पन्ना। भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा लिंक परियोजना में पन्ना जिले के दर्जनों गांव विस्थापित हो रहे हैं. प्रशासन द्वारा इन गांवों में चौपाल लगाकर जमीन, घर, खेत का मुआवजा पैकेज देने के बाद ही खेती करने से रोकने की बात हुई थी. लेकिन विस्थापित ग्राम कूडन गहदरा के ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने खेती की जमीन का लगभग 70% मुआवजा दिया और खेती करने से रोका जा रहा है. जबकि अभी भी हमारे घरों का मुआवजा नहीं मिला है. हम वहीं पर रहते हैं.
चौपाल में प्रशासन ने ये वादे किए थे
प्रशासन की वादाखिलाफी से ग्रामीण आक्रोशित हैं और आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है "ग्राम कूडन गहदरा में चौपाल लगाई गई थी. सभी के सामंजस्य से ये तय हुआ था कि जब तक जमीन, घर एवं खेत का मुआवजा नहीं मिल जाता जब तक खेती करने से नहीं रोका जाएगा. राजस्व भूमि ने जमीन को वन विभाग को दे दिया है. वन विभाग अपने अमले के साथ किसानों को खेती करने से रोक रहा है. नहीं रुकने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दे रहा है." ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि उपकरण को जब्त करने की धमकी दी जा रही है. इससे किसान नाराज हैं.
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किसानों को हो रही आर्थिक क्षति
विस्थापित ग्रामों के किसानों को आर्थिक क्षति हो रही है. बिना विस्थापित हुए विस्थापित गांव में रहते हुए अपनी पूर्वजों की जमीन जोतने से वन विभाग द्वारा मना किया जा रहा है. जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. किसानों को वर्तमान में विस्थापित नहीं किया जा रहा, क्योंकि अभी तक उनके मकान एवं जमीन का भुगतान नहीं हुआ है. सिर्फ खेत की जमीन का 70% ही भुगतान हुआ है.