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बेसमेंट की गहराई का कोई मानक नहीं, मास्टर प्लान में खामियां ही खामियां, जानिए एक्सपर्ट की राय - Delhi Master Plan 2021 - DELHI MASTER PLAN 2021

दिल्ली कोचिंग हादसे के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. दिल्ली नगर निगम निर्माण समिति के पूर्व अध्यक्ष जगदीश ममगाई ने बताया कि मास्टर प्लान 2021 में बेसमेंट की अधिकतम गहराई का कोई मानक नहीं है. जिसका कोचिंग इंस्टीट्यूट वाले गलत तरीके से फायदा उठा रहे हैं.

रेजिडेंशियल कैटेगरी में रखे जाने का फायदा उठा रहे कोचिंग इंस्टीट्यूट
रेजिडेंशियल कैटेगरी में रखे जाने का फायदा उठा रहे कोचिंग इंस्टीट्यूट (etv bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 1, 2024, 4:05 PM IST

Updated : Aug 1, 2024, 5:54 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में एक बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर में पानी भरने से आईएएस की तैयारी कर रहे तीन छात्र-छात्राओं की डूबने से मौत हो गई. इस घटना के बाद अब बेसमेंट को लेकर सवाल उठने लगे हैं. इतना ही नहीं बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटरों पर पांच दिन से लगातार दिल्ली नगर निगम भी सीलिंग की कार्रवाई कर रहा है.

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बेसमेंट को बनाने का नियम क्या है. इसको लेकर निगम निर्माण समिति के पूर्व अध्यक्ष जगदीश ममगाई ने बताया कि बिल्डिंग निर्माण के नियम बनाने का काम दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) का है, एमसीडी तो सिर्फ उन नियमों को लागू कराने की एजेंसी है. डीडीए द्वारा बिल्डिंग निर्माण के जो नियम बनाए जाते हैं उनके आधार पर ही एमसीडी बिल्डिंग के नक्शे पास करती है और उन नियमों को लागू कराती है.

ममगाई ने बताया कि मौजूदा समय में दिल्ली में वर्ष 2021 का मास्टर प्लान लागू है. अभी 2041 वाले मास्टर प्लान को दिल्ली में लागू नहीं किया जा सका है. यह मास्टर प्लान ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के पास पिछले डेढ़ वर्ष से लटका है. अभी जो वर्ष 2021 का मास्टर प्लान लागू है, उस मास्टर प्लान में सभी कोचिंग सेंटरों को रेजिडेंशियल श्रेणी में रखा गया था. इसके पीछे कारण ये रहा कि 2021 का मास्टर प्लान वर्ष 1990 में बना उस समय कोचिंग सेंटर की इतनी भरमार नहीं थी. उस समय घर पर ही कुछ बच्चों को पढ़ाने का चलन था. इसलिए कोचिंग सेंटर को रेजिडेंशियल कैटेगरी में रखा गया. इस वजह से बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर या अन्य बिल्डिंगों में चल रहे कोचिंग सेंटर को चलाने के लिए बहुत ज्यादा नियमों का पालन करने की जरूरत नहीं होती है.

मास्टर प्लान 2021 में बेसमेंट के अंदर गोदाम बनाने, पार्किंग रखने और स्टोरेज करने की छूट दी गई है. इसलिए कोचिंग सेंटर संचालक लाइब्रेरी को भी किताबें रखने का स्टोरेज बताकर लाइब्रेरी खोल लेते हैं. साथ ही रेजिडेंशियल कैटेगरी में होने की वजह से गोदाम, पार्किंग और स्टोरेज के लिए फायर एनओसी और पुलिस एनओसी की भी जरूरत नहीं है. इसलिए अधिकांश लोग अपनी-अपनी इमारत में बेसमेंट को बनवा रहे हैं और इनमें गतिविधियां चला रहे हैं.

