कांकेर: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ETV भारत कांकेर जिले के धुर नक्सल इलाकों में ऑपरेशन करने वाली बस्तर फाइटर्स से मिलने पहुंचा. घने जंगल में महिला कमांडो पूरी वर्दी में रायफल के साथ कड़ी धूप में गश्त करती मिलीं. महिला कमांडो ने बताया कि जंगल में महिलाओं की ड्यूटी आसान नहीं है लेकिन देश सेवा के जज्बे से उन्हें हिम्मत मिली है.
चुनौती बहुत लेकिन देश की करनी है सेवा: बस्तर फाइटर की महिला कमांडो जवानों के साथ कदम से कदम मिलाकर नक्सल प्रभावित इलाकों में घुसकर उन पर ताबड़तोड़ प्रहार कर रहीं हैं. चारामा गांव की रहने वाली महिला कमांडो कविता सिन्हा ने बताया "यहां जंगल ही जंगल है. चारों तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र है. चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन हम देश की सेवा के लिए, जनता की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं. महिला दिवस पर नारी सशक्तिकरण के कई कार्यक्रम हो रहे हैं. महिलाओं की सुरक्षा के लिए हम जंगल में गस्त पर निकले हैं."
हम महिला हैं तो थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कपड़े वगैरह को लेकर परेशानी होती है. कई बार एक कपड़े में रहना पड़ता है लेकिन हम देश की सेवा करने आए हैं तो जवान की तरह रहते हैं और उसी परिस्थिति में ढल जाते हैं. पुरुष जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ड्यूटी कर रहे हैं. - कविता सिन्हा, बस्तर फाइटर्स
घर परिवार नहीं सिर्फ दुश्मन आते हैं नजर: महिला कमांडो बताती हैं, "एंटी नक्सल ऑपरेशन में निकलने से पहले उच्च अधिकारी पूरी ब्रीफिंग करते हैं. कैसे निकलना है, कैसे जाना है. मूवमेंट का ध्यान रखा जाता है. बड़े ग्रुप में नहीं जाते बल्कि छोटे छोटे ग्रुप बनाकर एक निश्चित दूरी बनाकर जाते हैं. इस दौरान पुरुष जवान भी हमारे साथ रहते हैं."
जब हम जंगल में गस्त पर निकलते हैं तो घर परिवार भूल जाते हैं. हमें सिर्फ हमारे दुश्मन नजर आते हैं. घर वालों को हम पर गर्व होता है कि घर की बहू बेटी डटकर नक्सलियों से मुकाबला कर रही है- सुनीता कुंजाम, महिला कमांडो
गस्त के दौरान रहती है बहुत चुनौती: पूरे महिला कमांडो के साथ एंटी नक्सल ऑपरेशन को एक महिला कमांडो लीड कर रही है. महिला कमांडर शशि कला साहू बताती हैं, "चुनौती तो बहुत रहती है. पूरे बल को एक साथ लेकर चलना पड़ता है. सबको ब्रीफ करना होता है. कभी रास्ते में किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उसे महिला कमांडो ही कंधे पर ढोकर ले जाती है."
महिला कमांडो नक्सलियों के लिए काल बनी है. हम लड़ते रहेंगे. उनको लगातार चुनौती दे रहे हैं. मैं 20 साल से पुलिस विभाग में हूं और जब से भर्ती हुई है, तब से गस्त के दौरान कई बार नक्सलियों से आमना सामना हुआ. दिन में गस्त पर निकलते थे, रात को ड्यूटी करते थे.- शशि कला साहू
बचपन से था देश सेवा का सपना: बस्तर फाइटर्स में 25 साल की वेदवती कुंजाम भी शामिल हैं. इस समय जंगल में ड्यूटी दे रही हैं. वेदवती बताती हैं, "बचपन से देश की सेवा करने का सपना था.'' इसी सपने को पूरा करने वेदवती ने बस्तर फाइटर्स ज्वॉइन की. वेदवती कहती हैं, ''एंटी नक्सल ऑपरेशन में जाती हूं. बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम देश की सेवा कर रहे हैं. "
जानिए कौन हैं बस्तर फाइटर्स: बस्तर फाइटर्स टीम में पुलिस ने ग्रामीण क्षेत्रों के स्थानीय युवतियों और महिलाओं के साथ नक्सल संगठन छोड़ चुकी महिलाओं को भी शामिल किया है. ये जंगलों की स्थिति को जानने के साथ ही स्थानीय बोली और ग्रामीण इलाकों के भी जानकार हैं. इस बात का फायदा बस्तर पुलिस को मिल रहा है. महिला कमांडो इस दौरान जंगलों में मौजूद सभी गांव के ग्रामीणों का भरोसा भी जीत रहीं हैं.