कुल्लू: सुहागिन महिलाओं के लिए पवित्र त्योहार करवा चौथ रविवार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. महिलाओं के द्वारा करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलने का विधान है.
कब होता है करवा चौथ ?
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हर साल करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है. ऐसे में कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी इस साल 20 अक्टूबर को सुबह 6:45 मिनट पर शुरू होगी और 21 अक्टूबर को सुबह 4:16 मिनट पर समाप्त होगी. 20 अक्टूबर को करवा चौथ है. अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन सुबह सरगी खाती हैं और फिर दिनभर निर्जला व्रत करती हैं, शाम को चांद के दीदार के बाद ही व्रत खोला जाता है. ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि सरगी खाने और व्रत खोलने का समय क्या है.
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करवा चौथ के दिन सरगी खाने का समय
करवा चौथ के व्रत के दौरान महिलाओं को कई नियमों का भी पालन करना पड़ता है. कुल्लू के आचार्य आशीष कुमार ने बताया "करवा चौथ का व्रत इस साल 20 अक्टूबर को रखा जाएगा. करवा चौथ का व्रत शुरू होने से पहले ब्रह्म मुहूर्त में सरगी खाने की परंपरा है. यह परंपरा घर के बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद से जुड़ी हुई है. ऐसे में इस परंपरा के अनुसार करवा चौथ के व्रत में सूर्योदय से करीब 2 घंटे पहले तक सरगी खा सकते हैं. 20 अक्टूबर को सूर्योदय का समय सुबह 6:25 मिनट पर होगा. महिलाओं को इससे पहले ही सरगी खानी होगी"
करवा चौथ का व्रत निराहार और निर्जला रखा जाता है. ऐसे में घर की बड़ी महिलाओं का आशीर्वाद लेकर व्रत करने वाली महिला सरगी को खाती है ताकि व्रत के दौरान उसे किसी प्रकार की दिक्कत का सामना ना करना पड़े. ऐसे में सास अपनी बहू को आशीर्वाद देती है.
करवा चौथ का व्रत खोलने का समय
आचार्य आशीष कुमार ने बताया "करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:46 मिनट से लेकर 7:02 मिनट तक रहेगा. करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय शाम 7:54 मिनट पर रहेगा. इसके बाद महिलाएं चंद्रमा का दर्शन करने के बाद अपने व्रत को खोल सकती हैं." करवा चौथ का व्रत चंद्रमा से जुड़ा है और इसलिये चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है. चंद्र देव को अर्घ्य और पूजा अराधना के बाद ही सुहागिन महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं.
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