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बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी लगाने का झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह का सरगना गुरुग्राम से गिरफ्तार - ACCUSED OF FRAUD ARRESTED

सरकारी नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी करने वाले आरोपी को पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया. आरोपी पर 25000 का इनाम था.

Accused Of Fraud Arrested
ठगी का आरोपी गिरफ्तार (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 16, 2024, 10:31 PM IST

जयपुर: राजस्थान पुलिस मुख्यालय की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स ने बेरोजगार युवाओं के साथ ठगी के मामले में आरोपी अलवर निवासी दीपक कुमार मीणा को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया है. आरोपी पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था.

एडीजी एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स दिनेश एमएन के मुताबिक ठगी के आरोपी अलवर निवासी दीपक कुमार मीणा को गुरुग्राम से डिटेन कर लिया है. जिसे बाद में अग्रिम कार्रवाई के लिए टोंक जिले की बरौनी पुलिस को सौंपा गया. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी पर टोंक एसपी की ओर से 25000 रुपए का इनाम घोषित किया गया था. सब इंस्पेक्टर सुभाष सिंह तंवर के नेतृत्व में गठित टीम ने दीपक मीणा को गुरुग्राम से डिटेन किया.

पढ़ें: फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर नौकरी के नाम पर करता था बेरोजगार युवाओं से ठगी, आरोपी गिरफ्तार

फर्जी जॉइनिंग लेटर देकर दो जनों से की थी 10.70 लाख की ठगी: साल 2021 में टोंक निवासी परिवादी देवी शंकर कीर और विजय सिंह कीर ने एक रिपोर्ट थाना बरौनी पर दर्ज कराई कि दीपक कुमार मीणा, मनराज कीर और हंसराज कीर ने एफसीआई और भारतीय डाक विभाग में भर्ती कराने के नाम पर फर्जी जॉइनिंग लेटर देकर 10 लाख 70 हजार रुपए अपने खाते में जमा करवा ठगी की है. रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कर बरौनी पुलिस ने अनुसंधान के दौरान मुख्त्यार नगर निवासी आरोपी मनराज और हंसराज को गिरफ्तार कर लिया था. आरोपी दीपक मीणा प्रकरण दर्ज होने के बाद से ही फरार हो गया था.

ना मोबाइल ना सोशल मीडिया का प्रयोग: मुकदमा दर्ज होने के बाद ही मुख्य आरोपी दीपक मीणा अपने निवास स्थान से फरार हो गया था. फरारी के दौरान भी बेरोजगार युवकों से अपनी टीम के माध्यम से ठगी का कार्य कर रहा था. आरोपी दीपक बहुत ही शातिर किस्म का ठग है. वह ना तो अपने पास मोबाइल रखता है और ना ही किसी सोशल मीडिया का प्रयोग करता है. आरोपी अपने साथी सदस्य के मोबाइल से ही सोशल मीडिया एप काम में लेता था. किसी भी टीम मेंबर को अपने साथ 10 से 15 दिन से ज्यादा नहीं रखता था. गांव से भागने के बाद आरोपी दीपक गुड़गांव, दिल्ली, पटना, कानपुर और अन्य शहरों में टीम के सदस्यों के साथ रहने लगा था.

पढ़ें: हर्बल बीज खरीदने का झांसा देकर 32 लाख की ठगी, दो विदेशी नागरिकों को SOG ने दबोचा

बरौनी पुलिस को किया सुपुर्द: आरोपी पिछले 2 साल से अपने गांव भी नहीं आ रहा था. एजीटीएफ टीम की ओर से परंपरागत पुलिसिंग और सूचनाओं के आधार पर इसकी गुड़गांव, दिल्ली, कानपुर और पटना में तलाश की गई. तलाश के दौरान मंगलवार को एजीटीएफ टीम के हैड कांस्टेबल कमल डागर और हैड कांस्टेबल सुरेश कुमार को सूचना मिली कि दीपक आज पालम विहार गुरुग्राम में किसी से मिलने आ रहा है. सूचना पर उच्च अधिकारियों के निर्देश पर टीम के सदस्य कमल डागर, सुरेश कुमार और चालक श्रवण कुमार गुरुग्राम पहुंचे. जहां पर दीपक अपने टीम के किसी सदस्य से मिलने आया हुआ था, पुलिस टीम ने आरोपी को डिटेन करके पुलिस थाना बरौनी को सुपुर्द किया.

पढ़ें: ठगों ने पता पूछने के बहाने रोका, 50 हजार रुपए व स्कूटी की चाबी लेकर हुए फरार

वारदात का तरीका: बेरोजगार लोगों से ठगी करने के लिए इस गिरोह ने विभिन्न शहरों में नेटवर्क फैला रखा है. गिरोह के सदस्य जयपुर, दिल्ली, गुड़गांव, पटना, कानपुर समेत अन्य शहरों में रहकर वहां पर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बेरोजगार और कमजोर वर्ग के छात्रों को बहला फुसलाकर कर सरकारी जॉब दिलाने के बहाने से राजी कर रुपए प्राप्त कर उन्हें फर्जी जॉइनिंग लेटर देते हैं. नौकरी ज्वाइन करने संबंधित विभाग के पास पहुंचने पर पीड़ित को ठगी का एहसास होता था.

