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कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर बोले- सरकार कंप्यूटर बेस्ड कराए एग्जाम तो नहीं लीक होगा पेपर

पिछले करीब एक माह के अंदर उप्र सरकार को पुलिस भर्ती और आर-एआरओ परीक्षा का पेपर इसलिए निरस्त करना पड़ा, क्योंकि दोनों के पेपर लीक हो गए. इससे बचने का उपाय कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर ने बताया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 6, 2024, 7:05 PM IST

कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर व पद्मश्री से सम्मानित प्रो.मणींद्र अग्रवाल.

कानपुर : पिछले करीब एक माह के अंदर उप्र सरकार को पुलिस भर्ती और आर-एआरओ परीक्षा का पेपर इसलिए निरस्त करना पड़ा, क्योंकि दोनों के पेपर लीक हो गए. पूरे देश में सरकार के सिस्टम को लेकर सवाल खड़े हुए. लाखों परीक्षार्थियों की मेहनत बेकार हो गई. भले ही सरकार ने परीक्षाएं निरस्त कर परीक्षार्थियों को राहत देने का काम किया, लेकिन बड़ा सवाल यह भी था कि अब पेपर लीक आम बात हो गई है. इन सबसे इतर आईआईटी कानपुर में हर साल होने वाली जेईई एडवांस्ड परीक्षा में जिस कंप्यूटर बेस्ट टेस्ट सिस्टम को अप्लाई किया जाता है, उसमें भी लाखों परीक्षार्थी शामिल होते हैं, लेकिन कभी पेपर लीक जैसी समस्या नहीं आई. इस सिस्टम और इसके संचालन को लेकर आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर व पद्मश्री से सम्मानित प्रो.मणींद्र अग्रवाल ने ईटीवी संवाददाता से एक्सक्लूसिव बातचीत की. साथ ही बताया कि कैसे यह सिस्टम पारदर्शी और नकलविहीन परीक्षा कराने में सक्षम है.

जानिए, कैसे काम करता है सीबीटी सिस्टम: आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी) का प्लान सभी आईआईटी ने मिलकर तैयार किया था. इस सिस्टम की मदद से पिछले पांच सालों से लगातार जेईई एडवांस्ड जैसी परीक्षाएं कंडक्ट कराई जा रही हैं, जिसमें देश के लाखों छात्र शामिल होते हैं. प्रो.मणींद्र ने बताया कि यह नकलविहीन परीक्षा के लिए इसलिए प्रभावी है क्योंकि इसमें परीक्षा केंद्रों पर हर छात्र के सामने एक कंप्यूटर होता है, जो कि एक सर्वर से जुड़ा होता है. परीक्षा शुरू होने से 30 मिनट पहले आनलाइन ही पेपर इस सर्वर पर डाउनलोड होता है. इसके बाद वह सभी छात्रों को मिल जाता है और फिर इंटरनेट कनेक्शन बंद कर दिया जाता है, जिससे पेपर लीक की कोई गुंजाइश ही नहीं रहे. फिर छात्र सभी सवालों के जवाब कंप्यूटर पर ही देते हैं.

सरकार की पूरी मदद के लिए हैं तैयार : प्रो.मणींद्र से जब सवाल किया गया कि क्या पेपर लीक के मामले में आप सरकार की मदद करेंगे? इसके जवाब में प्रो.मणींद्र ने कहा कि बिल्कुल, हम सरकार की सहायता के लिए तैयार हैं. हां, अगर सरकार को कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट कराना है तो उसके लिए पेपर के प्रारूप को भी बदलना होगा. लंबे जवाबों वाले सवालों के स्थान पर पेपर में बहुविकल्पीय प्रश्नों यानी मल्टीपल च्वाइस क्वैश्चंस व न्यूमेरिकल्स जैसे सवालों को ही शामिल करना होगा.

यह भी पढ़ें : यूपी पुलिस भर्ती; पेपर आउट कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश, 6 सदस्य गिरफ्तार, 8 की तलाश

यह भी पढ़ें : यूपी पुलिस भर्ती पेपर लीक केस; सीएम योगी की बड़ी कार्रवाई, बोर्ड अध्यक्ष रेणुका मिश्रा को हटाया

कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर व पद्मश्री से सम्मानित प्रो.मणींद्र अग्रवाल.

कानपुर : पिछले करीब एक माह के अंदर उप्र सरकार को पुलिस भर्ती और आर-एआरओ परीक्षा का पेपर इसलिए निरस्त करना पड़ा, क्योंकि दोनों के पेपर लीक हो गए. पूरे देश में सरकार के सिस्टम को लेकर सवाल खड़े हुए. लाखों परीक्षार्थियों की मेहनत बेकार हो गई. भले ही सरकार ने परीक्षाएं निरस्त कर परीक्षार्थियों को राहत देने का काम किया, लेकिन बड़ा सवाल यह भी था कि अब पेपर लीक आम बात हो गई है. इन सबसे इतर आईआईटी कानपुर में हर साल होने वाली जेईई एडवांस्ड परीक्षा में जिस कंप्यूटर बेस्ट टेस्ट सिस्टम को अप्लाई किया जाता है, उसमें भी लाखों परीक्षार्थी शामिल होते हैं, लेकिन कभी पेपर लीक जैसी समस्या नहीं आई. इस सिस्टम और इसके संचालन को लेकर आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर व पद्मश्री से सम्मानित प्रो.मणींद्र अग्रवाल ने ईटीवी संवाददाता से एक्सक्लूसिव बातचीत की. साथ ही बताया कि कैसे यह सिस्टम पारदर्शी और नकलविहीन परीक्षा कराने में सक्षम है.

जानिए, कैसे काम करता है सीबीटी सिस्टम: आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी) का प्लान सभी आईआईटी ने मिलकर तैयार किया था. इस सिस्टम की मदद से पिछले पांच सालों से लगातार जेईई एडवांस्ड जैसी परीक्षाएं कंडक्ट कराई जा रही हैं, जिसमें देश के लाखों छात्र शामिल होते हैं. प्रो.मणींद्र ने बताया कि यह नकलविहीन परीक्षा के लिए इसलिए प्रभावी है क्योंकि इसमें परीक्षा केंद्रों पर हर छात्र के सामने एक कंप्यूटर होता है, जो कि एक सर्वर से जुड़ा होता है. परीक्षा शुरू होने से 30 मिनट पहले आनलाइन ही पेपर इस सर्वर पर डाउनलोड होता है. इसके बाद वह सभी छात्रों को मिल जाता है और फिर इंटरनेट कनेक्शन बंद कर दिया जाता है, जिससे पेपर लीक की कोई गुंजाइश ही नहीं रहे. फिर छात्र सभी सवालों के जवाब कंप्यूटर पर ही देते हैं.

सरकार की पूरी मदद के लिए हैं तैयार : प्रो.मणींद्र से जब सवाल किया गया कि क्या पेपर लीक के मामले में आप सरकार की मदद करेंगे? इसके जवाब में प्रो.मणींद्र ने कहा कि बिल्कुल, हम सरकार की सहायता के लिए तैयार हैं. हां, अगर सरकार को कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट कराना है तो उसके लिए पेपर के प्रारूप को भी बदलना होगा. लंबे जवाबों वाले सवालों के स्थान पर पेपर में बहुविकल्पीय प्रश्नों यानी मल्टीपल च्वाइस क्वैश्चंस व न्यूमेरिकल्स जैसे सवालों को ही शामिल करना होगा.

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