रायपुर: गर्भ कोष के मुख्य द्वार पर होने वाले कैंसर को सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है. सर्वाइकल कैंसर अक्सर महिलाओं में होता है. ये 30, 40 या फिर 50 की उम्र की महिलाओं को होता है. ये कैंसर समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है. इस कैंसर के कई कारण होता है. एक से अधिक बच्चे होना या जल्दी शादी हो जाना या फिर एक से अधिक पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाना इसका मुख्य कारण है. सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट 21 वर्ष की उम्र से महिलाओं को हर तीसरे साल में करना चाहिए.
जानिए क्या कहती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ: इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "शुरुआती दिनों में स्क्रीनिंग टेस्ट करने से सर्वाइकल कैंसर के लक्षण का पता चल जाता है. ऐसे में इसे रोकने में मदद भी मिल सकती है. शुरुआती दिनों में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण पकड़ में आते हैं, तो सर्वाइकल कैंसर आसानी से ठीक होने वाली बीमारी है. हर महिलाओं से अपील है कि महिलाओं को 21 साल होने के बाद हर तीसरे साल में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट करनी चाहिए."
वैक्सीनेशन के बाद भी करवाएं स्क्रीनिंग टेस्ट: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया कि, "सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए सबसे पहले स्क्रीनिंग टेस्ट जरूरी है. सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट के साथ ही एक वैक्सीन भी आती है. इस वैक्सीन का नाम एचपीवी वैक्सीन है. सर्वाइकल कैंसर एचपीवी संक्रमण के कारण होता है. इस वैक्सीन को लगाने से भी काफी हद तक सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सकता है. वैक्सीन लगवाने के बाद भी महिलाओं को स्क्रीनिंग टेस्ट करना जरूरी है. 9 से 11 वर्ष की आयु में वैक्सीन लगाने की शुरुआत की जाती हैं. उम्र इससे अधिक भी होती है तो भी वैक्सीन लगाया जा सकता है. वैक्सीन लगवाना इसलिए भी जरूरी हो जाता है कि यह सर्वाइकल कैंसर से बचाव करता है. सर्वाइकल कैंसर होने पर इस तरह के लक्षणों से पता लगाया जा सकता है."
ऐसे में सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए इन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. वैक्सीनेशन के बाद भी स्क्रीनिंग टेस्ट करवाएं, ताकि भविष्य में कोई दिक्कतें न हो.