लातेहार: लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए सरकार की ओर से कई तरह की योजनाएं चलायी जा रही हैं, लेकिन लातेहार सदर प्रखंड के जारम गांव का खेरवार टोला एक ऐसा टोला है, जहां ज्यादातर लोग बीमार रहते हैं. इस गांव के लोग सबसे ज्यादा हड्डी रोग से पीड़ित हैं. यहां जन्म लेने वाले बच्चे भी बीमार रहते हैं.
दरअसल, सदर प्रखंड के पोचरा पंचायत अंतर्गत जारम गांव में एक टोला है, खेरवार टोला. इस टोले की कुल आबादी करीब 40 से 50 होगी. लेकिन सबसे गंभीर बात यह है कि इस बस्ती में रहने वाले ज्यादातर लोग हड्डी रोग से पीड़ित हैं. स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, इस टोले में रहने वाले अधिकतर लोग टेढ़े-मेढ़े हो गये हैं. छोटे-छोटे बच्चे भी दिव्यांग हो गए हैं.
ग्रामीण भोलानाथ सिंह और नंदकिशोर सिंह ने बताया कि गांव में हैंडपंप लगा है. ग्रामीण इसका पानी पीते थे. घर के अधिकांश लोग जो हैंडपंप का पानी पीते थे, वे बीमार पड़ गये हैं. वर्तमान में स्थिति ऐसी हो गयी है कि इस टोले में जन्म लेने वाले बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि बीमारी के कारण इस गांव के लोग असमय ही काल के गाल में समा गए हैं.
कई ग्रामीण अभी भी गंभीर रूप से पीड़ित
ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में कृष्णकांत सिंह, बिलपत परहिया, सोबतिया देवी, विश्वेश्वर सिंह, सीतामणी देवी, सुशीला, बासमती देवी, करमदेव सिंह, सोनू कुमार समेत कई बच्चे हड्डी रोग से पीड़ित हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इसी टोले में रहने वाले राजाराम सिंह की मौत महज 45 वर्ष की उम्र में हड्डी रोग से हो गयी थी. फिलहाल उनके तीन बच्चे भी गंभीर रूप से बीमार हैं. गांव में हड्डी रोग के अलावा मूक-बधिर रोग से पीड़ित बच्चे भी बड़ी संख्या में हैं.
गर्म कुंड बन गया अभिशाप
गांव के बगल में ततहा गर्म कुंड स्थित है. इस कुंड का पानी हमेशा गर्म रहता है. कहा जाता है कि यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है. यहां सल्फर की मात्रा भी बहुत अधिक है, जिसके कारण यहां का पानी गर्म रहता है. इस गर्म कुंड का असर खरवार टोले में लगे हैंडपंप के पानी में भी रहता है. बताया जाता है कि फ्लोराइडयुक्त पानी पीने के कारण यहां के ग्रामीण हड्डी रोग से पीड़ित हो रहे हैं.
डीसी के निर्देश पर लगाया गया मेडिकल कैंप
इधर, डीसी गरिमा सिंह के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से उच्चस्तरीय मेडिकल टीम का गठन कर गांव में कैंप लगाया गया. सोमवार को इस ग्रुप के लगभग सभी लोगों की जांच की गई. इसके अलावा टोले के आसपास रहने वाले इस गांव के अन्य लोगों की भी जांच की गयी. जांच के बाद हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ.कमलेश ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि यहां की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी फ्लोराइड से प्रभावित है. कुछ लोगों की हालत डेंजर जोन में पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि फ्लोराइड से बचने का एकमात्र उपाय फ्लोराइडयुक्त पानी न पीना है.
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