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देश के दुश्मनों को खदेड़ते हुए गंवाया हाथ, पैर हुए बेकार, करगिल के जवान प्रवीण यादव की जांबाज कहानी - Soldier Praveen Yadav Story

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 25, 2024, 11:02 PM IST

Kargil war Hero Praveen Yadav Story : शुक्रवार को करगिल विजय दिवस है. करगिल की विजयगाथा को शायद ही कोई भारतीय कभी भूल पाए. पाकिस्तान के मंसूबों को नाकाम करने के लिए जहां कई जांबाजों ने अपनी शहादत दी तो वहीं हमारे देश के बहादुर जवानों ने अपनी जांबाजी से करगिल पर तिरंगा लहरा दिया. ऐसे ही एक जवान हैं हरियाणा के झज्जर के रहने वाले प्रवीण यादव जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपने हाथ गंवा दिए, पैर तक बेकार हो गए.

Kargil Vijay Diwas 2024 Hero of Kargil War from Jhajjar Praveen Yadav Story
प्रवीण यादव की जांबाजी को सलाम (Etv Bharat)
करगिल के जवान प्रवीण यादव की जांबाज कहानी (Etv Bharat)

झज्जर : देश शुक्रवार को करगिल विजय दिवस मनाएगा. 25 साल पहले साल 1999 में हुए करगिल युद्ध के दौरान हमारे देश के जवानों ने मातृभूमि की रक्षा करने के लिए शहादत देते हुए अपने शौर्य और पराक्रम से पाकिस्तानी सेना को करगिल की चोटियों से खदेड़ डाला था. 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस की 25 वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्रास वॉर मेमोरियल में मौजूद रहेंगे और जाबांजों को श्रद्धांजलि देंगे. इस बीच ऐसे भी कई जवान हैं, जिनकी बहादुरी के किस्से सुनकर देश गौरवान्वित है. ऐसे ही एक जांबाज हैं झज्जर के रहने वाले प्रवीण यादव.

प्रवीण यादव की बहादुरी : 1999 के करगिल युद्ध के दौरान प्रवीण यादव ने दुश्मन का सामना करते हुए अपनी जान तक की कोई फिक्र नहीं की और इस दौरान उन्होंने अपने हाथ तक गंवा दिए. गोलीबारी में उनके पैर तक बेकार हो गए. प्रवीण यादव की बहादुरी के किस्से हरियाणा के झज्जर की गलियों में आज भी गूंज रहे हैं और आने वाली पीढ़ी के जवान प्रवीण यादव की बहादुरी से प्रेरणा लेते हैं.

पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ा गया : प्रवीण यादव ने बताया कि करगिल की जंग को कोई नहीं भूल सकता, जब देश की सीमा में दुश्मन घुस आए थे और दुश्मन को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना के जांबाजों ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी. पाकिस्तानियों को दौड़ा-दौड़ाकर भगाने के बाद शान से करगिल की चोटी पर भारत का तिरंगा लहराया गया था. भले ही आज उस जंग को 25 साल बीत चुके हो, लेकिन प्रवीण यादव के लिए वो सारी यादें आज भी ताज़ा है. उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि किस तरह हमला किया गया और किस तरह हमारे जवानों ने दुश्मन को खदेड़ा. प्रवीण यादव ने कहा कि हाथ गंवाने और पैरों के बेकार होने के बाद उन्हें सरकार से 14 लाख रुपए की राशि मदद के तौर पर दी गई थी. उन्होंने अब सरकार से अपील की है कि उनके बेटे को सरकारी नौकरी दी जाए.

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करगिल के जवान प्रवीण यादव की जांबाज कहानी (Etv Bharat)

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प्रवीण यादव की बहादुरी : 1999 के करगिल युद्ध के दौरान प्रवीण यादव ने दुश्मन का सामना करते हुए अपनी जान तक की कोई फिक्र नहीं की और इस दौरान उन्होंने अपने हाथ तक गंवा दिए. गोलीबारी में उनके पैर तक बेकार हो गए. प्रवीण यादव की बहादुरी के किस्से हरियाणा के झज्जर की गलियों में आज भी गूंज रहे हैं और आने वाली पीढ़ी के जवान प्रवीण यादव की बहादुरी से प्रेरणा लेते हैं.

पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ा गया : प्रवीण यादव ने बताया कि करगिल की जंग को कोई नहीं भूल सकता, जब देश की सीमा में दुश्मन घुस आए थे और दुश्मन को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना के जांबाजों ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी. पाकिस्तानियों को दौड़ा-दौड़ाकर भगाने के बाद शान से करगिल की चोटी पर भारत का तिरंगा लहराया गया था. भले ही आज उस जंग को 25 साल बीत चुके हो, लेकिन प्रवीण यादव के लिए वो सारी यादें आज भी ताज़ा है. उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि किस तरह हमला किया गया और किस तरह हमारे जवानों ने दुश्मन को खदेड़ा. प्रवीण यादव ने कहा कि हाथ गंवाने और पैरों के बेकार होने के बाद उन्हें सरकार से 14 लाख रुपए की राशि मदद के तौर पर दी गई थी. उन्होंने अब सरकार से अपील की है कि उनके बेटे को सरकारी नौकरी दी जाए.

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