जयपुर: राजस्थान पुलिस मुख्यालय की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स ने बेरोजगार युवाओं के साथ ठगी के मामले में आरोपी अलवर निवासी दीपक कुमार मीणा को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया है. आरोपी पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था.

एडीजी एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स दिनेश एमएन के मुताबिक ठगी के आरोपी अलवर निवासी दीपक कुमार मीणा को गुरुग्राम से डिटेन कर लिया है. जिसे बाद में अग्रिम कार्रवाई के लिए टोंक जिले की बरौनी पुलिस को सौंपा गया. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी पर टोंक एसपी की ओर से 25000 रुपए का इनाम घोषित किया गया था. सब इंस्पेक्टर सुभाष सिंह तंवर के नेतृत्व में गठित टीम ने दीपक मीणा को गुरुग्राम से डिटेन किया.

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फर्जी जॉइनिंग लेटर देकर दो जनों से की थी 10.70 लाख की ठगी: साल 2021 में टोंक निवासी परिवादी देवी शंकर कीर और विजय सिंह कीर ने एक रिपोर्ट थाना बरौनी पर दर्ज कराई कि दीपक कुमार मीणा, मनराज कीर और हंसराज कीर ने एफसीआई और भारतीय डाक विभाग में भर्ती कराने के नाम पर फर्जी जॉइनिंग लेटर देकर 10 लाख 70 हजार रुपए अपने खाते में जमा करवा ठगी की है. रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कर बरौनी पुलिस ने अनुसंधान के दौरान मुख्त्यार नगर निवासी आरोपी मनराज और हंसराज को गिरफ्तार कर लिया था. आरोपी दीपक मीणा प्रकरण दर्ज होने के बाद से ही फरार हो गया था.

ना मोबाइल ना सोशल मीडिया का प्रयोग: मुकदमा दर्ज होने के बाद ही मुख्य आरोपी दीपक मीणा अपने निवास स्थान से फरार हो गया था. फरारी के दौरान भी बेरोजगार युवकों से अपनी टीम के माध्यम से ठगी का कार्य कर रहा था. आरोपी दीपक बहुत ही शातिर किस्म का ठग है. वह ना तो अपने पास मोबाइल रखता है और ना ही किसी सोशल मीडिया का प्रयोग करता है. आरोपी अपने साथी सदस्य के मोबाइल से ही सोशल मीडिया एप काम में लेता था. किसी भी टीम मेंबर को अपने साथ 10 से 15 दिन से ज्यादा नहीं रखता था. गांव से भागने के बाद आरोपी दीपक गुड़गांव, दिल्ली, पटना, कानपुर और अन्य शहरों में टीम के सदस्यों के साथ रहने लगा था.

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बरौनी पुलिस को किया सुपुर्द: आरोपी पिछले 2 साल से अपने गांव भी नहीं आ रहा था. एजीटीएफ टीम की ओर से परंपरागत पुलिसिंग और सूचनाओं के आधार पर इसकी गुड़गांव, दिल्ली, कानपुर और पटना में तलाश की गई. तलाश के दौरान मंगलवार को एजीटीएफ टीम के हैड कांस्टेबल कमल डागर और हैड कांस्टेबल सुरेश कुमार को सूचना मिली कि दीपक आज पालम विहार गुरुग्राम में किसी से मिलने आ रहा है. सूचना पर उच्च अधिकारियों के निर्देश पर टीम के सदस्य कमल डागर, सुरेश कुमार और चालक श्रवण कुमार गुरुग्राम पहुंचे. जहां पर दीपक अपने टीम के किसी सदस्य से मिलने आया हुआ था, पुलिस टीम ने आरोपी को डिटेन करके पुलिस थाना बरौनी को सुपुर्द किया.

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वारदात का तरीका: बेरोजगार लोगों से ठगी करने के लिए इस गिरोह ने विभिन्न शहरों में नेटवर्क फैला रखा है. गिरोह के सदस्य जयपुर, दिल्ली, गुड़गांव, पटना, कानपुर समेत अन्य शहरों में रहकर वहां पर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बेरोजगार और कमजोर वर्ग के छात्रों को बहला फुसलाकर कर सरकारी जॉब दिलाने के बहाने से राजी कर रुपए प्राप्त कर उन्हें फर्जी जॉइनिंग लेटर देते हैं. नौकरी ज्वाइन करने संबंधित विभाग के पास पहुंचने पर पीड़ित को ठगी का एहसास होता था.

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