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कारगिल युद्ध में खोया एक पैर, जबलपुर की रैली में चेतक की रफ्तार से कार दौड़ाएंगे मेजर डीपी सिंह

कारगिल युद्ध के जवान मेजर डीपी सिंह व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर की कार रैली के प्रतिभागी बने हैं. पढ़िये दिव्यांग डीपी सिंह की संघर्ष की कहानी.

Major DP Singh select car rally
मेजर डीपी सिंह कार रैली में शामिल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 17, 2024, 4:31 PM IST

जबलपुर: व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर में एक कार रैली का आयोजन किया गया. इस कार रैली में हिस्सा लेने के लिए कारगिल युद्ध के जवान मेजर डीपी सिंह भी जबलपुर पहुंचे. डीपी सिंह इस कार रेस में एक प्रतिभागी हैं मेजर डीसी सिंह का एक पैर नहीं है. युद्ध के दौरान वे अपना एक पैर खो चुके हैं लेकिन उसके बावजूद भी इसका रैली में खुद कर चला रहे हैं. मेजर डीपी सिंह ने अब तक कई साहसिक खेलों में हिस्सा लिया और जीत हासिल की. इस कार रैली में भी उनका हौसला बुलंद है.

कारगिल के योद्धा मेजर डीपी सिंह
मेजर डीपी सिंह ने कारगिल की युद्ध में लड़ाई लड़ी थी. इस युद्ध के दौरान मेजर साहब का पैर जख्मी हो गया और उसके बाद उनका एक पैर काटना पड़ा. सामान्य तौर पर यह गंभीर विकलांगता मानी जाती है और एक पैर जाने के बाद उनके पास जिंदगी जीने का बड़ा सरल तरीका था. सरकार की तरफ से उन्हें पेंशन मिलती और वह घर में बैठकर जिंदगी आसानी से काट सकते थे. लेकिन मेजर डीपी सिंह ने जिंदगी के सरल रास्ते की बजाय कठिन रास्ता चुना. उन्होंने कटे हुए पांव में कृत्रिम पैर लगवाया, यह केवल चलने या सहारा देने के लिए नहीं था बल्कि इसके बाद उन्होंने कई मैराथन रेस जीती. यहां तक की उन्होंने पर्वतारोहण भी किया. मेजर डीपी सिंह को अपने इस हौसले की वजह से भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा रोल मॉडल भी बनाया गया है. मेजर डीपी सिंह जबलपुर में व्हीकल फैक्ट्री द्वारा करवाई जा रही कार रैली में हिस्सा लेने के लिए जबलपुर आए हैं.

कारगिल के योद्धा हैं मेजर डीपी सिंह (ETV Bharat)

कार रैली एक माइंड गेम है
मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''व्हीकल फैक्ट्री जो मोटर रैली करवा रही है वह रेस नहीं है बल्कि वह एक माइंड गेम है. इसमें एक नेविगेटर साइन के जरिए ड्राइवर को यह समझाएगा की कितनी स्पीड में गाड़ी चलानी है, कहां से मोड़ना है और क्या करने से फाउल हो जाएगा. इसलिए मोटर रैली रेसिंग से ज्यादा दिमाग का खेल है.''

मेजर डीपी सिंह खुद चलाएंगे कार
मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''जिस मोटर रैली में भी शामिल हो रहे हैं उसमें भी ड्राइवर की भूमिका में रहेंगे. जबकि उनका एक पर नहीं है, इसलिए उन्हें अपनी गाड़ी को मॉडिफाई करवाना पड़ा है और वह एक पैर से ही कार को नियंत्रित करेंगे.''

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दिव्यांगता अब अभिशाप नहीं
मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''एक जमाना था जब दिव्यांगता को अभिशाप मानकर घर बैठ जाते थे. लेकिन अब दौर बदल गया है, दिव्यांग लोग आम आदमियों से ज्यादा हौसला दिखा रहे हैं. पिछले ओलंपिक के खेलों में पैरा ओलंपिक में भारत को जितने मेडल मिले वह इस बात का जीता जागता उदाहरण है.'' मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''दिव्यांग लोगों की चुनौतियों की यह शुरुआत मात्र है.''

कार रैली से मध्य प्रदेश को मिलेगा फायदा
व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर में कार रैली करवा रही है. इस रैली को फेडरेशन के मोटर स्पोर्ट क्लब ने मान्यता दी है. मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''यह आयोजन राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. क्योंकि ऐसे आयोजनों पर पूरी दुनिया की नजर होती है और मध्य प्रदेश में ऐसा आयोजन होने से यह मोटर स्पोर्ट के अंतर्राष्ट्रीय नक्शे में शामिल होगा. इसका फायदा मध्य प्रदेश को लंबे समय तक मिलेगा.''

