कानपुर: संस्कृत भाषा को पढ़ने बोलने में भले ही कठिन माना जाता हो, लेकिन आज के इस आधुनिक युग के बढ़ते आयाम ने संस्कृत भाषा को न केवल सरल बनाया है, बल्कि इसे सीखने और पढ़ने के लिए लोगों में जिज्ञासा भी पैदा की है. अब देश दुनिया में भी लोग एक बार फिर से संस्कृत को लेकर काफी ज्यादा जागरूक हो रहे हैं. वे लोग भी अब इस संस्कृत भाषा को न सिर्फ पढ़ना चाहते हैं, बल्कि इसे जानना और समझना चाहते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जो की संस्कृत के ज्ञान को कानपुर ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैला रही है. जी हां हम बात कर रहे हैं. डॉक्टर शिवा मिश्रा की जोकी देश-विदेश के लोगों को ऑनलाइन संस्कृत सीखा रही हैं.
ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान कानपुर की रहने वाली डॉक्टर शिवा मिश्रा ने बताया, कि संस्कृत भाषा को लेकर उनका जो यह पैशन है इसकी शुरुआत साल 2013 में हुई. जब वह एक इंटरनेशनल संस्था में काम कर रही थी. जिस संस्था में वह काम कर रही थी, उसमें आधे से ज्यादा काम ऑनलाइन होते थे. उन्होंने अपने काम के दौरान ऑनलाइन मीटिंग के कॉन्सेप्ट को बड़े ही बारिकी से समझा. तभी उनके दिमाग में एक विचार आया की क्यों न संस्कृत को लेकर उनका जो क्रेज है, उसे ऑनलाइन माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच पहुंचाया जाए. इसके बाद उन्होंने डॉक्टर नलिनी मिश्रा के नाम से अपनी क्लासेस की शुरुआत की. जिसके माध्यम से उन्होंने लोगों को ऑनलाइन सर्च कर सीखना शुरू किया.
कमा रही 1 लाख प्रति माह: डॉ. शिवा ने बताया, कि उन्होंने काशी विश्व हिंदू विश्वविद्यालय बनारस से पीएचडी की हुई है. उन्होंने वर्ष 1999-2009 बनारस के एक इंटरनेशनल स्कूल में 12th तक के बच्चों को संस्कृत विषय पढ़ाया हुआ है. डॉ.शिवा ने बताया,की 2013 ब्रिटेन का एक छात्र ब्रह्मा उनसे जुड़ा था.जिसने उनकी संस्कृत की पहली क्लास ली थी. ब्रह्मा ने इस भाषा से जुड़े उनसे कई सवाल किए. जिसके बाद उन्होंने इस भाषा को लेकर और भी ज्यादा स्टडी की और उनकी इस भाषा को लेकर काफी ज्यादा रुचि बढ़ गई. जिसके बाद उन्होंने नलिनी क्लासेस के नाम से एक संस्था शुरू की और आज इस संस्था के माध्यम से ही लोग उनसे ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों ही तरीके से जुड़ रहे हैं. उनके इस संस्था में उनके साथ कई अन्य शिक्षक भी काम कर रहे हैं. और वह अब हर महीने करीब 1 लाख रुपए कमा रही है.अब तक वह करीब 50 से अधिक देशों के लोगों को संस्कृत सीखा चुकी है.
जानिए आखिर क्यों संस्कृत को जानना चाहते हैं विदेशी: डॉक्टर शिवा मिश्रा ने बताया, कि भारत के अलावा अन्य देशों की बात की जाए, तो वहां के लोग इस संस्कृत भाषा को एक विषय नहीं, बल्कि विज्ञान के रूप में देखते हैं. दुनिया एक बार फिर से प्राचीन संस्कृति और चीजों के बारे में पढ़ना और समझना चाहती है. शायद यही वजह है, कि भारत की संस्कृति को जानने के प्रति लोगों में इस भाषा को सीखने और पढ़ने की इच्छा बढ़ रही है. देश विदेश से लोग संस्कृत भाषा को सीखने के लिए उनसे जुड़ रहे हैं. डॉक्टर शिवा ने बताया, कि अभी तक विदेश का जितना रुझान संस्था सीखने में था उतना देश के लोगों में नहीं दिख रहा था. लेकिन, जब से कुछ राज्यों में संस्कृत को सेकंड लैंग्वेज का दर्जा मिला है, तब से देश में संस्कृत सीखने वालों की संख्या काफी तेजी से बड़ी है. डॉ शिवा ने बताया, कि अभी तक उनसे अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन, दुबई, ऑस्ट्रेलिया,न्यूजीलैंड समेत 50 देशों के हजारों लोग उनके पास आकर इस भाषा को सीख चुके हैं.
अब इन देशों में भी बढ़ रही छात्रों की संख्या: डॉ शिवा ने बताया, कि संस्कृत भाषा को सीखने के लिए अब विदेशों के अलावा उनके पास कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश से भी बड़ी संख्या में छात्र आ रहे हैं, जिन्हें ऑनलाइन माध्यम से संस्कृत सीखना हैं. उनसे जुड़ने के लिए लोग वेबसाइट्स के जरिए और एप के जरिए आवेदन कर सकते हैं. जहां पर आपको किसी भी तरह की अगर कोई भी जानकारी चाहिए तो वह बड़े ही आसानी से आपको वहां पर मिल जाएगी.