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जयपुर से कुछ किलोमीटर दूर खुलेआम हो रही राज्य वृक्ष की कटाई, सिस्टम दिख रहा है मौन - Khejri trees are being cut

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 5, 2024, 5:11 PM IST

Updated : Jun 5, 2024, 7:26 PM IST

एक ओर जहां सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता अभियान चलाकर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. वहीं, राजधानी के रेनवाल क्षेत्र में लगातार पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. यहां राज्य वृक्ष खेजड़ी की कटाई प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं.

Khejri trees are being cut
जयपुर से कुछ किलोमीटर दूर खुलेआम हो रही राज्य वृक्ष की कटाई (photo etv bharat jaipur)
जयपुर से कुछ किलोमीटर दूर खुलेआम हो रही राज्य वृक्ष की कटाई (photo etv bharat jaipur)

रेनवाल(जयपुर). राजधानी जयपुर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद रेनवाल और आसपास के इलाके में प्रशासन की उदासीनता से राज्य वृक्ष खेजड़ी के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है. अंधाधुंध कटाई का सारा खेल राजस्व विभाग के अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहा है. बावजूद इसके राजस्थान की इस धरोहर को बचाने की मुमकिन कोशिश नहीं की जा रही है. यही वजह है कि राज्य वृक्ष खेजड़ी अब क्षेत्र में विलुप्त होने की कगार पर है. क्षेत्र में हो रही हरे पेड़ों की कटाई को लेकर पर्यावरण प्रेमियों में वन माफियाओं और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ रोष व्याप्त है. वहीं, रेनवाल क्षेत्र में खेजड़ी के पेड़ों की हो रही अवैध कटाई को लेकर वन विभाग रेंजर दूदू राजेंद्र खींची ने कहा कि हम समय-समय पर गश्त भी करते हैं और हरे पेड़ों की लकड़ी का परिवहन करने वालों पर कार्रवाई करते हैं. रेनवाल क्षेत्र में कई आरा मशीन अवैध रूप से संचालित हो रही है हाल ही में दो आरा मशीनों पर कार्रवाई की गई थी.

रेनवाल में लगती है पेड़ों की बड़ी मंडी: प्रदेश में खेजड़ी को राज्य वर्ष का दर्जा मिले 40 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन इस वृक्ष की अंधाधुंध कटाई की रोकथाम को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे. अकेले रेनवाल में ही धड़ल्ले से रोजाना वृक्षों की बलि दी जा रही है. रेनवाल वह क्षेत्र है, जहां राजस्थान की सबसे बड़ी हरे पेड़ों की लकड़ी की मंडी लगती है. यहां रात के अंधेरे में उनकी बोली लगाई जाती है और इन्हें आरा मशीनों पर काटने के लिए भेजा जाता है. बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी अपनी आंखें मूंदे बैठे हैं और इसी का नतीजा है कि अब क्षेत्र में राज्य वृक्ष खेजड़ी विलुप्त होने की कगार पर है.

Khejri trees are being cut
काटने के बाद रात के अंधेरे में बिकने जा रही खेजड़ी की लकड़ी (photo etv bharat jaipur)

पढ़ें: राजस्थान में खेजड़ी सरंक्षण का सबसे बड़ा अभियान चलेगा, एक लाख पौधे बांटे जाएंगे

वन माफिया के किए हौसले बुलंद: राज्य वृक्ष खेजड़ी की क्षेत्र में हो रही अंधाधुंध कटाई को लेकर वन विभाग की कोई कार्रवाई नजर नहीं आती है. लगातार शिकायतों के बावजूद भी वन विभाग और स्थानीय प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है. पर्यावरण प्रेमियों ने बताया कि रोजाना प्रशासन की नाक के नीचे यह सारा खेल बे-रोक टोक चलता है, लेकिन प्रशासन वन माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं करता है. वन माफिया खुलेआम सड़कों पर ट्रैक्टरों में हरे पेड़ों को काटकर मंडी में पहुंचा रहे हैं. यहां पेड़ों की बोली लगने के बाद यह लकड़ी मशीनों पर कटने जाती है.

यह भी पढ़ें: हर दिन ग्रीन एनर्जी के लिए कुर्बान हो रही हरी खेजड़ी, राज्य वृक्ष को बचाने के लिए अभियान शुरू

खेजड़ी के लिए दी थी आहूति: एक और जहां राज्य वृक्ष खेजड़ी के पेड़ों को बचाने के लिए मारवाड़ क्षेत्र में अमृता देवी सहित 363 लोगों ने अपने प्राणों की बलि दे दी थी, वहीं रेनवाल क्षेत्र में राज्य वृक्ष के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इलाके में बिना भू रूपांतरण के कृषि भूमियों पर अवैध कॉलोनी बसाई जा रही है, जिसके चलते पर्यावरण के साथ-साथ सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगा रहे हैं. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण और अवैध कॉलोनी के खिलाफ प्रशासन के द्वारा कार्रवाई नहीं करना इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं. अगर समय रहते वन माफियाओं पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में क्षेत्र से खेजड़ी के वृक्ष विलुप्त हो जाएंगे.

