रांची: झारखंड कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष अनुभवी नेता केशव महतो कमलेश को बनाया गया है जबकि राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव को विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया गया है. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर से जारी पत्र में तत्काल प्रभाव से उन्हें नए प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे.
झारखंड में केशव महतो कमलेश की गिनती कद्दावर ओबीसी नेता के रूप में होती है. वह संयुक्त बिहार में दो बार विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. कांग्रेस संगठन में भी उन्होंने महासचिव, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं. वर्तमान में झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में केशव महतो कमलेश सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे थे और नगर निकाय चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करने में जुटे थे. सिल्ली क्षेत्र से आने वाले केशव महतो कमलेश रांची लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं.
केशव महतो कमलेश को नए अध्यक्ष बनाये जाने के आलाकमान के फैसले को दूरगामी सोच वाला फैसला बताते हुए पार्टी के वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर ने कहा कि उनके लंबे राजनीतिक अनुभव का लाभ कांग्रेस को मिलेगा. केंद्रीय नेतृत्व ने एक तपे तपाये नेता के हाथों में प्रदेश का बागडोर सौंपा है, जो ओबीसी समाज से आते हैं, इसका अच्छा मैसेज जनता में जायेगा और पार्टी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी.
रामेश्वर उरांव विधायक दल के नेता
प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा एक मामले में आलमगीर आलम की गिरफ्तारी के बाद से विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता का पद खाली था. कांग्रेस आलाकमान ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव को विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता बनाया है.
करीब 03 साल रहा राजेश ठाकुर का कार्यकाल
वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर का कार्यकाल करीब 03 वर्षों का रहा. इस दौरान उन्होंने महागठबंधन की सरकार में कई कांग्रेस जनों को बोर्ड निगम और आयोग में स्थान दिलवाने में अपनी भूमिका निभाई, वहीं लोकसभा चुनाव में भी 2019 की अपेक्षा 2024 में सांसद की संख्या डबल इनके कार्यकाल में हुआ.
इस सबके बावजूद राज्य में एक भी सामान्य सीट नहीं जीत पाने को असफलता के तौर पर लिया गया. पिछले दिनों दिल्ली में राज्य के वरिष्ठ नेताओं से केसी वेणुगोपाल ने वन टू वन बात की थी तभी से प्रदेश नेतृत्व में बदलाव के कयास लगने लगे थे.
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