कन्नौजः जिले में पुलिस ने एक ऐसे शातिर साइबर ठग गिरोह का खुलासा किया है, जो बहुत ही हाईटेक तरीके से लोगों को ठगता था. मामले का खुलासा तब हुआ जब झारखंड के रहने वाले युवक ने अपने साथ हुई ठगी की शिकायत कन्नौज पुलिस से की. कन्नौज पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तफ्तीश करना शुरू किया तो गिरोह के 8 सदस्य हत्थे चढ़ गए. पुलिस ने पकड़े गए गिरोह के सरगना से पूछताछ कि तो कई चौंकाने वाले मामले को ठगों ने बताया.
पुलिस अधीक्षक कन्नौज @AmitKAnandIPS के निर्देशन में थाना तिर्वा पुलिस द्वारा नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी/ऑनलाइन ठकी करने वाले गिरोह के 08 शातिर अभियुक्तों को किया गिरफ्तार। कब्जे से 16 एंड्रॉयड मोबाइल, 30 सिम कार्ड, 176 बैंक पासबुक, 02 एटीएम, 02 चैक बुक, विभिन्न व्यक्तियों के 160… pic.twitter.com/g9oweVMVto
— kannauj police (@kannaujpolice) July 27, 2024
कन्नौज पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनद ने बताया कि ये गिरोह बहुत ही शातिराना अंदाज से लोगों को 3 हजार रुपये का लालच देकर उनके बैंक खाते खुलावाया करता था. बैंक खाते में नया फ़ोन नम्बर लगाते और फिर खाता धारक को विश्वास में लेकर खाते की सारी डिटेल ले लिया करते थे. इसके बाद साइबर ठगी से आने वाली रकम को इन्ही खातों में ट्रांसफर करवाते थे. खाते में पैसा आने के बाद ये पैसा निकाल लेते थे. पुलिस ने पकड़े गए गिरोह के सदस्यों के पास से कई मुहरें, 176 बैंक पास बुक, अलग-अलग कंपनियों के 16 मोबाइल, एटीएम, चेक बुक बरामद हुए हैं.
3 हजार रुपये देकर खुलवाते थे बैंक में खाता
पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस को बताया गया कि कन्नौज के अलग अलग स्थानों पर जाकर वह स्कालरशिप, पेंशन, लोन दिलाने आदि के नाम पर अलग अलग बैंकों में खाता खुलवाते थे. इसके बाद खाता धारक के नाम पर सिम खरीदकर उस पर केवाईसी करा देते थे. खाता खुलने के बाद खाता धारक को 3 हजार रुपए देकर उनकी पासबुक, एटीएम अपने पास रख लेते थे. इसके बाद उन्ही गलत नाम पते पर खरीदे गये सिम से दिल्ली/नोएडा में कॉल सेंटर के आफिस खोले गये थे. वहीं से विभिन्न व्यक्तियों को नौकरी का झांसा, विदेश भेजने के नाम पर, पेंशन के नाम पर, ईनाम के नाम पर धोखे से अपनी बातों में फंसा लेते थे और उनसे अपने खाते में पैसा ट्रांसफर करा लेते थे. धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि आपस में बांट लेते थे.
पकड़े गए सभी आरोपी ग्रेजुएट
बताया जा रहा है कि जो आरोपी पकडे गए वह सब काफी पढ़े लिखे हैं. जल्दी आमिर बनने के चलते इन्होंने साइबर क्राइम की दुनिया में कदम रख दिया. अब पुलिस ने इन पढ़े लिखे साइबर ठग गैंग का पर्दाफाश कर इनको हवालात के पीछे डाल दिया है.
झारखंड के रहने वाले पीड़ित ने कराया खुलासा
झारखण्ड के जिला हजारीबाग में रहने वाले मो. एहसान ने बताया कि वह दुबई में इलेक्ट्रीशियन की नौकरी करता था. उन्हें वहां 40 हजार रूपए मिलते थे. उनके साथ नौकरी करने वाले ने बताया कि उसके संपर्क में एक एजेंट है, जो यूरोप में नौकरी दिलवाता है. इसके बाद उसने एजेंट से संपर्क किया तो उसने यूरोप में 80 हजार रूपए प्रति माह की नौकरी लगवाने की बात कही. लेकिन पहले बीजा बनवाने के नाम पर अलग-अलग क़िस्त में एक लाख 80 हजार रुपये कौशलेन्द्र नाम के व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर करवा लिया. इसके बाद कई बार फ़ोन कर बीजा मांगा तो आरोपी उसको टरकाता रहा, एक दिन फ़ोन बाद कर लिया. मो. एहसान ने बताया कि जब उसे ठगी का एहसास हुआ तो वह बैंक खाते को ट्रेस करते हुए कन्नौज के तिर्वा इलाके पहुंच गया. तिर्वा कोतवाली पुलिस से संपर्क किया और पूरा मामला बताया.
गिरोह में 20 से 25 लोग शामिल
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बैंक खाता धारक कौशलेन्द्र कुमार को हिरासत में लेकिन पूछताछ कि तो उसने बताया कि उसके परिचित ईशू ठाकुर, अर्पित द्विवेदी, अनुज कुमार, प्रशान्त गुप्ता, प्रियांशू यादव, अंश सिंह, शीलू ठाकुर, लवकुश सिंह, नवीन यादव, गौरव यादव, अभिषेक यादव, चेतन्य, रिषभ राठौर, धुव्र राठौर सहित 20-25 लोग इस काम को करते हैं.
7 महीने में करोड़ों रुपये की ठगी की
इसके बाद पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने आठ टीमों का गठन कर दिया गया. सभी टीमों ने अलग अलग जगह छापा मारकर गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया. अनुज कुमार की गिरफ्तारी पर पता चला कि 13 फरवरी से 01 जुलाई 2024 तक इनके खाते में धोखाधड़ी करके 12 लाख रुपये से अधिक रुपये मंगाया गया था. इसी तरह प्रशान्त गुप्ता के खाते में 9 फरवरी से 1 जुलाई 2024 तक 17 लाख रुपये, अर्पित द्विवेदी के खाते में 48 लाख 44 हजार, कौशलेन्द्र कुमार के खाते में 25 लाख 45 हजार, चेतन्य सिंह के खाते में 01 करोड़ 40 हजार रुपये क्रेडिट हुआ था.