चंडीगढ़: कल सभी सुहागिनों के लिए खास दिन है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. वहीं, इस बार नई-नवेली दुल्हनें भी करवा चौथ के व्रत को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रही हैं. ऐसे में पहली बार व्रत रखने पर कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है. ताकि अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद महिलाओं पर बना रहे. इस रिपोर्ट में विस्तार से जानें पहली बार व्रत करने पर किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.
ऐसे लें व्रत का संकल्प: नई विवाहित महिलाओं का पहला व्रत है. तो ऐसे में उन्हें व्रत पर खास ख्याल रखना होता है, ताकि व्रत खंडित न हो. सबसे पहले जानते हैं व्रत की दिनचर्या कैसे शुरू करनी है. सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पूजा घर की सफाई करें. फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें. जिसे सरगी भी कहा जाता है. उसके बाद भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें.
16 श्रृंगार का खास महत्व: करवा चौथ के दिन सभी सुहागिनों के लिए 16 श्रृंगार का विशेष महत्व होता है. करवा चौथ पर महिलाओं को सजने-संवरने का भी भरपूर मौका मिलता है. वे नई-नई साड़ी, सूट और लहंगा इत्यादि पहनती हैं. मेकअप करती हैं. एक बात ध्यान रखें कि आप सोलह श्रृंगार में सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मंगलसूत्र, बिछिया, मेहंदी जरूर शामिल करें. इन्हें धारण करने के बाद ही पूजा करनी चाहिए. इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है. शादीशुदा जीवन में प्यार, खुशहाली बनी रहती है.
पूजा थाल को सजाएं, व्रत को खास बनाएं: यह व्रत सूर्यास्त होने के बाद चंद्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल नहीं पीना चाहिए. संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें और इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए खास मिट्टी के कलश) रखें. पूजन सामग्री में धूप, दीप, चंदन, रोली और सिंदूर इत्यादि रखें. जब पूजा की थाली सज जाए तो दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहना चाहिए. जिससे वह पूरे समय तक दीपक जलता रहे.
सास से लें अखंड सौभाग्य का आशीष: चांद निकलने के करीब एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए और अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाएं एक साथ पूजा करें. पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनें या सुनाएं. चंद्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए. साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चांद की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद पति की पूजा की जानी चाहिए और पति का आशीर्वाद लेकर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण करना चाहिए. इसके बाद पूजा थाली में मिठाई, फल मेवे, नारियल, रुपये आदि रखें और अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद लें और सास उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दें.
पूजा का शुभ मुहूर्त: इस व्रत को सफल बनाने के लिए पूजा शुभ मुहूर्त पर होनी चाहिए. रविवार के दिन करवा चौथ का समय 5ः17 बजे से शाम 7ः29 बजे तक रहेगा. जबकि करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त-शाम 5ः17 बजे से 6:33 मिनट तक रहने वाला है. इस दिन चंद्रोदय का समय-शाम 7 बजकर 29 मिनट से रहेगा. चतुर्थी तिथि का समापन समय 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4ः16 बजे तक हो जाएगा. करवा चौथ की पूजा करते समय दिशा का ध्यान जरूर रखें. पूजा करते समय आपका चेहरा पूर्व दिशा की तरफ हो और पीठ पश्चिम दिशा की तरफ. ऐसे में करवा मां का मंदिर पूर्व दिशा में ही स्थापित करें.
12 या 16 व्रत जरूर करें सुहागिनें: करवा चौथ की पूजा करने के बाद करवा विवाहित महिलाओं को ही देना चाहिए. व्रत के समय सारा दिन भगवान श्री गणेश मंत्र का जाप करना चाहिए. रात के समय चांद के उदय होने के बाद परंपरा अनुसार उनको विधिपूर्वक अर्घ्य प्रदान करना चाहिए और गणेश जी की आरती और चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए. इस बीच व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष नमक युक्त भोजन से भी दूर रहें. मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत कम से कम 12 या 16 साल तक लेना चाहिए. इसके बाद उद्यापन कर सकते हैं.
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