मास्टर प्लान 2021 में सख्त कार्रवाई का प्रावधान नहीं: मास्टर प्लान 2021 में यह प्रावधान किया गया था कि अगर कोई बेसमेंट में कमर्शियल एक्टिविटी करता है तो ऐसे बेसमेंट में आने और जाने के लिए अलग-अलग गेट होने चाहिए. इसकी गहराई कम से कम 2.4 मीटर होनी चाहिए. लेकिन, अधिकतम गहराई कितनी हो इसका कोई मानदंड नहीं है. 50 मीटर के बेसमेंट में एक एग्जॉस्ट फैन लगा होना चाहिए. बेसमेंट में वेंटिलेशन की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए. साथ ही बेसमेंट ऊपर से ड्रेनेज का पानी न जा सके इसकी पूरी व्यवस्था होनी चाहिए. किसी भी बेसमेंट में टॉयलेट, बाथरूम और किचन नहीं होनी चाहिए.

मास्टर प्लान 2021 में बेसमेंट में इतनी गतिविधियों को छूट देने दे दी गई. साथ ही नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई के लिए कोई सख्त नियम भी नहीं बनाए गए. हालांकि, 2041 के लिए तैयार किया जा रहे मास्टर प्लान के दौरान हमने डीडीए को लिखा था की कोचिंग सेंटर के खिलाफ इस मास्टर प्लान में सख्त कार्रवाई करने के नियम बनाए जाएं. लेकिन, डीडीए की तरफ से मास्टर प्लान 2041 में भी कोचिंग सेंटरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया, ना ही उनको रेजिडेंशियल केटेगरी से हटाया गया है.

बेसमेंट बनाने के लिए नहीं है कोई खास नियम: ममगाई ने आगे बताया कि बेसमेंट कितना गहरा होना चाहिए इसको लेकर भी डीडीए द्वारा कोई नियम नहीं बनाया गया है. ना ये नियम है, कितने बड़े प्लॉट पर कितने एरिया में बेसमेंट होना चाहिए. इसलिए सभी मकान मालिक अपने प्लॉट के हिसाब से छोटा और बड़ा बेसमेंट बनाते हैं, जिसका बड़ा प्लॉट होता है वह बड़ा बेसमेंट बनाता है, जिसका छोटा होता है वह छोटा बेसमेंट बनाता है. सख्त कार्रवाई का नियम नहीं होने की वजह से बेसमेंट बनाने वाला कोई व्यक्ति बेसमेंट से बाहर आने जाने के लिए दो दरवाजे की व्यवस्था नहीं करता है. साथ ही जिसको कोचिंग सेंटर चलाने के लिए बिल्डिंग बनानी होती है वह बेसमेंट को भी ज्यादा से ज्यादा गहरा बना देता है जिससे कि वह इसके ऊपर एक और मंजिल बना सके.

राऊ आईएएस की बिल्डिंग में दो फ्लोर नीचे तक है बेसमेंट: ममगाई ने बताया कि ओल्ड राजेंद्र नगर में जिस बिल्डिंग के बेसमेंट में हादसा हुआ है उस बेसमेंट के प्लाट का साइज 700 वर्ग मीटर से अधिक बताया गया है. साथ ही उस बेसमेंट का जो एरिया है वह प्लॉट से थोड़ा ही कम है. यानी की बिल्डिंग के मालिक ने प्लॉट के ज्यादा से ज्यादा एरिया में बेसमेंट बनाया है. बेसमेंट का साइज बहुत बड़ा होने के कारण और उसकी गहराई दो फ्लोर के बराबर होने की वजह से बच्चे जल्दी से बेसमेंट से बाहर नहीं निकल पाए और इतनी बड़ी घटना हो गई.