जबलपुर: व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर में एक कार रैली का आयोजन किया गया. इस कार रैली में हिस्सा लेने के लिए कारगिल युद्ध के जवान मेजर डीपी सिंह भी जबलपुर पहुंचे. डीपी सिंह इस कार रेस में एक प्रतिभागी हैं मेजर डीसी सिंह का एक पैर नहीं है. युद्ध के दौरान वे अपना एक पैर खो चुके हैं लेकिन उसके बावजूद भी इसका रैली में खुद कर चला रहे हैं. मेजर डीपी सिंह ने अब तक कई साहसिक खेलों में हिस्सा लिया और जीत हासिल की. इस कार रैली में भी उनका हौसला बुलंद है.

कारगिल के योद्धा मेजर डीपी सिंह
मेजर डीपी सिंह ने कारगिल की युद्ध में लड़ाई लड़ी थी. इस युद्ध के दौरान मेजर साहब का पैर जख्मी हो गया और उसके बाद उनका एक पैर काटना पड़ा. सामान्य तौर पर यह गंभीर विकलांगता मानी जाती है और एक पैर जाने के बाद उनके पास जिंदगी जीने का बड़ा सरल तरीका था. सरकार की तरफ से उन्हें पेंशन मिलती और वह घर में बैठकर जिंदगी आसानी से काट सकते थे. लेकिन मेजर डीपी सिंह ने जिंदगी के सरल रास्ते की बजाय कठिन रास्ता चुना. उन्होंने कटे हुए पांव में कृत्रिम पैर लगवाया, यह केवल चलने या सहारा देने के लिए नहीं था बल्कि इसके बाद उन्होंने कई मैराथन रेस जीती. यहां तक की उन्होंने पर्वतारोहण भी किया. मेजर डीपी सिंह को अपने इस हौसले की वजह से भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा रोल मॉडल भी बनाया गया है. मेजर डीपी सिंह जबलपुर में व्हीकल फैक्ट्री द्वारा करवाई जा रही कार रैली में हिस्सा लेने के लिए जबलपुर आए हैं.

कारगिल के योद्धा हैं मेजर डीपी सिंह (ETV Bharat)

कार रैली एक माइंड गेम है
मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''व्हीकल फैक्ट्री जो मोटर रैली करवा रही है वह रेस नहीं है बल्कि वह एक माइंड गेम है. इसमें एक नेविगेटर साइन के जरिए ड्राइवर को यह समझाएगा की कितनी स्पीड में गाड़ी चलानी है, कहां से मोड़ना है और क्या करने से फाउल हो जाएगा. इसलिए मोटर रैली रेसिंग से ज्यादा दिमाग का खेल है.''

मेजर डीपी सिंह खुद चलाएंगे कार
मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''जिस मोटर रैली में भी शामिल हो रहे हैं उसमें भी ड्राइवर की भूमिका में रहेंगे. जबकि उनका एक पर नहीं है, इसलिए उन्हें अपनी गाड़ी को मॉडिफाई करवाना पड़ा है और वह एक पैर से ही कार को नियंत्रित करेंगे.''

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दिव्यांगता अब अभिशाप नहीं
मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''एक जमाना था जब दिव्यांगता को अभिशाप मानकर घर बैठ जाते थे. लेकिन अब दौर बदल गया है, दिव्यांग लोग आम आदमियों से ज्यादा हौसला दिखा रहे हैं. पिछले ओलंपिक के खेलों में पैरा ओलंपिक में भारत को जितने मेडल मिले वह इस बात का जीता जागता उदाहरण है.'' मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''दिव्यांग लोगों की चुनौतियों की यह शुरुआत मात्र है.''

कार रैली से मध्य प्रदेश को मिलेगा फायदा
व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर में कार रैली करवा रही है. इस रैली को फेडरेशन के मोटर स्पोर्ट क्लब ने मान्यता दी है. मेजर डीपी सिंह का कहना है कि, ''यह आयोजन राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. क्योंकि ऐसे आयोजनों पर पूरी दुनिया की नजर होती है और मध्य प्रदेश में ऐसा आयोजन होने से यह मोटर स्पोर्ट के अंतर्राष्ट्रीय नक्शे में शामिल होगा. इसका फायदा मध्य प्रदेश को लंबे समय तक मिलेगा.''

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