ETV Bharat / state

उपचुनाव परिणाम आज: खींवसर पर सबकी नजर, भाजपा और आरएलपी में टक्कर

खींवसर उपचुनाव का परिणाम आज आएगा. यहां पर भाजपा और आरएलपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली है.

Rajasthan Assembly Election 2024
खींवसर उपचुनाव 2024 (ETV Bharat Jodhpur)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 22, 2024, 7:52 PM IST

Updated : Nov 23, 2024, 6:11 AM IST

जोधपुर: प्रदेश के उपचुनाव के चुनाव परिणाम शनिवार को आएंगे. यूं तो सातों सीटों के परिणाम पर लोगों की नजर हैं. लेकिन खास तौर से मारवाड़ में खींवसर विधानसभा के परिणाम को लेकर लोगों में खासी उत्सुकता है. यहां पर भाजपा के रेवंतराम डांगा व राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की कनिका बेनीवाल व कांग्रेस की रतन चौधरी के बीच मुकाबला है. माना जा रहा है कि भिड़ंत रेवंतराम व कनिका के बीच कड़ा मुकाबला रहा. इस सीट पर हनुमान बेनीवाल और स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

ऐसे में परिणाम को लेकर चर्चाएं जोरों पर है. हनुमान बेनीवाल अपनी पत्नी की जीत को लेकर आश्वश्त नजर आ रहे हैं. उनका कहना रहा है कि खींवसर आरएलपी की राजधानी है और कायम रहेगी. वहीं भाजपा से चुनाव लड़ रहे रेवतराम डांगा की जीत को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर आश्वस्त हैं. खींवसर तो भाजपा के चुनाव हारने पर अपना सिर व मूंछ मुंडवाने की बात कह चुके हैं. वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण धींगरा का कहना है कि यह चुनाव परिणाम नागौर की राजनीति में आरएलपी का भविष्य तय कर सकता है.

पढ़ें: खींवसर उपचुनाव 2024: मूंछ कटाने और सिर मूंडाने के दावे पर चिकित्सा मंत्री कायम, कहा-प्राण जाए पर वचन न जाए

परिणाम का आरएलपी पर असर: खींवसर विधानसभा 2008 में परिसिमन के बाद सृजित हुई थी. इसके बाद से यहां पर बेनीवाल परिवार का ही दबदबा है. इस बार का चुनाव उनके व उनकी पार्टी के लिए करो मरो का चुनाव है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में उनके अलावा प्रदेश में उनकी पार्टी का एक भी प्रत्याशी नहीं जीता था. ऐसे में विधानसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व बनाए रखने के लिए यह चुनाव जीतना जरूरी है. अगर कनिका बेनीवाल चुनाव हार जाती हैं, तो प्रदेश की राजनीति में हनुमान बेनीवाल पीछड़ जाएंगे. इसका सीधा फायदा कांग्रेस के जाट नेताओं को होगा.

पढ़ें: खींवसर में चुनाव से पहले हुआ कुछ ऐसा, पुलिस और बेनीवाल हुए आमने-सामने

इसलिए बेनीवाल के लिए महत्वपूर्ण है सीट: इस सीट से 2008 में हनुमान बेनीवाल भाजपा से यहां से जीते थे. जबकि 2013 में वे निर्दलीय जीत कर विधानसभा पहुंचे. 2018 में उन्होंने अपनी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाई और चुनाव जीता था. इसके बाद वे भाजपा से गठबंधन कर सांसद बने. उनके बाद उनके भाई नारायण बेनीवाल ने उपचुनाव जीता था. 2023 में नागौर सांसद रहते हुए बेनीवाल ने विधानसभा का चुनाव जीता. इसके बाद उन्होंने फिर मई 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और इस बार कांग्रेस के समर्थन से संसद में गए. इसलिए इस बार फिर उपचुनाव हो रहे हैं. इस बार भाई की जगह पत्नी को उन्होंने मैदान में उतारा है.

पढ़ें: कांग्रेस प्रत्याशी पर गाड़ी चढ़ाने का प्रयास! डॉ. रतन चौधरी ने भाजपा के कार्यकर्ताओं पर लगाया आरोप

भाजपा के लिए परिणाम के क्या मायने?: इस सीट से भाजपा के गजेंद्र सिंह खींवसर चुनाव जीतते रहे हैं. परिसिमन के बाद वे लोहावट चले गए. इसके बाद हनुमान बेनीवाल ने एक बार पार्टी को जीत दिलाई. बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ी तो भाजपा लगातार तीन चुनाव यहां हारी. इस बार अगर पार्टी चुनाव जीतती है, तो मारवाड़ में एक बार फिर जाटों में पार्टी मजबूत होगी और रेवंतराम डांगा के रूप में नया नेता मिलेगा. पार्टी हार जाती है, तो भजनलाल सरकार के लिए भी परेशानी होगी. साथ ही बेनीवाल से निपटने के लिए नया रास्ता तलाशना पड़ेगा. रेवंतराम डांगा खुद पहले बेनीवाल के साथी थे. उनको भाजपा ने 2023 के चुनाव में टिकट देकर हनुमान के समाने उतारा था. कड़े मुकाबले में बेनीवाल महज 2059 वोटों से जीत पाए थे. यही कारण है कि भाजपा ने डांगा को फिर उतारा. उनको सहानुभूति का लाभ मिल सके.