मास्टर प्लान 2041 में कमर्शियल कैटेगरी में रखे जाएं कोचिंग सेंटर: जगदीश ममगाई ने कहा कि मास्टर प्लान 2041 जो अभी लागू होने के लिए लंबित है, उसमें कोचिंग सेंटरों को रेजिडेंशियल कैटेगरी से हटाकर कमर्शियल कैटेगरी में शामिल किया जाए, जिससे कि उनकी बिल्डिंगों पर फायर और पुलिस की एनओसी लेने के नियम लागू हो सकें. साथ ही इन पर नियम तोड़ने पर कार्रवाई करने के लिए भी कोई सख्त नियम बनाए जाएं, जिससे कोचिंग सेंटर संचालक नियम तोड़ने से पहले 10 बार सोचें और नियमों को तोड़ने से बचें.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में एक बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर में पानी भरने से आईएएस की तैयारी कर रहे तीन छात्र-छात्राओं की डूबने से मौत हो गई. इस घटना के बाद अब बेसमेंट को लेकर सवाल उठने लगे हैं. इतना ही नहीं बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटरों पर पांच दिन से लगातार दिल्ली नगर निगम भी सीलिंग की कार्रवाई कर रहा है.

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बेसमेंट को बनाने का नियम क्या है. इसको लेकर निगम निर्माण समिति के पूर्व अध्यक्ष जगदीश ममगाई ने बताया कि बिल्डिंग निर्माण के नियम बनाने का काम दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) का है, एमसीडी तो सिर्फ उन नियमों को लागू कराने की एजेंसी है. डीडीए द्वारा बिल्डिंग निर्माण के जो नियम बनाए जाते हैं उनके आधार पर ही एमसीडी बिल्डिंग के नक्शे पास करती है और उन नियमों को लागू कराती है.

ममगाई ने बताया कि मौजूदा समय में दिल्ली में वर्ष 2021 का मास्टर प्लान लागू है. अभी 2041 वाले मास्टर प्लान को दिल्ली में लागू नहीं किया जा सका है. यह मास्टर प्लान ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के पास पिछले डेढ़ वर्ष से लटका है. अभी जो वर्ष 2021 का मास्टर प्लान लागू है, उस मास्टर प्लान में सभी कोचिंग सेंटरों को रेजिडेंशियल श्रेणी में रखा गया था. इसके पीछे कारण ये रहा कि 2021 का मास्टर प्लान वर्ष 1990 में बना उस समय कोचिंग सेंटर की इतनी भरमार नहीं थी. उस समय घर पर ही कुछ बच्चों को पढ़ाने का चलन था. इसलिए कोचिंग सेंटर को रेजिडेंशियल कैटेगरी में रखा गया. इस वजह से बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर या अन्य बिल्डिंगों में चल रहे कोचिंग सेंटर को चलाने के लिए बहुत ज्यादा नियमों का पालन करने की जरूरत नहीं होती है.

मास्टर प्लान 2021 में बेसमेंट के अंदर गोदाम बनाने, पार्किंग रखने और स्टोरेज करने की छूट दी गई है. इसलिए कोचिंग सेंटर संचालक लाइब्रेरी को भी किताबें रखने का स्टोरेज बताकर लाइब्रेरी खोल लेते हैं. साथ ही रेजिडेंशियल कैटेगरी में होने की वजह से गोदाम, पार्किंग और स्टोरेज के लिए फायर एनओसी और पुलिस एनओसी की भी जरूरत नहीं है. इसलिए अधिकांश लोग अपनी-अपनी इमारत में बेसमेंट को बनवा रहे हैं और इनमें गतिविधियां चला रहे हैं.

मास्टर प्लान 2021 में सख्त कार्रवाई का प्रावधान नहीं: मास्टर प्लान 2021 में यह प्रावधान किया गया था कि अगर कोई बेसमेंट में कमर्शियल एक्टिविटी करता है तो ऐसे बेसमेंट में आने और जाने के लिए अलग-अलग गेट होने चाहिए. इसकी गहराई कम से कम 2.4 मीटर होनी चाहिए. लेकिन, अधिकतम गहराई कितनी हो इसका कोई मानदंड नहीं है. 50 मीटर के बेसमेंट में एक एग्जॉस्ट फैन लगा होना चाहिए. बेसमेंट में वेंटिलेशन की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए. साथ ही बेसमेंट ऊपर से ड्रेनेज का पानी न जा सके इसकी पूरी व्यवस्था होनी चाहिए. किसी भी बेसमेंट में टॉयलेट, बाथरूम और किचन नहीं होनी चाहिए.

