रांची: चतरा लोकसभा सीट झारखंड का ऐसा संसदीय क्षेत्र है जहां से अब तक कोई भी स्थानीय नेता संसद नहीं पहुंच पाया है. यहां के लोगों ने हमेशा ही बाहरी नेता पर अपना भरोसा जताया है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है. जबकि जनता दल और राज यहां से दो-दो बार जीत चुके हैं.
चतरा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी जीत दर्ज की है. खास बात ये है कि इनमे से कोई भी प्रत्याशी स्थानीय नहीं था. चतरा लोकसभा क्षेत्र में पहली बार 1957 में चुनाव हुए तो यहां से रामगढ़ की महारानी विजया रानी ने जीत दर्ज की थी. इन्होंने जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था. वहीं 1962 और 1967 में उन्होंने निर्दलीय रहते हुए जीत हासिल की. कांग्रेस का खाता यहां पर 1971 में खुला था. तब यहां से शंकर दयाल सिंह ने जीत दर्ज की थी. हालांकि फिर आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा और जनता पार्टी के सुखदेव सिंह ने जीत दर्ज की. 1980 में यहां से फिर से कांग्रेस ने वापसी की और रणजीत सिंह विजयी हुए. 1984 में भी कांग्रेस के योगेश्वर प्रसाद ने जीत दर्ज की.
चतरा लोकसभा सीट पर 1989 और 1991 में जनता दल के उपेंद्र नाथ वर्मा को जीत मिली थी. 1996 में यहां पहली बार कमल खिला और बीजेपी की टिकट पर धीरेंद्र अग्रवाल ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1999 में बीजेपी से ही नागमणि कुशवाहा जीते. 2004 में धीरेंद्र अग्रवाल राजद में शामिल हो गए और जीत दर्ज की. इसके बाद 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इंदर सिंह नामधारी ने जीते और संसद पहुंचे. 2014 और 2019 में इस सीट पर भी मोदी लहर का असर दिखा और सुनील कुमार सिंह ने जीत दर्ज की.
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