नई दिल्ली: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण बताया गया है. इस बार यह 22 मार्च को रखा जाएगा. शुक्र के दिन त्रियोदिशी तिथि पड़ने से इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भक्त उपवास रखकर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करते हैं. ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि इस व्रत को करने से जीवन में आ रही आर्थिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है. साथ ही व्यापार आदि के नए रास्ते खुलते हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है. ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए यह व्रत उत्तम है.
शुक्र प्रदोष व्रत शुरूआत व समापन
- फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुक्रवार, 22 मार्च सुबह 08:21 बजे शुरू होगी.
- इसका समापन शनिवार, 23 मार्च सुबह 06:11 बजे होगा.
- उदया तिथि के अनुसार, शुक्रवार 22 मार्च को शुक्र प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
पूजा विधि: शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि समेत दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहने. इसके बाद शुक्र प्रदोष व्रत का संकल्प लें. घर के मंदिर की सफाई करने के बाद भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति स्थापित करें. फिर पुष्प व माला अर्पित कर पंचमेवा, मिष्ठान और खीर आदि का भोग लगाएं. शुक्र प्रदोष व्रत के दिन शाम की पूजा को विशेष फलदाई बताया गया है. ऐसे में शाम की पूजा जरूर करें.
उपाय: इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करें और मां पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें. मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से व्रती के वैवाहिक संबंध में मधुरता आती है. साथ ही घर में सुख शांति का वास होता है.
Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. ईटीवी भारत खबर में दी गई किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल मिलने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले.
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