कानपुर : शहर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में 28000 वर्ग मीटर नजूल की भूमि कब्जाने के आरोप में कुछ दिनों पहले कोतवाली पुलिस की ओर से कानपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित समेत कई अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. इस मामले में अवनीश दीक्षित को जेल हुई थी. वहीं बुधवार देर रात किदवई नगर निवासी अवनीश के खिलाफ अनवरगंज थाने में भी मकान कब्जाने को लेकर एक एफआईआर दर्ज कराई गई. इसी कड़ी में गुरुवार को कमिश्नरेट पुलिस की ओर से अवनीश दीक्षित पर संगठित अपराध के तहत दो और मुकदमे दर्ज किए गए. एक एफआईआर में अवनीश दीक्षित के साथ 18 लोगों को नामजद किया गया है. पूरा मामला बिकरु कांड से जुड़ा बताया गया है. जबकि एक मामले में चकेरी निवासी एक महिला ने मकान कब्जाने को लेकर शिकायती पत्र दिया है.
कमिश्नरेट पुलिस के आला अफसरों ने बताया कि नजीराबाद में जो मुकदमा दर्ज हुआ है उसके वादी अधिवक्ता सौरभ भदौरिया हैं. सौरभ भदोरिया ने बिकरु कांड के मुख्य अभियुक्त गैंगस्टर विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति व अन्य मामलों में शिकायत की थी. उन्होंने बलवा, रंगदारी और जबरन रोकने की धाराओं में अवनीश दीक्षित, जयकांत बाजपेयी,शोभित बाजपेई अजय कांत बाजपेई, विपिन गुप्ता, यश मिश्रा, असलम राईनी, सलमान खान, निसार अहमद,विवेक पांडे, राहुल बाजपेई, विशाल कोरी, अमन तिवारी, मनोज यादव, प्रिंस सोनकर अभिनव शुक्ला, रमन गुप्ता व इखलाक अहमद को आरोपी बनाया.
सौरभ ने कहा है कि वह बिकरु कांड के पैरोकार हैं. उसी मामले के चलते जयकांत बाजपेयी व उसके भाई जेल गए हैं. अब आरोप है कि उनके जेल जाने के बाद बिकरू कांड व अन्य घोटालों की पैरवी न करने के लिए आरोपी उस पर दबाव बना रहे थे. ब्रह्मास्त्र नाम के पोर्टल की मदद से विपिन गुप्ता ने उन्हें बदनाम करने की कोशिश भी की थी.
कमिश्नरेट पुलिस की ओर से पहली बार प्रयोग हुई संगठित अपराध की धारा : शहर में कमिश्नरेट पुलिस की ओर से पहली बार नए कानून भारतीय न्याय संहिता में संगठित अपराध की धारा 111 को शामिल किया गया है. पुराने कानून में संगठित अपराध करने के लिए कोई प्रावधान नहीं था. ऐसा होने पर पुलिस गिरोह बंद अधिनियम के तहत अलग से मुकदमा दर्ज करती थी पर अब नए कानून के बाद पुलिस ने पहली बार इस अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया है. वहीं गुरुवार को भी कमिश्नरेट पुलिस की ओर से आरोपी अवनीश दीक्षित के करीबियों के घरों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई लेकिन पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिली.
यह भी पढ़ें : यूपी में ही क्यों आते रोहिंग्या मुसलमान; फिर खतरनाक इरादों को लेकर रायबरेली में बनाया जाता था भारतीय, देखे रिपोर्ट