भरतपुर. अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों के चलते हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में हर वर्ष प्रवास और प्रजनन के लिए आते हैं, लेकिन अब यह विश्व विरासत धीरे-धीरे अपनी पहचान खो रही है. अब यह विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान धीरे-धीरे प्रदूषित हो रहा है. घना में लंबे समय से गोवर्धन ड्रेन से पानी लिया जा रहा है, लेकिन हकीकत में यह पानी घना के लिए जहर साबित हो रहा है.
गोवर्धन ड्रेन में बरसाती पानी के साथ ही प्रदूषित पानी भी घना तक पहुंच रहा है, जिसकी वजह से घना का हैबिटाट खराब हो रहा है. इतना ही नहीं, इसका दुष्प्रभाव यहां के जलीय जीव मछली और कछुओं पर भी पड़ रहा है. वहीं, राजनीति के चलते घना के लिए अमृत समान पांचना बांध का पानी बीते कई साल से नहीं मिल पा रहा है. यदि घना को पांचना बांध का पानी मिल जाए तो यह पानी संजीवनी का काम करेगा. अब भरतपुर निवासी भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद घना के लिए पांचना बांध का पानी मिलने की आस फिर से जगी है.
पहले तीन प्राकृतिक स्रोत से मिलता था पानी : पर्यावरणविद एवं सेवानिवृत रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि पहले घना को तीन प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी मिलता था. जयपुर की तरफ से आने वाली बाणगंगा नदी से करौली की तरफ से पांचना बांध का पानी गंभीरी नदी के माध्यम से और अलवर हरियाणा की तरफ से आने वाली रूप रेल नदी से उद्यान को भरपूर बरसाती पानी मिलता था, लेकिन अतिक्रमण, राजनीति और कम बरसात के चलते इन तीनों स्रोतों से उद्यान को पानी मिलना बंद हो गया.
प्रदूषित है गोवर्धन ड्रेन का पानी : पर्यावरणविद भोलू अबरार खान ने बताया कि तीनों नदियों का पानी मिलना बंद होने के बाद घना के लिए बीते कई साल से गोवर्धन ड्रेन से पानी लिया जा रहा है. इस ड्रेन में बरसाती पानी के साथ ही ड्रेनेज का प्रदूषित पानी, इंडस्ट्रीज का रासायनिक पानी मिलकर घना तक पहुंच रहा है.
...तो खत्म हो जाएगी विश्व विरासत : भोलू अबरार खान ने बताया कि गोवर्धन ड्रेन के प्रदूषित पानी का काफी दुष्प्रभाव पड़ रहा है. प्रदूषित पानी की वजह से घना का हैबिटाट खराब हो रहा है. इसकी वजह से यहां के जलीय जीवों पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है. पक्षियों की संख्या भी घट रही है. कई प्रजाति के पक्षियों ने भी आना बंद कर दिया है. भोलू अबरार खान ने बताया कि यदि घना को पांचना बांध का पानी नहीं मिला तो यह धीरे-धीरे कुछ ही वर्षों में खत्म हो जाएगा.
पांचना बांध के पानी का फायदा : भोलू अबरार खान ने बताया कि घना के लिए पांचना बांध का पानी अमृत समान है. पांचना बांध का पानी पूरी तरह से प्रदूषण रहित है. इसमें पक्षियों के लिए भरपूर मात्रा में फिश, फ्रॉग और वेजिटेशन आता है. यदि घना को पांचना बांध का पानी मिल जाए तो ये फिर से जिंदा हो जाएगा. वर्ष 2022 में अधिक बरसात की वजह से पांचना बांध के ओवरफ्लो का 250 एमसीएफटी पानी मिला था, जिसकी वजह से यहां 1 हजार से भी अधिक पैलिकंस और बड़ी संख्या में अन्य पक्षी आए थे.
घना खुद एक पर्यटन इंडस्ट्री : भोलू अबरार खान ने बताया कि घना खुद एक पर्यटन इंडस्ट्री है. घना से रिक्शाचालक, नेचर गाइड, होटल व्यवसाई आदि के माध्यम से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है. घना की वजह से भरतपुर को करीब 70 करोड़ का पर्यटन व्यवसाय मिलता है. यदि घना को पांचना बांध का पानी नहीं मिला तो यहां पक्षियों का आना धीरे धीरे बंद हो जाएगा और यहां का पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह से प्रभावित हो जाएगा.
गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान 28.73 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां करीब 350 प्रजाति के हजारों पक्षी प्रवास पर आते हैं. इतना ही नहीं, घना के अंदर भरपूर जैव विविधता भी मौजूद है. घना में रेंगने वाले (सरीसृप) जीवों की करीब 25 से 29 प्रजातियां, तितलियों की करीब 80 प्रजाति, मेंढक की नौ प्रजाति और कछुओं की आठ प्रजाति घना में मिलती हैं.