करनाल: हरियाणा पुलिस लगातार नशा तस्करों पर कार्रवाई कर रही है. तो वहीं, नशा कारोबार करने वाले आरोपियों पर अदालत भी सख्त हो गई है. लेकिन करनाल की जिला अदालत में जज ने इंसानियत की मिसाल पेश की है. जहां जज ने दोषी पर लगाए जुर्माने की राशि को स्वयं अपनी जेब से भर दिया. अगर जज दोषी का जुर्माना न भरते तो आरोपी को 2 महीने जेल की सजा काटनी पड़ती.
चार साल पहले का मामला: इस मामले के मुताबिक, राजु पुत्र प्रेम सिंह निवासी बूढ़ा खेड़ा, करनाल को पुलिस ने 20 मार्च 2021 को 6.35 ग्राम स्मैक के साथ गिरफ्तार किया था. पुलिस ने दोषी के खिलाफ थाना 32-33 में मामला दर्ज किया और दोषी को अदालत में पेश किया गया. जहां अदालत ने दोषी को जेल भेज दिया. आरोपी राजू को 5 महीने बाद 19 अगस्त 2021 को अदालत से जमानत मिल गई. यह मामला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. सुशील कुमार गर्ग की कोर्ट में विचाराधीन चल रहा था.
कोर्ट में आरोपी ने कबूला जुर्म: कोर्ट में पेशी पर पहुंचे आरोपी राजू ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश डॉ. सुशील कुमार गर्ग की कोर्ट में अपना जुर्म कबूल कर जज से रहम करने की अपील की. दोषी ने कहा कि वह लेबर का कार्य करता है. उसके माता-पिता का भी देहांत हो चुका हैं. परिवार में पत्नी के साथ उसके 2 व 5 साल के दो बच्चे हैं. वह घर में अकेला ही कमाने वाला है. उसने कहा कि वह भविष्य में कभी भी नशा के कार्यों में लिप्त नहीं होगा. दोषी का पूर्व का आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं था.
जज ने भरा आरोपी का जुर्माना: अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश डॉ. सुशील कुमार गर्ग ने दोषी के जुर्म कबूलने ओर अपनी आर्थिक स्थिति बताने पर पहले से ही 5 महीने की सजा भुगतने व 1000 रुपये जुर्माने के रूप में अदा करने के आदेश दिए और जुर्माना न भरने की स्थिति में 2 महीनें की कारावास की सजा काटने को कहा. दोषी ने जज को कहा कि उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह 1000 रुपये अदा कर सकें. उसकी बात सुनकर जज ने स्वयं अपनी जेब से 1000 रुपये जुर्माने के तौर पर अदालत में दिए. ऐसे में दोषी को 2 महीने की जेल की सजा काटने से भी राहत मिल गई. दोषी पर लगाए जुर्माने को स्वयं भरकर जज ने एक नई मिसाल कायम की है.
इंसानियत की मिसाल: डॉ. पंकज उप-निदेशक, अभियोजन-कम-जिला न्यायवादी करनाल ने कहा कि अदालत में ऐसे बहुत कम मामले देखने को मिलते है. जहां जज किसी गरीब दोषी व्यक्ति का जुर्माना स्वयं भरकर व उसे सही राह पर चलने की नसीहत देता है. वास्तव में जज ने अपनी जेब से जुर्माने भरने का जो सराहनीय कार्य किया है, वह अदालत में एक नई मिसाल कायम करता है. दोषी की आपराधिक पृष्ठभूमि, आर्थिक स्थिति अन्य कई पहलुओं को जांच कर जज पूरे विवेक से निर्णय लेता है.
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