पटना: गोवर्धन पूजा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है. मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठा लिया था और इंद्र देव के प्रकोप से गांव वालों की रक्षा की थी. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण को अनाज से बना भोग लगाते हैं, साथ ही गाय और बैलों का पूजन भी किया जाता है और गोबर से गोवर्धन भगवान बनाकर उनकी पूजा और परिक्रमा की जाती है.
इस दिन होती है गाय की पूजा: पटना के महावीर मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मुक्ति कुमार झा का कहना है कि सामान्य रूप से गोवर्धन पूजा यदुवंशी करते हैं. जो अपने घर गाय को पालते हैं, इस दिन उस गाय की पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा और गोवर्धन कुटाई पूजा दोनों अलग होता है.
गोधन कुटाई से कैसे अलग है गोवर्धन पूजा: गोधन कुटाई पूजा भाई दूज को कहते हैं जबकि गोवर्धन पूजा के दिन गाय की पूजा की जाती है. गाय की सुरक्षा का संकल्प लिया जाता है. गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के प्रतिपदा को मनाई जाती है और यह प्रतिपदा 2 नवंबर को अर्थात शनिवार के दिन मनाई जा रही है.
जानें पूजा का क्या है शुभ मुहूर्त: डॉ मुक्ति कुमार झा ने बताया कि इस साल गोवर्धन पूजा शनिवार 2 नवंबर को शाम 6:00 बजे तक कभी भी की जा सकती है. लेकिन जो शुभ काल होता है, जिसे शुभ मुहूर्त कहते हैं वह सुबह 8:00 बजे से दोपहर 1:00 तक है. गोपालक गोवर्धन पूजा को विशेष रूप से करते हैं क्योंकि इस दिन गाय को लक्ष्मी रूप में पूजा की जाती है.
यहां जानें पूजा विधि: गोवर्धन पूजा के लिए सबसे पहले घर के आंगन अथवा मुख्य द्वार के पास गोबर से लेप कर गोवर्धन भगवान की आकृति बनाएं. इसके साथ ही गाय और बैल की छोटी-छोटी आकृतियां भी बनाएं. फिर पूजा में रोली, चावल, बताशे, पान, खीर, जल, दूध, फूल आदि अर्पित करें और दीपक जलाएं. इसके बाद गोवर्धन भगवान अर्थात श्री कृष्ण को ध्यान करते हुए भगवान की आकृति की परिक्रमा करें. उसके बाद आरती करें और आखिरी में भोग लगाकर प्रसाद को सभी में बांट दें.
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