जोधपुर: प्रदेश के उपचुनाव के चुनाव परिणाम शनिवार को आएंगे. यूं तो सातों सीटों के परिणाम पर लोगों की नजर हैं. लेकिन खास तौर से मारवाड़ में खींवसर विधानसभा के परिणाम को लेकर लोगों में खासी उत्सुकता है. यहां पर भाजपा के रेवंतराम डांगा व राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की कनिका बेनीवाल व कांग्रेस की रतन चौधरी के बीच मुकाबला है. माना जा रहा है कि भिड़ंत रेवंतराम व कनिका के बीच कड़ा मुकाबला रहा. इस सीट पर हनुमान बेनीवाल और स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

ऐसे में परिणाम को लेकर चर्चाएं जोरों पर है. हनुमान बेनीवाल अपनी पत्नी की जीत को लेकर आश्वश्त नजर आ रहे हैं. उनका कहना रहा है कि खींवसर आरएलपी की राजधानी है और कायम रहेगी. वहीं भाजपा से चुनाव लड़ रहे रेवतराम डांगा की जीत को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर आश्वस्त हैं. खींवसर तो भाजपा के चुनाव हारने पर अपना सिर व मूंछ मुंडवाने की बात कह चुके हैं. वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण धींगरा का कहना है कि यह चुनाव परिणाम नागौर की राजनीति में आरएलपी का भविष्य तय कर सकता है.

पढ़ें: खींवसर उपचुनाव 2024: मूंछ कटाने और सिर मूंडाने के दावे पर चिकित्सा मंत्री कायम, कहा-प्राण जाए पर वचन न जाए

परिणाम का आरएलपी पर असर: खींवसर विधानसभा 2008 में परिसिमन के बाद सृजित हुई थी. इसके बाद से यहां पर बेनीवाल परिवार का ही दबदबा है. इस बार का चुनाव उनके व उनकी पार्टी के लिए करो मरो का चुनाव है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में उनके अलावा प्रदेश में उनकी पार्टी का एक भी प्रत्याशी नहीं जीता था. ऐसे में विधानसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व बनाए रखने के लिए यह चुनाव जीतना जरूरी है. अगर कनिका बेनीवाल चुनाव हार जाती हैं, तो प्रदेश की राजनीति में हनुमान बेनीवाल पीछड़ जाएंगे. इसका सीधा फायदा कांग्रेस के जाट नेताओं को होगा.

पढ़ें: खींवसर में चुनाव से पहले हुआ कुछ ऐसा, पुलिस और बेनीवाल हुए आमने-सामने

इसलिए बेनीवाल के लिए महत्वपूर्ण है सीट: इस सीट से 2008 में हनुमान बेनीवाल भाजपा से यहां से जीते थे. जबकि 2013 में वे निर्दलीय जीत कर विधानसभा पहुंचे. 2018 में उन्होंने अपनी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाई और चुनाव जीता था. इसके बाद वे भाजपा से गठबंधन कर सांसद बने. उनके बाद उनके भाई नारायण बेनीवाल ने उपचुनाव जीता था. 2023 में नागौर सांसद रहते हुए बेनीवाल ने विधानसभा का चुनाव जीता. इसके बाद उन्होंने फिर मई 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और इस बार कांग्रेस के समर्थन से संसद में गए. इसलिए इस बार फिर उपचुनाव हो रहे हैं. इस बार भाई की जगह पत्नी को उन्होंने मैदान में उतारा है.

पढ़ें: कांग्रेस प्रत्याशी पर गाड़ी चढ़ाने का प्रयास! डॉ. रतन चौधरी ने भाजपा के कार्यकर्ताओं पर लगाया आरोप

भाजपा के लिए परिणाम के क्या मायने?: इस सीट से भाजपा के गजेंद्र सिंह खींवसर चुनाव जीतते रहे हैं. परिसिमन के बाद वे लोहावट चले गए. इसके बाद हनुमान बेनीवाल ने एक बार पार्टी को जीत दिलाई. बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ी तो भाजपा लगातार तीन चुनाव यहां हारी. इस बार अगर पार्टी चुनाव जीतती है, तो मारवाड़ में एक बार फिर जाटों में पार्टी मजबूत होगी और रेवंतराम डांगा के रूप में नया नेता मिलेगा. पार्टी हार जाती है, तो भजनलाल सरकार के लिए भी परेशानी होगी. साथ ही बेनीवाल से निपटने के लिए नया रास्ता तलाशना पड़ेगा. रेवंतराम डांगा खुद पहले बेनीवाल के साथी थे. उनको भाजपा ने 2023 के चुनाव में टिकट देकर हनुमान के समाने उतारा था. कड़े मुकाबले में बेनीवाल महज 2059 वोटों से जीत पाए थे. यही कारण है कि भाजपा ने डांगा को फिर उतारा. उनको सहानुभूति का लाभ मिल सके.

Last Updated : Nov 23, 2024, 6:11 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.