जैसलमेर. देश में आमजन को रक्तदान के प्रति जागरूक करने का संकल्प लेकर एक युवक केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से पैदल चलकर स्वर्णनगरी जैसलमेर पहुंचा है. युवक ने करीब 21 हजार किलोमीटर की दूरी तय करने का लक्ष्य रखा है. रक्तदान का संदेश लेकर जैसलमेर पहुंचे किरण वर्मा ने बताया कि बीते दिनों उनके सामने ही एक बच्चे की खून की कमी के कारण मौत हो गई थी, जिसके कारण वो खुद भी सन्न रह गए. जिसके बाद अब वे साल 2021 से भारत की पैदल यात्रा कर लोगों को रक्तदान करने के लिए मोटिवेट कर रहे हैं.
किरण केरल से पैदल चलकर तमिलनाडु, पुडुचेरी, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, वेस्ट बंगाल, आसाम, मेघालय, अरुणांचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम के बाद राजस्थान के विभिन्न जिलों से होते हुए जैसलमेर पहुंचे. वहीं, अपनी यात्रा की अगली कड़ी में राजस्थान से निकलकर मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, झारखंड, बिहार समेत अन्य राज्यों में जाकर भी रक्तदान महादान का संदेश देंगे.
किरण वर्मा ने बताया कि इस पदयात्रा के दौरान उन्हें कई रक्तदाताओं से भी मिलने का मौका मिला, जिनके माध्यम से वह स्थानीय लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक कर रहे हैं. उन्होंने आगे बताया कि वह खून की कमी से किसी को मरने नहीं देना चाहते हैं. सरकार हमारे लिए हॉस्पिटल बना सकती है, ब्लड बैंक बना सकती है लेकिन ब्लड नहीं बना सकती. इसके लिए हमें ही आगे आना होगा. उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य है साल 2025 के अंत तक वो करीब 5 मिलियन नए रक्तदाताओं को तैयार करेंगे, ताकि आने वाले समय में देश में किसी भी व्यक्ति की मौत खून की कमी के चलते नहीं हो.
सिंपली ब्लड एप्प चलाते हैं किरण : दरअसल, किरण अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न जगहों पर लोगों से मिलते हैं. गांव-ढाणियों में जाते हैं और लोगों को व विशेषकर युवाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं. साथ ही, अपने मिशन और रक्तदान करने की जरूरतों के बारे में आमजन को बताते हैं. उन्होंने बताया कि उनके जीवन में दो ऐसी घटनाएं घटित हुई जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया. इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और सिंपली ब्लड नाम से एक एप्प की शुरुआत की. इस एप्प में करीब 2 लाख से ज्यादा रक्तदाता पंजीकृत है, जो जरूरत के समय लोगों को रक्तदान कर उनकी जान बचाने का कार्य कर रहे हैं.
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मार्केटिंग हेड की नौकरी छोड़ प्रचार में जुटे किरण : किरण वर्मा ने बताया कि वे सिर्फ 10वीं पास है. वे पढ़ाई में बहुत कमजोर थे. पहली बार 10वीं की परीक्षा में वह फेल भी हो चुके थे. फिर डिप्लोमा करने की कोशिश की, लेकिन उसमें भी वो असफल रहे. इसके बाद परिवार की आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने नौकरी शुरू की और विभिन्न कम्पनियों में कई सारे काम भी किए. जब उन्होंने अपनी आखिरी नौकरी छोड़ी तब वे किसी बड़े एज्युकेशनल ग्रुप में मार्केटिंग हेड के पद पर कार्यरत थे.
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यात्रा में उठानी पड़ी कई परेशानियां : किरण वर्मा का कहना है कि इस साल 2023 में हमने अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है, लेकिन इतने सालों बाद भी आज तक हम अपनी समस्याओं से आजाद नहीं हो पाए हैं. इन समस्याओं की अगर जड़ हम है तो सॉल्यूशन भी हम ही है. करीब 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में हर साल 50 लाख रक्तदाता तैयार हो जाए तो भारत मे एक भी व्यक्ति को रक्त की कमी के कारण अपनी जान नहीं गंवानी पड़ेगी.
किरण वर्मा ने बताया कि साल 2021 में शुरू की गई इस पैदल यात्रा के दौरान उन्हें कई प्रकार की परेशानियों से भी गुजरना पड़ा है, लेकिन जब इरादे पक्के हो तो कोई भी मुश्किल इंसान को विचलित नहीं कर सकती. इस यात्रा के दौरान कई बार उन्हें भूखा रहना पड़ा तो कई बार बारिश में भीगना भी पड़ा, लेकिन उनका मन नहीं डोला, क्योंकि मन में बस एक ही जुनून सवार है कि देश में कोई भी इंसान रक्त की कमी से दम ना तोड़े.