जयपुर से कुछ किलोमीटर दूर खुलेआम हो रही राज्य वृक्ष की कटाई (photo etv bharat jaipur)

रेनवाल(जयपुर). राजधानी जयपुर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद रेनवाल और आसपास के इलाके में प्रशासन की उदासीनता से राज्य वृक्ष खेजड़ी के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है. अंधाधुंध कटाई का सारा खेल राजस्व विभाग के अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहा है. बावजूद इसके राजस्थान की इस धरोहर को बचाने की मुमकिन कोशिश नहीं की जा रही है. यही वजह है कि राज्य वृक्ष खेजड़ी अब क्षेत्र में विलुप्त होने की कगार पर है. क्षेत्र में हो रही हरे पेड़ों की कटाई को लेकर पर्यावरण प्रेमियों में वन माफियाओं और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ रोष व्याप्त है. वहीं, रेनवाल क्षेत्र में खेजड़ी के पेड़ों की हो रही अवैध कटाई को लेकर वन विभाग रेंजर दूदू राजेंद्र खींची ने कहा कि हम समय-समय पर गश्त भी करते हैं और हरे पेड़ों की लकड़ी का परिवहन करने वालों पर कार्रवाई करते हैं. रेनवाल क्षेत्र में कई आरा मशीन अवैध रूप से संचालित हो रही है हाल ही में दो आरा मशीनों पर कार्रवाई की गई थी.

रेनवाल में लगती है पेड़ों की बड़ी मंडी: प्रदेश में खेजड़ी को राज्य वर्ष का दर्जा मिले 40 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन इस वृक्ष की अंधाधुंध कटाई की रोकथाम को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे. अकेले रेनवाल में ही धड़ल्ले से रोजाना वृक्षों की बलि दी जा रही है. रेनवाल वह क्षेत्र है, जहां राजस्थान की सबसे बड़ी हरे पेड़ों की लकड़ी की मंडी लगती है. यहां रात के अंधेरे में उनकी बोली लगाई जाती है और इन्हें आरा मशीनों पर काटने के लिए भेजा जाता है. बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी अपनी आंखें मूंदे बैठे हैं और इसी का नतीजा है कि अब क्षेत्र में राज्य वृक्ष खेजड़ी विलुप्त होने की कगार पर है.

Khejri trees are being cut
काटने के बाद रात के अंधेरे में बिकने जा रही खेजड़ी की लकड़ी (photo etv bharat jaipur)

पढ़ें: राजस्थान में खेजड़ी सरंक्षण का सबसे बड़ा अभियान चलेगा, एक लाख पौधे बांटे जाएंगे

वन माफिया के किए हौसले बुलंद: राज्य वृक्ष खेजड़ी की क्षेत्र में हो रही अंधाधुंध कटाई को लेकर वन विभाग की कोई कार्रवाई नजर नहीं आती है. लगातार शिकायतों के बावजूद भी वन विभाग और स्थानीय प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है. पर्यावरण प्रेमियों ने बताया कि रोजाना प्रशासन की नाक के नीचे यह सारा खेल बे-रोक टोक चलता है, लेकिन प्रशासन वन माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं करता है. वन माफिया खुलेआम सड़कों पर ट्रैक्टरों में हरे पेड़ों को काटकर मंडी में पहुंचा रहे हैं. यहां पेड़ों की बोली लगने के बाद यह लकड़ी मशीनों पर कटने जाती है.

यह भी पढ़ें: हर दिन ग्रीन एनर्जी के लिए कुर्बान हो रही हरी खेजड़ी, राज्य वृक्ष को बचाने के लिए अभियान शुरू

खेजड़ी के लिए दी थी आहूति: एक और जहां राज्य वृक्ष खेजड़ी के पेड़ों को बचाने के लिए मारवाड़ क्षेत्र में अमृता देवी सहित 363 लोगों ने अपने प्राणों की बलि दे दी थी, वहीं रेनवाल क्षेत्र में राज्य वृक्ष के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इलाके में बिना भू रूपांतरण के कृषि भूमियों पर अवैध कॉलोनी बसाई जा रही है, जिसके चलते पर्यावरण के साथ-साथ सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगा रहे हैं. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण और अवैध कॉलोनी के खिलाफ प्रशासन के द्वारा कार्रवाई नहीं करना इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं. अगर समय रहते वन माफियाओं पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में क्षेत्र से खेजड़ी के वृक्ष विलुप्त हो जाएंगे.

Last Updated : Jun 5, 2024, 7:26 PM IST
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