नई दिल्ली/गाजियाबाद: करवा चौथ का पर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जहां सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत करती हैं. इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर को है. इस विशेष दिन को लेकर आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा का कहना है कि इस दिन रोहिणी नक्षत्र भी रहेगा, जो इस व्रत को और भी शुभ बनाता है.
चंद्रमा का महत्व: इस वर्ष चंद्रमा वृषभ राशि में स्थित होंगे, जो पतिव्रता महिलाओं के लिए बेहद शुभ योग है. चंद्रमा की दृष्टि से महिलाएं शाम 7:56 बजे चंद्रमा को देख कर अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करेंगी. करवा चौथ का व्रत ना केवल पति के लिए वरदान होता है, बल्कि यह परिवार में सुख-समृद्धि लाने का भी कार्य करता है.
पूजा और आयोजन का स्वरूप: करवा चौथ के दिन महिलाएं विशेष मुहूर्त में अपने घर की अन्य महिलाओं के साथ पूजा करती हैं. पूजा के दौरान वह कथा सुनती हैं और अपने करवे (पॉट) का महत्व समझती हैं. इसके बाद वह अपनी बुजुर्ग महिलाओं को आशीर्वाद लेने का अवसर देती हैं, जिससे परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहे. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है, जिससे महिलाएं चंद्रमा से पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं.
विशेष मुहूर्त: करवा चौथ के पूजन का विशिष्ट मुहूर्त इस प्रकार है.
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 19 अक्टूबर 2024, शाम 6:17 PM
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर 2024, दोपहर 3:47 PM
उदयातिथि के अनुसार रविवार, 20 अक्टूबर 2024 को करवाचौथ का पर्व मनाया जाएगा.
इसके अतिरिक्त, अभिजित मुहूर्त:
- दोपहर 11:36 बजे से 12:24 PM तक और
- 12:54 PM से 4:05 PM तक है.
करवा चौथ के नियम: करवा चौथ व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है.
- झगड़े से बचें: पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ झगड़ा नहीं करना चाहिए, के चलते व्रत का फल प्रभावित हो सकता है.
- दान से संबंधित निहित नियम: इस दिन सफेद चीजों का दान नहीं करना चाहिए जैसे दूध, मिठाई, और सफेद कपड़े.
- नुकीली चीजों का प्रयोग न करें: व्रति को नुकीली चीजों और सुई-धागे का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
- श्रृंगार सामग्री का आदान-प्रदान न करें: सुहागिन महिलाओं को एक-दूसरे के श्रृंगार का सामान नहीं देना चाहिए.
- रंग का चुनाव: इस दिन काले कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है. वहीं लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है.
करवा चौथ का व्रत न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक अवसर है जो नारी सशक्तिकरण और पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने का कार्य करता है. उपयुक्त नियमों और विधियों के पालन से यह व्रत एक विशेष और सुखद प्रभाव पैदा कर सकता है.
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