंग लैब हेड चतुर्भुज मीणा ने बताया कि लोग हेल्दी और अच्छी मिठाई समझकर महंगी काजू कतली नाम की मिठाई भी दीवाली में खरीदते हैं. इन मिठाइयों के ऊपर चांदी का वर्क लगा होता है. कई बार त्योहार या मेला की भीड़भाड़ में काजू कतली के ऊपर चांदी का वर्क न लगाकर अलुमिनियम का वर्क लगा दिया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. काजू कतली के ऊपर लगे चांदी के वर्क की जांच के लिए चांदी के वर्क वाले पार्ट को अपनी उंगलियों से रब करें. अगर असली चांदी का वर्क होगा तो वह मिठाई और आपके उंगलियों से गायब हो जाएगा अन्यथा एलुमिनियम होने पर वह रगड़ने पर खत्म नहीं होगा.
रांची में इन दिनों दूध की जगह तेल का मावा बनाया जा रहा है. इससे बनीं मिठाइयों को जांचने-परखने के लिए बहुत जरूरी है खोया या मावा से बनीं मिठाइयों का टुकड़ा लेकर हथेली पर रखकर रगड़ें. अगर वह तेल का बना होगा तो उससे घी की जगह तेल की महक आने लगेगी.
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