मास्टर प्लान 2021 में बेसमेंट में इतनी गतिविधियों को छूट देने दे दी गई. साथ ही नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई के लिए कोई सख्त नियम भी नहीं बनाए गए. हालांकि, 2041 के लिए तैयार किया जा रहे मास्टर प्लान के दौरान हमने डीडीए को लिखा था की कोचिंग सेंटर के खिलाफ इस मास्टर प्लान में सख्त कार्रवाई करने के नियम बनाए जाएं. लेकिन, डीडीए की तरफ से मास्टर प्लान 2041 में भी कोचिंग सेंटरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया, ना ही उनको रेजिडेंशियल केटेगरी से हटाया गया है.

बेसमेंट बनाने के लिए नहीं है कोई खास नियम: ममगाई ने आगे बताया कि बेसमेंट कितना गहरा होना चाहिए इसको लेकर भी डीडीए द्वारा कोई नियम नहीं बनाया गया है. ना ये नियम है, कितने बड़े प्लॉट पर कितने एरिया में बेसमेंट होना चाहिए. इसलिए सभी मकान मालिक अपने प्लॉट के हिसाब से छोटा और बड़ा बेसमेंट बनाते हैं, जिसका बड़ा प्लॉट होता है वह बड़ा बेसमेंट बनाता है, जिसका छोटा होता है वह छोटा बेसमेंट बनाता है. सख्त कार्रवाई का नियम नहीं होने की वजह से बेसमेंट बनाने वाला कोई व्यक्ति बेसमेंट से बाहर आने जाने के लिए दो दरवाजे की व्यवस्था नहीं करता है. साथ ही जिसको कोचिंग सेंटर चलाने के लिए बिल्डिंग बनानी होती है वह बेसमेंट को भी ज्यादा से ज्यादा गहरा बना देता है जिससे कि वह इसके ऊपर एक और मंजिल बना सके.

राऊ आईएएस की बिल्डिंग में दो फ्लोर नीचे तक है बेसमेंट: ममगाई ने बताया कि ओल्ड राजेंद्र नगर में जिस बिल्डिंग के बेसमेंट में हादसा हुआ है उस बेसमेंट के प्लाट का साइज 700 वर्ग मीटर से अधिक बताया गया है. साथ ही उस बेसमेंट का जो एरिया है वह प्लॉट से थोड़ा ही कम है. यानी की बिल्डिंग के मालिक ने प्लॉट के ज्यादा से ज्यादा एरिया में बेसमेंट बनाया है. बेसमेंट का साइज बहुत बड़ा होने के कारण और उसकी गहराई दो फ्लोर के बराबर होने की वजह से बच्चे जल्दी से बेसमेंट से बाहर नहीं निकल पाए और इतनी बड़ी घटना हो गई.

मास्टर प्लान 2041 में कमर्शियल कैटेगरी में रखे जाएं कोचिंग सेंटर: जगदीश ममगाई ने कहा कि मास्टर प्लान 2041 जो अभी लागू होने के लिए लंबित है, उसमें कोचिंग सेंटरों को रेजिडेंशियल कैटेगरी से हटाकर कमर्शियल कैटेगरी में शामिल किया जाए, जिससे कि उनकी बिल्डिंगों पर फायर और पुलिस की एनओसी लेने के नियम लागू हो सकें. साथ ही इन पर नियम तोड़ने पर कार्रवाई करने के लिए भी कोई सख्त नियम बनाए जाएं, जिससे कोचिंग सेंटर संचालक नियम तोड़ने से पहले 10 बार सोचें और नियमों को तोड़ने से बचें.

Last Updated : Aug 1, 2024, 5:54 PM IST
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