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जानिए शराब की बोतल पर कितना लगता है गौधन सेस, अब तक कितनी मिली धनराशि - Gaudhan Cess - GAUDHAN CESS

Gaudhan Cess on liquor bottle: राज्य कर एवं आबकारी विभाग एक शराब की बोतल पर 2021-22 में 1.50 रुपये, 2022-23 से 2.50 रुपये प्रति बोतल गौधन विकास निधि सेस ले रहा है. सैस के रूप में हिमाचल प्रदेश गौसेवा आयोग को प्रतिवर्ष धनराशि प्रदान की जाती है, जिसका व्यय गौसेवा आयोग प्रदेश में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित गौ सदनों/गौशालाओं/ गौ अभ्यारण्यों में पल रहे बेसहारा गौवंश के पालन पोषण के लिए अनुमोदित SOPs के अनुसार करता है.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 15, 2024, 4:14 PM IST

Updated : Sep 15, 2024, 4:44 PM IST

शिमला: मानसून सत्र के दौरान बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा, सुरेंद्र शौरी, डीएस ठाकुर ने विधानसभा में सरकार से सवाल करते हुए पूछा था कि वर्तमान में एक बोतल शराब की बिक्री पर कितना गौ-उपकर लिया जाता है. इस उपकर से सरकार को गत तीन सालों में कितना राजस्व प्राप्त हुआ है. इस उपकर से प्राप्त आय को किन किन मदों पर व्यय किया गया है.

इसके जवाब में सरकार की ओर जानकारी दी गई थी कि राज्य कर एवं आबकारी विभाग एक शराब की बोतल पर 2021-22 में 1.50 रुपये, 2022-23 से 2.50 रुपये प्रति बोतल गौधन विकास निधि सेस ले रहा है. पिछले तीन सालों में शराब की बिक्री से प्राप्त गौ-उपकर राजस्व का ब्यौरा और इसके व्यय का विवरण नीचे दिया गया है.

वित्त वर्षकुल राशि
2021-20229,36,43,245
2022-202312,05,80,734
2023-202422,33,23,228
कुल43,75,47,207

सेस के रूप में हिमाचल प्रदेश गौसेवा आयोग को प्रतिवर्ष धनराशि प्रदान की जाती है, जिसका व्यय गौसेवा आयोग प्रदेश में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित गौ सदनों/गौशालाओं/ गौ अभ्यारण्यों में पल रहे बेसहारा गौवंश के पालन पोषण के लिए अनुमोदित SOPs के अनुसार करता है. प्रारम्भ में गौ सदनों/ गौशालाओं / गौ अभ्यारण्यों को प्रोत्साहन योजना के 500/-रुपये प्रति गौवंश हर माह दिया जा रहा था. अब इसका नाम बदल कर "गोपाल योजना" किया गया और 700/-रुपये प्रति गौवंश हर माह गौसदनों को दिया जा रहा है. इस योजना के अनुसार गत तीन वर्षों में अभी तक आयोग को 43,75,47,207 रूपए की धनराशि प्रदान की गई है, जिसमें से 34,24,37,603 रूपए धनराशि गौ सेवा आयोग ने गोपाल योजना के अन्तर्गत जुलाई 2024 तक व्यय की है. 9,51,09,604 रूपए केवल आयोग के पास शेष हैं

बता दें कि हिमाचल में बेसहारा गौवंश की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. बेसहारा गौवंश सड़कों पर कई हादसों का कारण भी बन रहा है. साथ ही किसानों की फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहा है. कई क्षेत्रों में किसान बेसहारा पशुओं के कारण खेती करना भी छोड़ चुके हैं. ऐसे में सरकार ने शराब पर गौवंश के लिए सैस लगाना शुरू किया था. इस सेस की राशि को गौशालाओं को गौवंश की देखभाल के लिए वितरित किया जाता है.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस एमएलए सुरेश कुमार ने उठाया क्रशर की 2.13 करोड़ लायबिलिटी व एक ही दिन में 35 बेनामी रजिस्ट्रियों का मामला, सीएम ने कहा-होगी जांच

ये भी पढ़ें: रेवेन्यू सरप्लस होने के बाद भी जयराम सरकार ने नहीं दिया था कर्मचारियों का डीए, सीएम सुक्खू ने पूर्व सरकार पर फोड़ा आर्थिक संकट का ठीकरा

शिमला: मानसून सत्र के दौरान बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा, सुरेंद्र शौरी, डीएस ठाकुर ने विधानसभा में सरकार से सवाल करते हुए पूछा था कि वर्तमान में एक बोतल शराब की बिक्री पर कितना गौ-उपकर लिया जाता है. इस उपकर से सरकार को गत तीन सालों में कितना राजस्व प्राप्त हुआ है. इस उपकर से प्राप्त आय को किन किन मदों पर व्यय किया गया है.

इसके जवाब में सरकार की ओर जानकारी दी गई थी कि राज्य कर एवं आबकारी विभाग एक शराब की बोतल पर 2021-22 में 1.50 रुपये, 2022-23 से 2.50 रुपये प्रति बोतल गौधन विकास निधि सेस ले रहा है. पिछले तीन सालों में शराब की बिक्री से प्राप्त गौ-उपकर राजस्व का ब्यौरा और इसके व्यय का विवरण नीचे दिया गया है.

वित्त वर्षकुल राशि
2021-20229,36,43,245
2022-202312,05,80,734
2023-202422,33,23,228
कुल43,75,47,207

सेस के रूप में हिमाचल प्रदेश गौसेवा आयोग को प्रतिवर्ष धनराशि प्रदान की जाती है, जिसका व्यय गौसेवा आयोग प्रदेश में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित गौ सदनों/गौशालाओं/ गौ अभ्यारण्यों में पल रहे बेसहारा गौवंश के पालन पोषण के लिए अनुमोदित SOPs के अनुसार करता है. प्रारम्भ में गौ सदनों/ गौशालाओं / गौ अभ्यारण्यों को प्रोत्साहन योजना के 500/-रुपये प्रति गौवंश हर माह दिया जा रहा था. अब इसका नाम बदल कर "गोपाल योजना" किया गया और 700/-रुपये प्रति गौवंश हर माह गौसदनों को दिया जा रहा है. इस योजना के अनुसार गत तीन वर्षों में अभी तक आयोग को 43,75,47,207 रूपए की धनराशि प्रदान की गई है, जिसमें से 34,24,37,603 रूपए धनराशि गौ सेवा आयोग ने गोपाल योजना के अन्तर्गत जुलाई 2024 तक व्यय की है. 9,51,09,604 रूपए केवल आयोग के पास शेष हैं

बता दें कि हिमाचल में बेसहारा गौवंश की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. बेसहारा गौवंश सड़कों पर कई हादसों का कारण भी बन रहा है. साथ ही किसानों की फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहा है. कई क्षेत्रों में किसान बेसहारा पशुओं के कारण खेती करना भी छोड़ चुके हैं. ऐसे में सरकार ने शराब पर गौवंश के लिए सैस लगाना शुरू किया था. इस सेस की राशि को गौशालाओं को गौवंश की देखभाल के लिए वितरित किया जाता है.

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Last Updated : Sep 15, 2024, 4:44 PM IST
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