भरतपुर: माता-पिता ने बचपन में ही शादी का रिश्ता तय कर दिया. बारात पहुंची, दूल्हा के साथ सात फेरे हुए, लेकिन दहेज में कार देने की मांग पर बात बिगड़ गई और दूल्हा अपनी दुल्हन को छोड़कर लौट गया. बबीता ने न तो ससुराल की चौखट देखी और न ही एक भी दिन पति के साथ रहने का सुख मिला, फिर भी बबीता बीते करीब 20 सालों से अपने सुहाग की लंबी उम्र और सलामती के लिए हर वर्ष करवा चौथ का व्रत रखती हैं.
इस बार अपना घर आश्रम में ऐसी ही 140 महिला प्रभुजन अपने-अपने सुहाग की सलामती के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं. ये सभी महिलाएं अपने पतियों द्वारा ठुकराई हुई हैं. हर सुहागन महिला प्रभु जी की अपने पति के प्रति प्रेम और समर्पण की अपनी अलग-अलग कहानी है. करवा चौथ 2024 के अवसर पर भरतपुर से देखिए ये खास रिपोर्ट...
कहानी - 1 : चूरू की रहने वाली 32 वर्षीय बबीता का रिश्ता बचपन में ही तय कर दिया. बारात आई और बबीता के फेरे भी हुए, लेकिन ऐन वक्त पर वर पक्ष ने दहेज में कार की मांग कर दी. बबीता के पिता ने बुलेट बाइक दी, लेकिन वर पक्ष व दूल्हा नहीं माने और सजी-धजी दुल्हन बबीता को पीहर में ही छोड़कर वापस लौट गए. तब से बबीता अपने माता-पिता के साथ रहने लगी, लेकिन माता-पिता भी चल बसे तो बबीता ने अपनी जीवनलीला समाप्त करने का प्रयास किया. इससे उसके हाथ और पैर को नुकसान पहुंचा.
बबीता ने बताया कि उसने एक भी बार अपने ससुराल का दरवाजा नहीं देखा, एक भी दिन पति के साथ नहीं रही फिर भी वो 20 साल से अपने पति की सलामती के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही है. बबीता का कहना है कि वो भले ही अपने पति के साथ एक भी दिन नहीं रही, लेकिन फेरे होने की वजह से उसने उसी को अपना पति मान लिया है. अब बबीता को अपने पति के अपनाने की कोई उम्मीद नहीं है, फिर भी वो उसकी लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है.
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कहानी - 2 : खुद बेड पर, फिर भी करवा चौथ का व्रत : 40 वर्षीय मंजू का भी कम उम्र में विवाह हो गया, लेकिन विवाह के बाद उन्हें पति ने ठुकरा दिया और खुद साधु बन गया. बेघर हुई मंजू कई साल पहले अपना घर आश्रम पहुंची. लंबे समय से अस्वस्थ होने की वजह से मंजू खुद बेड पर है, लेकिन फिर भी अपने पति की सलामती के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही है. मंजू का कहना है कि वो चाहे जैसा भी है, लेकिन पति है. अब तो उसी के नाम को दिल में लिए जी रही है.
140 बेघर सुहागन रखेंगी व्रत : अपना घर आश्रम की संस्थापक डॉ. माधुरी भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में यूं तो 3326 महिला प्रभुजन निवास कर रही हैं. ये सभी महिलाएं परिजनों और पतियों द्वारा ठुकराई गई हैं, फिर भी इनमें से करीब 140 महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख रही हैं. डॉ. माधुरी ने बताया कि हर महिला की अपनी अलग दुखभरी कहानी है. इनमें से कई महिलाओं को तो ये तक नहीं पता कि उनके पति जीवित भी हैं या नहीं, फिर भी वो हर साल उनकी सलामती के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. उनके नाम की मेहंदी रचाती हैं.
डॉ. बीएम भारद्वाज और डॉ. माधुरी भारद्वाज ने बताया कि बीमार-असहाय हालत में आश्रम पहुंचने वाले सभी महिला, पुरुष प्रभुजनों का आश्रम में ख्याल रखा जाता है. जब ये स्वस्थ हो जाते हैं और परिजनों का पता बताते हैं तो आश्रम की टीम उनसे संपर्क करती है. अधिकतर महिला प्रभुजन के पति या परिजन उन्हें साथ रखने से मना कर देते हैं, लेकिन महिला प्रभुजन फिर भी निस्वार्थ भाव से अपने पति के प्रति प्रेम और समर्पण रखते हुए उनकी लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं.