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Delhi: KARWA CHAUTH 2024: करवा चौथ पर चंद्रमा का दीदार, क्यों है जरूरी?

क्या आपने कभी सोचा है कि करवा चौथ पर चंद्रमा का दीदार क्यों इतना जरुरी है? आइए इस प्रश्न का उत्तर जानते हैं.

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करवा चौथ पर चंद्रमा का दीदार, क्यों है जरूरी? (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 18, 2024, 4:25 PM IST

नई दिल्ली: हर साल की तरह इस वर्ष 20 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया जाएगा. यह दिन विशेष रूप से महिलाओं के लिए है, जो अपने पतियों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. इस पर्व के दौरान महिलाएं चंद्रमा के दीदार के बाद ही अपना उपवास खोलती हैं, और इस प्रक्रिया में कई पौराणिक मान्यता और धार्मिक परंपराएं जुड़ी हुई हैं.

करवा चौथ का महत्व: करवा चौथ का यह पर्व प्राचीनता में गहराई तक फैला है. तिलक नगर स्थित प्राचीन दुर्गा माता मंदिर के पुजारी पंडित कन्हैया भारद्वाज बताते हैं कि करवा नाम की स्त्री द्वारा इस व्रत की शुरुआत की गई थी. इसीलिए इसे करवा चौथ कहा जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं, अविवाहित कन्या भी रखती हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य अखंड सौभाग्य की कामना करना है.

व्रत की विधि: करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. वे इस दिन 16 श्रृंगार कर पूजा करती हैं. रात को चंद्रोदय के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देकर और पति को छलनी से देखकर ही अपने उपवास को खोलती हैं.

करवा चौथ पर चंद्रमा का दीदार, क्यों है जरूरी? (ETV Bharat)

चंद्रमा की पूजा का कारण: चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष कारण है. पुजारी कन्हैया भारद्वाज ने बताया कि चंद्रमा को लंबी उम्र का वरदान मिला है और इसे सुंदरता का प्रतीक माना गया है. पति को चंद्रमा की तरह सुंदर माना जाता है, और इसी वजह से महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं. चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त है, और इसके अर्घ्य देने के बाद महिलाएं जल और भोजन ग्रहण करती हैं.

यह भी पढ़ें- Delhi: करवाचौथ व्रत के पांच महत्वपूर्ण नियम, इस दिन ना करें इन चीजों का इस्तेमाल

पौराणिक कथा: करवा चौथ का व्रत महाभारत काल से जुड़ा है. मान्यता है कि सबसे पहले द्रौपदी ने यह व्रत रखा था, जब श्रीकृष्ण ने उन्हें पांडवों की रक्षा के लिए इस व्रत को करने का सुझाव दिया था. इस व्रत के प्रभाव से पांडवों पर कोई संकट नहीं आया. इस प्रकार आज भी हर सुहागिन स्त्री अपने पति की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती है.

चंद्रमा के दर्शन का समय: इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को होगा, जिसमें चंद्रमा निकलने का समय रात 7 बजकर 54 मिनट होगा. पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा.

करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को मजबूत करने का एक अवसर है. यह पर्व पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है और इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली एवं मधुरता बनी रहती है. इस दिन होने वाली पूजा इष्ट देवता की कृपा पाने और सौभाग्य को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन है.

जानें, कब है करवा चौथ व्रत, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त - Karwa Chauth 2024

नई दिल्ली: हर साल की तरह इस वर्ष 20 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया जाएगा. यह दिन विशेष रूप से महिलाओं के लिए है, जो अपने पतियों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. इस पर्व के दौरान महिलाएं चंद्रमा के दीदार के बाद ही अपना उपवास खोलती हैं, और इस प्रक्रिया में कई पौराणिक मान्यता और धार्मिक परंपराएं जुड़ी हुई हैं.

करवा चौथ का महत्व: करवा चौथ का यह पर्व प्राचीनता में गहराई तक फैला है. तिलक नगर स्थित प्राचीन दुर्गा माता मंदिर के पुजारी पंडित कन्हैया भारद्वाज बताते हैं कि करवा नाम की स्त्री द्वारा इस व्रत की शुरुआत की गई थी. इसीलिए इसे करवा चौथ कहा जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं, अविवाहित कन्या भी रखती हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य अखंड सौभाग्य की कामना करना है.

व्रत की विधि: करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. वे इस दिन 16 श्रृंगार कर पूजा करती हैं. रात को चंद्रोदय के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देकर और पति को छलनी से देखकर ही अपने उपवास को खोलती हैं.

करवा चौथ पर चंद्रमा का दीदार, क्यों है जरूरी? (ETV Bharat)

चंद्रमा की पूजा का कारण: चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष कारण है. पुजारी कन्हैया भारद्वाज ने बताया कि चंद्रमा को लंबी उम्र का वरदान मिला है और इसे सुंदरता का प्रतीक माना गया है. पति को चंद्रमा की तरह सुंदर माना जाता है, और इसी वजह से महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं. चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त है, और इसके अर्घ्य देने के बाद महिलाएं जल और भोजन ग्रहण करती हैं.

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पौराणिक कथा: करवा चौथ का व्रत महाभारत काल से जुड़ा है. मान्यता है कि सबसे पहले द्रौपदी ने यह व्रत रखा था, जब श्रीकृष्ण ने उन्हें पांडवों की रक्षा के लिए इस व्रत को करने का सुझाव दिया था. इस व्रत के प्रभाव से पांडवों पर कोई संकट नहीं आया. इस प्रकार आज भी हर सुहागिन स्त्री अपने पति की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती है.

चंद्रमा के दर्शन का समय: इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को होगा, जिसमें चंद्रमा निकलने का समय रात 7 बजकर 54 मिनट होगा. पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा.

करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को मजबूत करने का एक अवसर है. यह पर्व पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है और इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली एवं मधुरता बनी रहती है. इस दिन होने वाली पूजा इष्ट देवता की कृपा पाने और सौभाग्य को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन है.

जानें, कब है करवा चौथ व्रत, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त - Karwa Chauth 2024

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